ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) विश्व में एक बहुत बड़ी समस्या के रुप में सामने खड़ा है। वैज्ञानिकों से लेकर भू – गर्भीय शास्त्री सभी इसे लेकर चिंतित है। ग्लोबल वार्मिंग धरती के औसत तापमान के बढ़ने का प्रभाव है।
औद्योगिक क्रांति के बाब समुचे विश्व में विकास की वो होड़ लगी की जिसके नतीजे आज भी हम भुगत रहे हैं। विकास की यह क्रांति हमारे लिए बहेद जरुरी तो थी पर इसके साथ ही बढ़ते प्रदूषण ने हमारी धरती को बहुत नुकसान पहुंचाया।
माना जाता है कि पिछली शताब्दी में यानी सन 1900 से 2000 तक पृथ्वी का औसत तापमान 1 डिग्री फैरेनहाइट बढ़ गया है। सन 1970 के मुकाबले वर्तमान में पृथ्वी 3 गुणा तेजी से गर्म हो रही है। इस बढ़ती वैश्विक गर्मी के पीछे मुख्य रूप से मानव ही है।
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन, गाड़ियों से निकलने वाला घुँआ और जंगलों में लगने वाली आग इसकी मुख्य वजह हैं। इसके अलावा घरों में लक्जरी वस्तुएँ मसलन एयरकंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, ओवन आदि भी इस गर्मी को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रीन हाउस गैस वो होती हैं जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश तो कर जाती हैं लेकिन फिर वो यहाँ से वापस ‘स्पेस’ में नहीं जातीं और यहाँ का तापमान बढ़ाने में कारक बनती हैं। बाद में यही बढ़ता तापमान हमारे लिए बहुत मुश्किल का कारण बनता है।
आज के इस वीडियो में हम इसी समस्या की चर्चा करेंगे कि आखिर इस बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग से हमारी धरती पर क्या प्रभाव पड़ेगे। इस वीडियो को जरुर देखें .. .