सांपो का जिक्र सामने आते ही हमें उनके बारे में जानने की एक ज्ञिज्ञासा बढ़ने लगती है। यह सच है कि आज भी सांप बहुत रहस्यमयी प्राणी हैं। विज्ञान और धर्म दोनो ही सांपो को अलग तरीके से मानकर चलते हैं। हिंदू धर्म में सांप को एक दैवीय प्राणी माना गया है, यही कारण है कि सांपों के कई प्राचीन मंदिर हमारे देश में मौजूद हैं।
सदियों से सांप कई कारणों से मनुष्यों के आकर्षण का क्रेंद बना हुआ है। सांप का केंचुली उतारना भी इन कारणों में से एक है। आज हम आपको बता रहे हैं सांप द्वारा केंचुली उतारने से जुड़ी रोचक और अनसुनी बातें।
1- प्रत्येक रीढ़धारी प्राणियों में त्वचा की ऊपरी परत समय-समय पर मृत हो जाती है तथा इनकी वृद्धि व विकास के साथ-साथ इस मृत त्वचा का स्थान नई त्वचा ले लेती है। इसी प्रकार एक निश्चित समय अंतराल के बाद सांप भी अपनी बाह्य त्वचा की पूरी परत उतार देता है। इसे ही केंचुली उतारना कहते हैं।
2- धार्मिक कथाओं के अनुसार सांप का केंचुली उतारना दैवीय स्वरूप का सूचक होकर उसके रूप परिवर्तन कर लेने संबंधी क्रिया के एक आवश्यक अंग है। माना जाता है कि केंचुली उतारकर सांप की उम्र बढ़ जाती है और अमरता प्राप्त कर जन्म-मरण के चक्र से छुट जाते हैं।
3- सांप की त्वचा स्वाभाविक रूप से सूखी और खुष्क होकर जलरोधी आवरण (वाटरप्रुफ कोट) वाली होती है और उसकी प्रजाति के अनुसार चिकनी या खुरदुरी हो सकती है।
4- अपनी त्वचा में किसी प्रकार की खराबी या नुकसान एक सांप को जल्दी केंचुली उतारने के लिए बाध्य करता है। केंचुली उतारने से एक तो सांप के शरीर की सफाई हो जाती है, दूसरी ओर त्वचा में फैल रहे संक्रमण से भी उसे मुक्ति मिल जाती है।
5- केंचुली उतारने से करीब एक सप्ताह पहले से सांप सुस्त हो जाता है और किसी एकांत स्थान पर चला जाता है। इस समय लिम्फेटिक नामक द्रव्य के कारण सांप की आंखें दूधिया सफेद होकर अपारदर्शक हो जाती है। इस अवस्था में ये भोजन भी नहीं करते।
6- केंचुली उतारने से 24 घंटे पहले सांप की आंखों पर जमा लिम्फेटिक द्रव्य अवशोषित हो जाता है और आंखें साफ होने से वह ठीक से देख पाता है। केंचुली उतारने के बाद प्राप्त नई त्वचा चिकनी और चमकदार होती है। इसलिए इस समय सांप बहुत ही चुस्त और आकर्षक दिखाई देता है।
7- सांप का केंचुली उतारने का तरीका बहुत कष्टदाई होता है। सबसे पहले सांप अपने जबड़ों पर से केंचुली उतारते हैं क्योंकि यहां केंचुली सबसे अधिक ढीली होती है। शुरुआत में सांप अपने जबड़ों को किसी खुरदुरी सतह पर रगड़ता है ताकि इसमें चीरा आ जाए। अलग हुए भाग को सांप पेड़ के ठूंठ, कांटों, पत्थरों के बीच की खाली जगह में फंसाता है और अपने बदन को सिकोड़कर धीरे-धीरे खसकता है। अपनी पुरानी त्वचा को बदलते समय सांप बहुत ही बैचेन और परेशानी का अनुभव करता है।
8- सांप द्वारा छोड़ी गई केंचुली की सहायता से संबंधित सांप की पहचान की जा सकती है। यह सांप की हूबहू प्रति तो नहीं होती लेकिन सांप की त्वचा पर पड़े शल्कों की आकृति इनसे शत-प्रतिशत मिलती है।
9- कोई सांप अपने जीवनकाल में कितनी बार केंचुली उतारेगा, इस सवाल का कई बातों पर निर्भर करता है जैसे- सांप की उम्र, सेहत, प्राकृतिक आवास, तापमान और आद्रता आदि। सामान्यत: धामन सांप एक साल में 3-4 बार केंचुली उतारता है वहीं अजगर और माटी का सांप साल में एक ही बार केंचुली उतारते हैं।
10- केंचुली पर सांप का रंग नहीं आ पाता क्योंकि रंगों का निर्माण करने वाली पिगमेंट कोशिका सांप के साथ ही चली जाती है।