वर्तमान की स्थिति की बात करें तो, आज भारत के अंदर कोरोना के कारण लगभग 2.96 लाख लोगों ने अभी तक जान गवाईं हैं और अगर हम रोज की बात करें तो अभी प्रतिदिन लगभग 4,196 लोग इस महामारी के कारण मर रहें हैं। फिर अगर में यहाँ पूरे विश्व की बात करूँ तो, इस महामारी के चलते कुल 34.5 लाख लोगों ने अपनी जान खो चूकें हैं। ऐसे में आप अच्छे से समझ रहें होंगे की, ये बीमारी दिन-प्रतिदिन कितनी खतरनाक होती जा रहीं हैं। आज हर किसी के मन में मौत की डरावनी कहानी चल रहीं हैं और सब अपने-अपने जान को बचाने में लगे हुए हैं। परंतु कुछ के मन में अमरता (can humans become immortal) की ख्वाबों भी अपने पैर पसार रहे हैं।
अमरता का शब्द सुनने में कितनी भव्य और अलौकिक लगता हैं न! अमरता का वरदान जिसे भी मिल जाए वो तो शायद पृथ्वी पर राज कर लें। परंतु क्या कभी हम इंसान अमर हो सकते हैं (can humans become immortal)? क्या हम भी चिरायु बन सकते हैं? ऐसे सवाल इन घातक महामारियों में आना स्वाभाविक हैं, क्योंकि लोग भारी संख्या में अपनों को खो रहें हैं। हर तरफ मौत का तांडव चल रहा हैं और उस तांडव में अनगिनत लोगों की जान मानों इस तरह से जा रहीं हैं जैसे की जान की कोई कीमत ही न हो। लोग परेशान हैं अपनों को तड़प-तड़प कर जान गवाते हुए देख कर।
तो, “क्या हम अमरता की कोई ऐसी दबाई नहीं बना सकते जिससे हर किसी का जान बच जाए”, सोचने वाली बात हैं न!
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इन तरीकों से शायद हम बन सकते हैं अमर! – Can Humans Become Immortal? :-
मित्रों! लेख के इस भाग में हम अमर होने के (can humans become immortal) कुछ ऐसे तरीकों के बारे में जानेंगे, जिसके जरिये शायद हम आने वाले समय में दीर्घायु या चिरायु भी बन पाएंगे। तो, चलिये एक-एक कर के उन सभी तरीकों को देखते हैं।
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द क्रायोनिसिस्ट (The Cryonicists) :-
द क्रायोनिसिस्ट के बारे में शायद आप लोगों को पहले से जरूर ही पता होगा, क्योंकि इंसानों के अमर (can humans become immortal) होने के तरीकों में ये तरीका सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। ज्यादातर फिल्मों में इसी तरीके को आधार कर के लोगों को अमर बनाए जाने का दावा किया जाता हैं (काल्पनिक तौर से)। तो, आखिर ये “द क्रायोनिसिस्ट” तरीका हैं क्या?
अगर में द क्रायोनिसिस्ट का हूबहू अर्थ बताऊँ तो ये होगा, “शरीर को कम तापमान में जमा कर फिर से जीवित बनाना”। मित्रों! ये तरीका क्रायोप्रीजरवेशन (Cryopreservation) ऊपर काम करता हैं। वैसे इस तरीके में हम शरीर को तो अच्छे तरीके से लंबे समय तक संगृहीत कर सकते हैं, परंतु शरीर के अंदर मौजूद आत्मा का क्या? तो, मित्रों बता दूँ की इस तरीके में हम आत्मा को भी स्टोर कर के रख सकते हैं।
कहने का मतलब ये हैं की, हम शरीर के अंदर मौजूद आत्मा को एक डैटा की तरह किसी एक मेमोरी चिप में स्टोर करके रख सकते हैं और वो भी अनंत काल के लिए! इसके अलावा इस डैटा को हम आने वाले समय में (जब हमारी तकनीक इतनी विकसित हो जाएगी) तब चिप से बाहर निकाल कर किसी मृत शरीर में डाल कर उसे जीवित भी बना सकते हैं। आप जान कर हैरान हो जाएंगे की, ये तरीका वर्तमान के समय में भी चल रहा हैं; जिसमें इंसानी दिमाग के मेमोरी को “वाइट्रिफिकेशन” (Vitrification) के जरिये काँच के क्रिस्टल में बदल कर उसे स्टोर कर के रखा जा रहा हैं।
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द एक्सट्रोपियंस (The Extropians) :-
मित्रों! अमरता का ये जो तरीका हैं ये पहले तरीके से थोड़ा जटिल हैं, इसलिए इसे समझने के लिए आप लोगों को यहाँ थोड़ा गौर फरमाना होगा। पृथ्वी पर कुछ ऐसे लोग हैं जो की “एक्सट्रोपी” (Extropy) के सिद्धांत को हकीकत मानते हैं। बता दूँ की, इस सिद्धांत के चलते उनको लगता हैं; दीर्घायु जीवन, उच्च बुद्धिमता, उन्नत पांडित्य, शारीरिक और मानसिक उत्कृष्टता और राज नैतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक सीमाओं के हटने से हम अमर हो सकते हैं। दोस्तों! अगर ये सारी की सारी चीज़ें सच हो जाती हैं, तब शायद पृथ्वी स्वर्ग ही बन जाएगा।
इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की, ये सिद्धांत “एन्ट्रॉपी” (Entropy) के खिलाफ हैं। वर्तमान के समय में इंसानों का सबसे अधिक जीवन सीमा 125 वर्षों का ही हैं और क्या पता अगर हम 200 या 500 वर्षों तक जीवित रह भी जाएं तो अन्य कोई दूसरी बीमारी हमें जकड़ने का प्रयास करें ही न! इसलिए वैज्ञानिकों के अनुसार एक्सट्रोपी के सिद्धांत को नकारते हुए हमें अपने 125 वर्षों की जीवन सीमा को बढ़ाने का सोचना चाहिए।
इस तरीके से अगर हम 150 वर्षों तक जीवित रहने में भी सक्षम हो जाते हैं तो, ये इंसानों के लिए एक बहुत ही बड़ी कामयाबी साबित हो सकती हैं।
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ट्रांसह्यूमनिस्ट (Transhumanists) :-
अमर (can humans become immortal) होने के तरीकों में ये तरीका सबसे ज्यादा सफल होने की संभावना हैं, क्योंकि ये तरीका वर्तमान के तकनीक के अनुकूल हैं। इस तरीके से हम निकट भविष्य में भी अपने जीवन के आयु को काफी ज्यादा बढ़ा सकते हैं। तो, आखिर ये ट्रांसह्यूमनिस्ट तरीका हैं क्या? चलिये इसके बारे में भी आगे जान लेते हैं!
आप लोगों को सर्जरी के बारे में तो पता ही होगा। आमतौर पर किसी बीमारी से मुक्त होने के लिए सर्जरी का सहारा लिया जाता हैं, परंतु कुछ सर्जरी ऐसे भी हैं जो की बीमारी से मुक्त होने के लिए नहीं; परंतु खुद को ज्यादा आकर्षक या शक्तिशाली बनाने के लिए भी किए जाते हैं। ऐसे सर्जरी ज़्यादातर सेलिब्रिटी या धनी वर्ग के लोग ही कर पाते हैं, क्योंकि ये सर्जरियां काफी ज्यादा महंगी होते हैं। तो, ट्रांसह्यूमनिस्ट का जो आधार हैं, ये इन्हीं सर्जरियां के ऊपर ही बसा हैं।
सर्जरी के जरिये अगर हम कृत्रिम या प्राकृतिक शक्तिशाली व स्वस्थ अंगों ( घुटने, जांघ, दिल) को शरीर में लगा लें, तो हमारी आयु काफी हद तक बढ़ सकती हैं। इसके अलावा जैनेटिक इंजीनियरिंग के जरिये इंसानों के अंदर कुछ ऐसे कारकों को ईजाद किया जा सकता हैं जो की क्रमागत विकास (Evolution) के जरिये इंसानों को ज्यादा शक्तिशाली, तेज, संज्ञात्मक, स्वस्थ और आकर्षक बना दें। ऐसे में इंसान लंबे समय तक स्वस्थ तरीके से जी पाएगा, जो की लगभग अमर होने के बराबर ही हैं।
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सिंगुलाटेरियन माइंड अपलोडर (Singulartarian Mind-Uploaders) :-
मित्रों! अमर (can humans become immortal) होने का ये जो तरीका हैं; ये थोड़ा अटपटा अवश्य ही लगेगा परंतु यकीन मानिए पढ़ने में आपको जरूर ही मजा आयेगा। इस तरीके के अंतर्गत वैज्ञानिक मानते हैं की, हम हमारे आत्मा को और दिमाग में चल रहें सभी गतिविधियां (जन्म से लेकर मृत्यु तक) को कम्प्युटर के एल्गॉरिथ्म के जरिये स्टोर कर के रख सकते हैं। वैसे ये तरीका सुनने में पहले तरीके के जैसा ही लगेगा, परंतु ये बात सत्य नहीं हैं। क्योंकि दोनों ही तरीके बिलकुल अलग-अलग हैं।
इस तरीके में दिमाग के सभी मैमोरी और भावनाओं को स्टोर कर के रखा जा रहा हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार जल्द ही मानव सभ्यता “सिंगुलरिटी” के और जा रहा हैं। इसके अलावा एक चौंका देने वाली बात ये भी हैं की, इस तरीके के अंतर्गत काम कर रहें वैज्ञानिक गूगल के साथ मिल कर “नैनो बोट्स” के प्रोजेक्ट को भी हकीकत बनाने में लगे हैं। अगर ये प्रोजेक्ट सफल बन जाता हैं, तब यकीन मानिए इंसान लगभग अमर होने के कगार पर आ जाएगा।
हम नैनो बोट्स के जरिये, इंसानी शरीर के अंदर पहुँच कर हर छोटी से छोटी बीमारी पैदा करने वाले पार्टिकल्स को खत्म कर सकते हैं, शरीर के अंदर कचरे को बाहर निकाल सकते हैं, खून के जम जाने को रोक सकते हैं, D.N.A में होने वाले गलतियों को सुधार सकते हैं तथा ट्यूमर को भी आसानी से खत्म कर पाएंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार ये तकनीक साल 2030 तक ईजाद कर लेंगे, जिससे हम कोरोना के जैसे महामारियों से भी बेहतर ढंग से लढ पाएंगे।
Source :- www.sciencefocus.com