Black Snow Is Falling Down In Siberia – बदलते मौसम की वजह से दुनिया के कई हिस्सों में इतनी ज्यादा ठंड पड़ रही है जिसे देखकर हर कोई हैरान है। लगातार आसमान से गिरती बर्फ ने अमेरिका से लेकर भारत के कई हिस्सों में सफेद चादर बिछा रखी है। वैज्ञानिकों से लेकर के आम आदमी तक हर कोई इस बदलते मौसम और असमान्य ठंड से परेशान है।
जब दिखी काली बर्फ
अभी ये परेशानी कम हुई नहीं थी कि वैज्ञानिकों को एक बात ने फिर चौंका दिया, रूस के सबसे बड़े इलाके साइबेरिया जो कि दुनिया की सबसे ठंडी जगह भी मानी जाती है, वहां एक ऐसा नजारा लोगों को देखने को मिला जो आज से पहले उन्होंने नहीं देखा था। चार दिन पहले 15 फरबरी को साइबेरिया में सफेद बर्फ की जगह अचानक से काली बर्फ गिरने लगी।
पहले तो लोगों को इससे ज्यादा आश्चर्य नहीं हुआ उन्हें लगा कि ये केवल कुछ मिनट का है, पर जब लागातर काली बर्फ गिरती रही तो आसपास के लोग इससे डरने लगे।
सोशल मीडिया पर वायरल
लोगों ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई पोस्ट किये, किसी ने इसे अशुभ संकेत माना तो कई लोगों ने प्रतिक्रिया दी कि ये मानव विकास और अंधाधुध कार्वन उत्सर्जन की वजह से हमारे वातावरण में यह भयावह परिवर्तन आया है, जो दिखाता है कि विनास नजदीक है।
साइबेरिया अपनी बर्फ और ठंड के लिए मशहूर है पर जब ये काली बर्फ गिरने लगी तो लोगों को इससे वास्तव में भय होने लगा, अफवाहों का दौर इससे पहले पनपता को अधिकारियों ने तुरंत जाकर बर्फ का सैंपल लिया और उसकी जांच की।
जांच के बाद वैज्ञानिको ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम साइबेरिया के केमेरोवो क्षेत्र के कुज़नेत्स्क बेसिन में जो कोयला खनन केंद्र है उसके कारण ये बर्फ काली बन गई है, इससे घबराने की जरूरत नहीं है और ना ही कोई खतरनाक प्रदूषण है। कोयले के कारण ये एक सामान्य घटना है।
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Автор @toleubai.aldiyar Поиграем в снежки? ☺ #темиртау #temirtau #temirtaucity
क्या कोयला है इसका कारण !
आपको बता दें की साइबेरिया की ज्यादातर अर्थव्यवस्था कोयले पर ही टिकी हुई है, इसे क्षेत्र में रुस के कई कोयले खदान हैं जिनमें दिन रात कोयला निकलता रहता है। निवासियों का कहना है कि कई बार सरकार से बात की है कि कोयले से निकलने वाली प्रदुषित गैसों को साफ करने का कोई ठोस काम नहीं हुआ है। रिपोर्टों के अनुसार , संयंत्र धुएं को पर्याप्त रूप से छानने में विफल रहा है। केमेरोवो क्षेत्र के उप-राज्यपाल आंद्रेई पानोव भी कोयला बॉयलर, कार निकास और अन्य कोयला संयंत्रों को दोषी मानते हैं।
ये पहली बार नहीं है कि काली बर्फ गिर रही हो पर वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर समुचित कदम नहीं उठाये गये तो फिर कई और बर्ष के क्षेत्रों जैसे आर्कटिक और ग्रीनलैंड , हिमालय इन पर भी बर्फ अपना काला रंग दिखा सकती है।