भारत को रहस्यों का देश कहना गलत नहीं होगा, यहां हर जगह और गली में कुछ ना कुछ रहस्यमयी देखने को मिल ही जाता है। एक ऐसा ही रहस्यमयी गांव हमारे भारत में है जंहा पर लोगों को मूर्तियों को छुने से बहुत डर लगता है। आखिर इसका कारण क्या है और किस वजह से वह ऐसा करते हैं…
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिला मुख्यालय से करीब लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित इंद्रावती नदी किनारे बसे छिंदगांव में आज भी लोग एक आदेश को मानते हैं जो राजा – महाराजा पुराने जमाने में दिया करते थे।
दरअसल इस गांव में एक शिव मंदिर है जिसमें 10वीं शताब्दी की कुछ मूर्तियां रखी है और यहां के ग्रामीण इन मूर्तियों को नहीं छूते और वह इसलिए क्योंकि आज से करीब 70 साल पहले उनके राजा ने इन मूर्तियों को ना छूने का आदेश सुनाया था।
राजा की आज्ञा की तख्ती आज भी इस मंदिर में टंगी है। दरअसल इस गांव के लोग अपने बस्तर राजा को अपनी आराध्य देवी मां दंतेश्वरी का माटी पुजारी मानते हैं और इसी कारण उनके दिए हुए आदेश का आज भी पालन कर रहे हैं। इस मंदिर में पुराने शिवलिंग के अलावा भगवान नरसिंह, नटराज और माता कंकालिन की भी पुरानी मूर्तियां रखी हुई है। ग्रामीणों का मानना है कि अगर वह इन मूर्तियों को छुएंगे तो उन्हें अभिशाप लगेगा इसलिए वे इन मूर्तियों को हाथ लगाने से भी डरते हैं।
इस मंदिर के रखवालों का कहना है कि बस्तर के राजा शिव उपासना के लिए कई सालों से इस गांव के शिवालय में आते रहे और उन्होंने यहां की मूर्तियों को संरक्षित करने के भी कई प्रयास किए। अब इस परिसर में रखी इन पुरानी मूर्तियों को संग्रहालय लाने की कोशिश की जा रही है लेकिन गांव वाले अक्सर इसका विरोध करते रहे हैं और उन्होंने इन मूर्तियों को हाथ लगाने से भी मना कर दिया है।
इस मंदिर में राजा का वह आदेश भी मौजूद है जो सागौन की लकड़ी पर खोदकर लिखा गया था, जिसमें अंग्रेजी और हिंदी भाषा में लिखा गया है की “इन मूर्तियों को हटाना, बिगड़ना और तोड़ना सख्त मना है – बाहुक्म बस्तर स्टेट दरबार। इस आदेश के पास से यहां के लोग ना तो इन मूर्तियों के साथ कोई छेड़छाड़ करते हैं ना ही इन्हें किसी दूसरी जगह स्थापित करते हैं इसी कारण ग्रामीणों ने इन मूर्तियों को संग्रालय में ले जाने का भी विरोध किया।