Religion

अनोखा शिवलिंग – हिन्दू और मुस्लिम दोनों मिलकर करते हैं पूजा

भारत सांस्कृतिक देश है, और यहां हर जगह विभिन्न संस्कृति का दर्शन हो ही जाता है। विविधताओं से भरे इस देश में भाईचारे की हजारों मिसालें सामने आती हैं जहां पर सौहार्द देखने को मिलता है। भारत में भले ही बहुत धर्म हों पर सांस्कृति तो एक ही है इसलिए भारत देश आज भी बहुत सुंदर देश है और इसकी सभ्यता उतनी ही महान है। आज हम बात कर रहे हैं एक अनोखे शिवलिंग की जो बहुत पुराना है और इसकी पूजा हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग करते हैं। आईये जानते हैं इसके बारे में।।

गोरखपुर से 25 किमी दूर खजनी कस्‍बे के पास एक गांव है सरया तिवारी। यहां  पर महादेव का एक अनोखा शिवलिंग स्‍थापित है जिसे झारखंडी शिव कहा जाता है। मान्‍यता है कि यह शिवलिंग कई सौ साल पुराना है और यहां पर इनका स्वयं प्रादुर्भाव हुआ है। यह शिवलिंग हिंदुओं के साथ मुस्लिमों के लिए भी उतना ही पूज्‍यनीय है क्योंकि इस शिवलिंग पर एक कलमा (इस्लाम का एक पवित्र वाक्य) खुदा हुआ है। माना जाता है कि यह वाक्य खुद महमूद गजनवी ने शिवलिंग पर खुदवाया था।

लोगों के अनुसार महमूद गजनवी ने इसे तोड़ने की कोशिश की थी, मगर वह सफल नहीं हो पाया। इसके बाद उसने इस पर उर्दू में ‘लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह’ लिखवा दिया ताकि हिंदू इसकी पूजा नहीं करें। तब से आज तक इस शिवलिंग की महत्ता बढ़ती गई और हर साल सावन के महीने में यहां पर हजारों भक्‍तों द्वारा पूजा अर्चना किया जाता है।

आज यह मंदिर साम्प्रदायिक सौहार्द का एक मिसाल बन गया है क्योंकि हिन्दुओं के साथ-साथ रमजान में मुस्लिम भाई भी यहाँ पर आकर अल्लाह की इबादत करते है।

कहते है की यह एक स्वयंभू शिवलिंग है। लोगों का मानना है कि इतना विशाल स्वयंभू शिवलिंग पूरे भारत में सिर्फ यहीं पर है। शिव के इस दरबार में जो भी भक्‍त आकर श्रद्धा से कामना करता है, उसे भगवान शिव जरूर पूरी करते हैं।

माना जाता है कि पोखरे में नहाने से ठीक हो जाता है रोग

 

मंदिर के  पुजारी आनंद तिवारी, शहर काजी वलीउल्लाह और श्रद्धालु जेपी पांडे के मुताबिक इस मंदिर पर कई कोशिशों के बाद भी कभी छत नही लग पाया है। यहां के शिव खुले आसमान के नीचे रहते हैं। मान्‍यता है कि इस मंदिर के बगल मे स्थित पोखरे के जल को छूने से एक कुष्‍ठ रोग से पीड़ित राजा ठीक हो गए थे। तभी से अपने चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिये लोग यहां पर पांच मंगलवार और रविवार स्नान करते हैं और अपने चर्म रोगों से निजात पाते हैं।

साभार – भास्कर.काम

Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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