हिन्दू धर्म विश्व के सबसे प्राचीनतम धर्मों में से एक है इसमें कोई दो राय नहीं, पर इस धर्म में कई ऐसी चीज़ें है जो इसे बाकी धर्मों की तुलना से भिन्न तो बनाती ही हैं साथ में एक ऐसा आधार भी देती हैं जो इसे मानने वालों को गर्व भी प्रदान करती हैं.
विषय - सूची
1.इस धर्म के संथापक का ही पता नहीं
हिन्दू धर्म का संस्थापक कौन हैं इसके बारे में कोई साक्ष्य ही नहीं है, पर इसके प्रचार-प्रसार में काफ़ी सारे ऋषि-मुनियों और लोगों ने भूमिका निभाई है जिनका जिक्र हिन्दू धर्म की कई पुस्तकों में मिलता हैं.
2.कोई एक धर्म शास्त्र नहीं
हिन्दू धर्म का कोई एक धर्मशास्त्र नहीं है बल्कि बहुत सारी किताबें मिलाकर इसे एक धार्मिक आधार प्रदान करती हैं.
3.विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म
क्रिश्चियनिटी और इस्लाम के बाद हिन्दू धर्म विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है और 90% हिन्दू, हिंदुस्तान में ही रहते है.
4.ऋग्वेद का प्रसार कई वर्षो तक केवल मौखिक रूप में ही होता रहा था
ऋग्वेद का इतिहास लगभग 3800 साल पुराना है जबकि 3500 साल तक इसे केवल मौखिक रूप में ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया जाता रहा था.
5.108 एक पवित्र नंबर है
हिन्दू धर्म में 108 को पवित्र माना जाता है, तभी तो मालाओं में 108 मोती होते हैं जिससे 108 बार ऊपर वाले को याद किया जा सके.
6.सभी त्यौहार ख़ास होते हैं
हिन्दू धर्म में सभी त्यौहारों को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. यहां शोक के लिए कोई स्थान नहीं.
7.मंदिर जाने के लिए कोई एक समय निर्धारित नहीं है
हिन्दू धर्म की एक खास बात यह है कि यहां पर ऊपर वाले को याद करने के लिए कोई एक खास दिन या समय नहीं होता. जब भी आपका दिल करे आप प्राथना के लिए मंदिर जा सकते हैं.
8.Juggernaut शब्द जगन्नाथ से लिया गया है
Juggernaut जिसका मतलब विशाल रथ से होता है, देवता जगन्नाथ से ही लिया गया है.
9.औरत और मर्द दोनों समान है
हिन्दू धर्म शायद इकलौता ऐसा धर्म है जिसमें देवी-देवताओं की संख्या समान है और दोनों को एक ही श्रद्धा के साथ पूजा जाता हैं.
10.नास्तिकता को भी स्वीकार करता है
यह इकलौता ऐसा धर्म है जो नास्तिकों को भी स्वीकृति देता है।
हिन्दू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो सभी इंसानो को चाहें वो किसी भी धर्म का हो सभी को वर्ण के आधार पर समान मानता है, एकमात्र वर्ण व्यवस्था हिन्दू धर्म में ही है जो अपने आधार पर सही है।
साभार – गजबपोस्ट
सनातन धमँ को जीनेवाले लोगों की जीवनशैली और पुनँजन्म मे िवश्वास मानने वाले जनसमुदाय को िहंदू कहा गया दूसरे लोगो ने जो मुसलमान.ईसाई थे.वे यग्य और कालांतर मे मू ितँपूजक कहलाने लगे…..इसपृकार ईश्वर ने स्वयं अवतार लेकर इसे ग ित पृदान की….वेद अपौरूषेय कहलाये………जो बृम्हा को िबष्णु ने पृदान िकये……….इसके बाद अबतारवाद शुरू हुआ.जो जीव के िबकास की कहानी कहता है मछली से लोकर क िल्क तक है क िल्क भी कृष्ण का अवतार होगा. जो तामसी.और पापमय की पराकाष्ठा होगी.इस िलयो कलयुग के मनुष्य की बु िदध उसे पहचान ही नही पायेगी