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जानें भाषाओं की मां “संस्कृत” से जुड़े हैरान कर देने वाले तथ्य

Sanskrit Facts In Hindi – संस्कृत संसार की सबसे प्राचीन भाषा है। यह सभी भाषाओं की जननी मानी जाती है।  इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। संस्कृत में हिन्दु धर्म से संम्बंन्धित सभी धर्मग्रन्थ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म और जेन धर्म के भी कई महत्वपूर्ण ग्रंन्थ संस्कृत में लिखे गए हैं।आइए हमारी इस उन्नत भाषा के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं-

1. 1987 में अमरीका की फोब्र्स पत्रिका के अनुसार संस्कृत कंप्युटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छी भाषा है। क्योंकि इसकी व्याकरण प्रोग्रामिंग भाषा से मिलती जुलती है।

2. जर्मन स्टेट युनिवर्सिटी के अनुसार हिंदु कैलेंडर वर्तमान समय में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे अच्छा कैलेंडर है। क्योंकि इस कैंलेडर में नया साल सौर प्रणाली के भूवैज्ञानिक परिवर्तन के साथ शुरू होता है।

3. अमेरिकन हिंदु युनिवर्सिटी के अनुसार संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी, मधुमैह, कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो जाएगा। संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे कि व्यकति का शरीर सकारात्मक आवेश के साथ सक्रिय हो जाता है।

4. संस्कृत साहित्य का अधिकतर साहित्य पद्य में रचा गया है, जब कि अन्य भाषाओं का ज़्यादातर साहित्य गद्य में पाया जाता है।

5. दुनिया के 17 देशों में एक या अधिक संस्कृत विक्ष्वविद्यालय संस्कृत के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए हैं, पर संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत विक्ष्वविद्यालय भारत में नही है।

6. दुनिया की 97 प्रतीशत भाषाएँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसी भाषा से प्रभावित हैं। हिन्दी, उर्दु, कश्मीरी, उड़िया, बांग्ला, मराठी, सिन्धी और पंजाबी भाषा की उत्पती संस्कृत से ही हुई है।

7. अमेरिका, रूस, स्वीडन,जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलीया वर्तमान में भरत नाट्यम और नटराज के महत्व के बारे में शोध कर रहै हैं। (नटराज शिव जी कै कॉस्मिक नृत्य है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने शिव या नटराज की एक मुर्ति है।)

8. विक्ष्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 25 रूप होते हैं।

9. शोध से पाया गया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति(यादआशत) बढ़ती है।

10. इंग्लैंड़ वर्तमान में हमारे श्री-चक्र पर आधारित एक रक्षा प्रणाली पर शोध कर रहा है।

11. संस्कृत वाक्यों में शब्दों की किसी भी क्रम में रखा जा सकता है। इससे अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नही होती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं। जैसै- अहं गृहं गच्छामि या गच्छामि गृहं अहं दोनो ही ठीक हैं।

12. नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलट हो जाते थे। इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था। उन्होंले कई भाषाओं का प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई। आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उलटे हो जाने पर भी अपना अर्थ नही बदलते हैं। जैसा के उपर बताया गया है।

Team Vigyanam

Vigyanam Team - विज्ञानम् टीम

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56 Comments

  1. मैंने संस्कृत और हिंदी को सिद्ध किया है मैं एक-एक अक्षर को सिद्ध कर सकता हूँ।और सभी अक्षरों का अपना स्वरुप और अर्थ जानता हूँ ।और अंकों और चिहों के भी  स्वरूप को जानता हूँ।मैं अरुण हूँ और मैं जानता हूँ मैने ये ज्ञान अपने आदरणीय एवं परम पूज्य सद् गुरुदेव डा.नारायण दत्त श्रीमाली जी महाराज के सहयोग से सिद्ध किया है और जानता हूँ कि ये ज्ञान औरों के पास सायद नहीं है नहीं तो वो गुरु होते।

  2. अरूण जी नमस्कार मान्यवर संस्कृत इस देश की नींव है इसके प्रसार के लिए आप जैसे लोगो को प्रयास करना चाहिए इसको लोगो तक पहुंचाना बहुत जरूरी है नही तो यह भी और भाषाओ की तरह कही विलुप्त न हो जाए संस्कृत इस देश की पहचान है संस्कृत हिन्दु धर्म और संस्कृति की आत्मा है पूरी दुनिया मे इससे प्राचीन और समृद्धि कोई भाषा नही है

  3. ऐसा मैसेज वायरल होना चाहिए ताकि अरुण जी जैसे विभूति दुनिया के लिए कुछ कर सकें । विज्ञानम्.कॉम का यह प्रयास स्तुत्य है । साधुवाद !
    मैंने भी अपनी पुस्तकों में देववाणी की महिमा का बखान किया है ।
    हमारी कामना पुनः फलीभूत हो सके -“कृण्वन्तो विश्वमार्यम्”

    डॉ. जितेन्द्र पाण्डेय
    9158700049

  4. आप सभी महानुभाओं को हमारा लेख समझ में आया आप चिंतनशील हैं खुसी मिली संस्कृत हमारी संस्कृति है आप को जानकर खुसी होगी कि इसको पढ़ना और समझना दोनो सरल है।और मैं एक ऐसा यंत्र बना सकता हूँ जिससे पानी और बिजली दोनो साथ-साथ तैयार होगी ।हमारा सहयोग करें।हम दुनिया को एक नया मार्ग दे सकते हैं।मेरा नं.9415350562 है।आपका अरुण पाडेय।

  5. आपके सहयोग के लिए धन्यवाद ।आप हमें समझ सकते हैं
    मूरख-मूरख राज कीहों पंडित फिरत भिखारी,
    धन्यवाद

  6. यह तो बहुत बेहतरीन है हमें अपने शब्दों के बारे में जानकारी ही नहीं है धन्यवाद आपने या जानकारी दिया कृपया आप अपना संपर्क नंबर दें

  7. Sanskrit ke adhyayan me ruchi vyavsayic n ho aur n hi fancy dress pratiyogita me saje kisi aatihasic charitra ki bhanti use yad kiya jay tabhi usaki sarthkata sansar samjhega. Aaj Brahman is se matra vyaysaic taur per Jude hai.yah aawasyakbhi hai kintu anay bhasao ki tarah usaki ruchi badge aur prachar ho. Naye sahitya racha jay.Bachho me ruchi badde.

  8. अरुणजी सादर नमस्कार आप संस्कृत का एक अप्प बनाइये जिससे मुज जैसे कई लोग सकर्ट सिख सकते है दन्यवाद!!

  9. maha bharat se judi hain sanskrut bhasha.devta aur rishi muni ne granth ki rachana snskrut main hi likha hain.ye bhasha devta ne diya hua ek uphar hain.devta isi bhasha ka upyog karte hain.iske fhayde anek hain.
    ye humari sanskruti se juda hain.
    daily rutine life main fark ayega.
    main request karunga dwsh ki bhasha sirf sanskrut ho..
    bachapan se sanskrut ki boli bolnese bacha tejsvi aur gunkari hota hain.galat raste main nahi jata hain.
    kyon ki ye bhagwan ki bhasha hain..

  10. मूझे भारतीय हिंदू और ब्राम्हण होने पर इसलिए भी गर्व हैं कि संस्कृत हमारी भाषा हैं।आपकी इस गौरवान्वित करने वाली पोस्ट के लिए धन्यवाद ।

  11. बहुत ही बढ़िया सुंदर ।अक्षरश सत्य बातें कही गयी है।हम तीनों भाई संस्कृत भाषा की पढ़ाई कर के आज सरकारी नौकरी कर रहे हैं।इस भाषा को सीखने के लिए यदि एप्पस् बनाई जाये तो अत्यंत लाभप्रद कार्य हो सकताहै।जीवन शर्मा ।09878916334

  12. श्री अरूण कुमार पान्डेय जी , आपका बहुत बहुत आभार व नमन ।
    हमारी रूचि संस्कृत भाषा को पढने और बोलने मे बहुत है , किन्तु मार्गदर्शन के अभाव मे असमर्थ हूं ।
    कृपया कोई पुस्तक का नाम बतावें ताकि पढने के साथ साथ अर्थ भी समझ सकूं ।बहुत कृपाहोगी । मेरा ह्वाट्स ऐप नं है : 9740999745 , मै बैंगलोर मे रहता हूँ ।

  13. बहुत ही सुंदर।यह समय की ही मार है कि जिस तरह हम अपने माँ बाबूजी को भूलकर मम्मी डैडी पर आ गये है उसी प्रकार आज हमलोग अपनी पहचान जो हमारी संस्कृती संस्कार को भूल चुके है।संस्कृत लिखना पढ़ना और बोलना तो दूर की बात हो गई है संस्कृत क्या है इसकी भी जानकारी धुमील पड़ती जा रही है।मे बिहार के दरभंगा जिला के तारडीह अंचल का निवासी हूँ।हमारे अंचल मे लगमा कुट्टी आश्रम आज भी गुरुकुल की परंपरा को जिदा रखे हुए है।आज भी वहाँ पढ़ने वाले बच्चे भिक्षाटन कर अपने विधालय मे पढ़ाई करते है।छोटे छोटे बच्चे जब वेद का पाठ करते है तो माने वातावरण मे एक अलग ही ओज और शक्ति का अनुभव प्रतित होता है

  14. 9216291161
    बहुत जरूरी है
    आपसे बात करना
    हिन्दुत्व के लिए भी
    दुखी लोगों के लिए भी

  15. हमें आपसे बात करने में अच्छा लगेगा, अवश्य करेंगे। किसी भी प्रकार की टिप्पणी के लिए आप हमें मेल कर सकते हैं –

    ma****@vi******.com











  16. i am eger to meet you please provide me your address and contect number.i am intrested in old indian science and yog-tantra .i have read many books of shredhey guru ji nikhleshwra nand and guruji arun kumar sharma and many more but unfortunetely these novel sole is not on the earth in our era.i am very pleased if you directed me .thanks

  17. बाकी सारी बातों से सहमति है मगर सारी भाषाओँ का जन्म संस्कृत से हुआ है या संस्कृत देव भाषा है इस बारे में फिर से सोचना चाहिए| संस्कृत से पुरानी भाषाएँ पाली और प्राकृत है| साथ ही भाषाओं के भी कई परिवार हैं| संस्कृत भारोपीय भाषा परिवार की भाषा है|

  18. अरुण जी आपको कोटि कोटि प्रणाम।अपने हमारी मातृ भाषा संस्कृत के प्रति लोगों में अपने लेख से रुचि जागृत किया। आजकल लोग अंग्रेजी के दीवाने हुए जा रहें हैं,संस्कृत किसीको आता ही नही,जिससे लोग अपने धर्म ,वेद,पुराणों का अध्ययन कर पाएंऔर यह जाने की हमारी संस्कृति कितनी समृद्ध और पुरातन है।जिन तथ्यों को लोग आज खोज रहें हैं ,उन्हें हमारे ऋषियों,मुनियोंऔर पूर्वजो द्वारा हजारों वर्ष पहले ही वेदों,पुराणों,उपनिषदों में लिखा है,परंतु संस्कृत नही आने से या यह कहें संस्कृत नही पढ़ने से हम इनसे अनभिज्ञ हैं।
    हर्ष का विषय है कि आप जैसे भद्र पुरुषों के कारण हमारे मातृ भाषा को पुनः लोग जानेंगे पढ़ेंगे और सम्मान करेंगे।

  19. मेरा संपर्क सूत्र-9721445544,9889445544,9208445544 है।
    आशा करता हूँ कि कभी आपसे वार्तालाप अवश्य होगा ।
    धन्यवाद।

  20. आद जी मै भी पूज्य श्री नारायण दत्त श्रीमाली जी
    की किताब पढ़ पढ कर ही आध्यात्मिक ज्योतिषीय
    विद्यार्थी रहा हू
    आपसे जूडना चाहता हू

  21. JAI SHRI SITA RAM JI I DR NAVEEN DUTT SHARMA INVET ALL OF YOU THOSE WANT TO LEARN SANSKRIT
    AND WANT TO KNOW ABOUT OUR VEDIC ADYATAM AND MANTR SHAKTI AND VARAN MALA SHAKTI TOLD BY SHRI SHRI 1008 RAMANDACHARYA RAMBHADRACHARYA GURUJI AND PARMHANS SHRI DR NARAYAN DUTT SHRIMALI JI GURUJI .PLS CONTACT TO ME 9910392026 . JAI SHRI SITA RAM JI

  22. संस्कृत देववाणी है इस से संसार भर की भाषाओं का जन्म हुआ है उत्तम जानकारी उपलब्ध कराई धन्यवाद शुभेच्छु
    आपका शारदा प्रसाद पाण्डेय

    धन्यवाद ९६३०७४०१३७

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