शिवलिंग को भगवान शिव का रूप माना जाता है। हिन्दू धर्म में शिवलिंग की अपनी अलग महत्ता है, शिवलिंग स्थापित करके उन्हें पूजने का विधान है। हाल में ही छतीसगढ़ के सिरपुर में पुरातत्ववेत्ता प्राचीन काल से जुड़ी जानकारियों की तलाश में खुदाई कर रहे थे, तभी उनके हाथ कुछ अलग ही चीज़ लगी। यह एक शिवलिंग था, जो करीब 2000 साल पुराना बताया जा रहा है। द्वादश ज्योतिर्लिंग वाले पत्थरों से बने इस शिवलिंग की खासियत ये है कि इसमें से तुलसी के पत्तों सी खुशबू आती है। ये शिवलिंग काशी विश्वनाथ और महाकालेश्वर जैसा चिकना है. इस अनोखे शिवलिंग को नाम दिया गया है ‘गंधेश्वर महादेव’ का। चार फीट लम्बे और 2.5 फीट की गोलाई वाले इस शिवलिंग में विष्णु सूत्र, जनेऊ और असंख्य धारियां हैं।
विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि एक समय में यहां एक विशाल मंदिर हुआ करता था, जिसका निर्माण पहली शताब्दी के शुरू में सरभपुरिया राजाओं ने कराया था. फिर 12वीं शताब्दी में प्रकृति के भीषण तबाही के बाद ये सब नष्ट हो गया. इस दौरान ये शिवलिंग अपने चमत्कारिक शक्तियों के कारण ज़मीन में दबा रहा और सुरक्षित रहा. हालांकि इस जगह पर पुरातत्व विभाग कई सालों से खुदाई कर रहा है, उसे इस दौरान कई छोटे-बड़े शिवलिंग भी मिले हैं, लेकिन इतना बड़ा शिवलिंग कभी नहीं मिला।
पुरातत्व सलाहकार, अरुण कुमार शर्मा के अनुसार, ‘ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता बैडलेर ने 1862 में लिखे संस्मरण में एक विशाल शिवमंदिर का ज़िक्र किया है. लक्ष्मण मंदिर परिसर के दक्षिण में स्थित एक टीले के नीचे राज्य के संभवतः सबसे बड़े और प्राचीन शिव मंदिर की खुदाई होना बाकी है।
ऐसा भी बताया जा रहा है कि यहां बाढ़ के कारण ज़मीन के नीचे एक पूरा इतिहास दफ़न है. लगातार आने वाले भूकम्पों और बाढ़ की वजह से रेत और मिट्टी की परतें यहां की मंदिर को लगातार दफ़न करती गयी।‘
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साभार – गजबपोस्ट