भारतीय खगोलविदों नें एक बहुत बड़े नए सुपरक्लस्टर की खोज की है, ये 4 अरब प्रकाश वर्ष दूर Pisces के नक्षत्र (constellation) में स्थित है। इस बड़े से सुपरक्लस्टर का नाम सरस्वती है और यह 60 करोड़ प्रकाश वर्ष में फैला हुआ है, इसके भार(Mass) की बात करें तो यह 2 करोड़ अरब सूर्यों के बराबर है।
Astrophysical Journal, में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार यह ब्रह्मांण के बारे में हमारी उतप्ति की थ्योरी को गलत साबित कर रहा है क्योंकि यह क्लस्टर जितना बड़ा है उस हिसाब से 10 अरब वर्ष पहले हुए बिग-बैंग में इतने बडी सरंचना नहीं बन सकती है। इस सरंचना में आकाशगंगाओं के 43 क्लस्टर समा सकते हैं और इतने बड़े आकार को पाना 10 अरब वर्षो में सभंव नहीं है।
इस रिपोर्ट पर भारतीय वैज्ञानिको का कहना है कि यह खोज हमें जटिल से जटिल सवालों के उत्तर प्राप्त करने में हमारी मदद करेगी कि कैसे डार्क ऐनर्जी में ब्रह्मांण फैलता जा रहा है और भी ऐसे ही जटिल सवालों के जवाब वैज्ञानिकों को अब मिल सकते हैं।
पहले भी कुछ तुलनात्मक रूप से बहुत बड़े सुपरक्लस्टर्स के बारे में रिपोर्ट्स आई हैं , उदाहरण के लिए, ब्रह्मांड में एक सरंचना ‘Shapley Concentration’ या ‘स्लोअन ग्रेट वॉल’, जबकि अभी खोजा गया ‘सरस्वती’ सुपरक्लस्टर इन सबमें बहुत ही ज्यादा बड़ा है।”
सरस्वती ज्ञान, संगीत, कला, ज्ञान और प्रकृति की भारतीय देवी हैं। उनका नाम भी वास्तविक तौर पर खगोलीय नदियों से जुड़ा हुआ है, इस तरह से वह एक बड़े सुपरक्लस्टर के लिए एक अच्छा प्रतीक हैं इसलिए इसका सुपर क्लस्टर का नाम इन्हीं पर रखा गया है।
एक दुरबीन की मदद से आप दखेंगे तो इसमें दिखने वाले तारे आपको बहुत पास – पास दिखाई देंगे, पर वास्तव में ब्रह्मांण के हिसाब से यह दूरी ही अरबों प्रकाश वर्षों की होती है। इसको देखने और नापने के लिए बहुत ही तल्लीनता और एकाग्रता की आवश्यकता होती है।
आपको बता दें कि ब्रह्मांण में दिखने वाली आकाशगंगाएं बेतरतीब ढ़ंग से नहीं फैली होती हैं यह एक खास पैटर्न से एक-दूसरे से अलग हैं और यह एक जाल में बंधी सी रहती हैं जिसे कोस्मिक वेब कहते हैं।