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ये हैं इंसानों द्वारा बनाई गईं दुनिया की सबसे बड़ी बंदूकें !

दोस्तों Artillery , यानी विशालकाय हथियारों की बात करें, तो हर प्रकार के बड़े हथियार कई सदियों से इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

आज हम बात करेंगे मानव इतिहास में बनाई गईं कुछ विशालकाय बंदूकों के बारे में  !

शुरुआत करते हैं काफी पुरानी और बेहद भारी बन्दूक , Dardenelles GUN से , जिसे 1464 में Turkish military engineer Munir Ali द्वारा design किया गया था।

दोस्तों ये बंदूक देखने में आपको तोप जैसी लग  रही होगी पर इन बंदूकों को CANNON कहा जाता है जिनके द्वारा कई तरह के गोला बारूद target पर छोड़े जाते हैं। इस Dardenelles gun को bronze के material से बनाया गया था जिसका वजन 16 टन से भी ज्यादा था। इसके barrel की लंबाई 5m से अधिक थी और diameter 1m से भी ज्यादा था। Projectiles के लिए इसमें पत्थर की गेंदों का इस्तेमाल किया जाता था जिनका diameter 0.63m जितना होता था। इस बंदूक को कई युद्धों में इस्तेमाल किया गया और 1866 में Sultan Abdulaziz द्वारा इसे Queen Victoria को उपहार के रूप में दे दिया गया।

 

आगे बढ़ें और बात करें और भी बड़ी और भारी बंदूक की , तो नाम आता है Russian caster Andrey Chokhov द्वारा 1586 में बनाई गई Tsar Cannon Gun का। ये बंदूक भी bronze material से बनाई गई थी और इसका वजन 39 टन से भी ज्यादा था । इसके barrel की लंबाई 4.9m रखी गई थी और इसका diameter 890mm लंबा था। कहा जाता है कि इस बंदूक से 800kg के कई पत्थर एल साथ fire किए जा सकते थे और इसीलिए इसे Russian Shotgun का भी नाम दिया गया। हालांकि इस बंदूक को कभी भी युद्ध में इस्तेमाल नहीं किया गया पर Russian military के लिए ये किसी अमूल्य हथियार से कम नहीं थी।

 

दोस्तों अब size को और आगे बढ़ाएं, तो बारी आती है world war 1 के दौरान Germans द्वारा इस्तेमाल की गई super heavy field cannon, Paris Gun की जिसे Fritz Rausenberger द्वारा design किया गया था। Germany ने इस बंदूक को 1918 में Paris पर attack करने के लिए इस्तेमाल किया था और March से लेकर august तक ये service में इस्तेमाल की गई। इस Paris Gun का वजन 256 टन और barrel की लंबाई 34m रखी गई थी। इसके barrel का elevation angle लगभग 55 degrees था जिसमें से छोड़े गए projectiles की रेंज 120 से 130km तक की थी। खास बात ये थी कि इस बंदूक से 106kg तक के shells फायर किए जाते थे जो 40km से भी ज्यादा ऊंचाई प्राप्त कर लेते थे। इस बंदूक से निकलने वाले shells को target hit करने में 3 मिनट तक का समय लगता था इसलिए इसे काफी calculative तरीके से इस्तेमाल करना पड़ता था। अपनी service के दौरान इस बंदूक ने 320 से अधिक shells fire किए और लगभग 250 इंसानों की जान भी लेली।

 

16 साल बाद यानी 1934 में Germany ने फिर से भारी विनाश के लिए एक और बेहद भारी और विशालकाय बंदूक का निर्माण करने की तैयारी की जिससे वो France के Maginot Line के कई किलों को नष्ट कर सकें। Engineers और Designers ने इस बंदूक को काफी calculations के बाद 1936 में बनाना शुरू किया । इस Railway Gun का नाम Schwerer Gustav रखा गया जिसे Germany ने 1941 से लेकर 1945 तक इस्तेमाल किया। इस railway gun का वजन 1300 टन सभी ज्यादा और barrel length 32m से ज्यादा थी। इसकी चौड़ाई 7m से अधिक और ऊंचाई 11m से ज्यादा रखी गई। इस बन्दूक को assemble करने के लिए 250 लोग लगते थे जो लगभग 3 दिन में इसे complete कर पाते थे। इस Gaustav gun से 7 टन तक के projectiles फायर किए जा सकते थे और लगभग 45 मिनट में केवल एक ही round फायर किया जाता था यानी पूरे दिन में केवल 14 rounds ही फायर किए जा सकते थे। बहराल Germans द्वारा ऐसी केवल 2 ही रेलवे guns बनाई गईं जो, आजतक युद्ध में इस्तेमाल की जाने वालीं largest caliber rifled weapon हैं।

 

पर दोस्तों इन सबसे भी ज्यादा आगे Massive Superguns बनाने के लिए 1988 में इराक़ी president saddam hussein ने Project Babylon शुरू किया था जिसकी designing की जिम्मेदारी Canadian artillery expert Gerald Bull को दी गई थी। इस प्रोजेक्ट में 1000 टन से भी ज्यादा की guns जैसे Baby Babylon और Big Babylon बनाने का target था जो इतनी powerful हों कि किसी भी projectile को space orbit में भेज सकें यानी Spaceguns की सबसे पहली शुरुआत इसी project में शुरू हुई। पर 1990 में Gerald Hull की हत्या के बाद इस project को रोक दिया गया और  project में इस्तेमाल होने वाले सामान को  1991 में United Nations द्वारा नष्ट कर दिया गया।

नीचे वीडियो जरूर देखिए !

 

Shubham

शुभम विज्ञानम के लेखक हैं, जिन्हें विज्ञान, गैजेट्स, रहस्य और पौराणिक विषयों में रूचि है। इसके अलावा ये पढ़ाई करते हैं।

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