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क्या वजह है कि हम घोड़े की सवारी तो करते हैं पर ज़ेब्रा की नहीं ?

दोस्तों ! हमारे आस-पास की आम जिंदगी में कुछ ऐसी चीजें और घटनाएं होती हैं जिनके बारे में हमारा दिमाग कभी सोच ही नहीं पाता। हम सभी कई सालों से चले आ रहे नियमों और परम्पराओं के आधार पर ही जिंदगी जीते हैं और इस वजह से हम अपने दिमाग को किसी और दिशा में नहीं लगा पाते। बहराल दोस्तों , ये दुनिया है ही काफी अजीब जहां ऐसी घटनाएं और तरह – तरह की चीजें होती हैं जिसे हम अपनी जिन्दगी में अपना लेते हैं।

उदाहरण के तौर पर हम इंसान, अक्सर घोड़ों की सवारी तो करते हैं पर ज़ेब्रा की  नहीं करते ! ये दोनों जानवर , एक ही जाति, एक ही परिवार के ही सदस्य हैं। इसके अलावा इनमें और भी कई समानताएं हैं, जैसे इनका शरीर और हड्डियों की बनाबट , चाल चलन और रहन सहन वगेरा। हालांकि इनमें biological असमानताएं तो हैं , पर एक ज़ेब्रा और एक घोड़े की विशेषताएं काफी हद तक एक जैसी ही हैं।

वैसे तो दोस्तों आपने घोड़े की सवारी तो जरूर की होगी जोकि एक आम बात है| पर क्या आपने कभी ज़ेब्रा की सवारी करने की कोशिश की है ? खैर ! शायद ही अपने ऐसा किया होगा क्योंकि एक ज़ेब्रा की सवारी करना कोई आम बात नहीं हैं बल्कि fact तो ये है कि हम ज़ेब्रा की सवारी करते ही नहीं हैं !

पुरातत्व विशेषज्ञों की मानें तो लगभग 5500 सालों से इंसानों द्वारा घोड़े को एक पालतू जानवर बनाया जा रहा है और वहीँ ज़ेब्रा और हम इंसानों का सम्बन्ध इससे भी काफी पुराना है।

कई million सालों से हम इंसान और ये ज़ेब्रा, एक साथ पल बढ़ रहे हैं पर हमारा इनके साथ का रिश्ता एकदम अलग रहा है।  प्रमाणों की मानें तो बहुत पहले इंसानों द्वारा ज़ेब्रा का शिकार किया जाता था और इन्हें केवल एक भोजन के रूप में ही लिया जाता था।

इसी वजह से कई सालों से इन ज़ेब्रा का इंसानों के प्रति व्यवहार और बर्ताव अन्य जानवरों से एकदम अलग है और वहीँ घोड़ों के साथ इंसानों द्वारा इतना समय नहीं बिताया गया है और व्यवहार भी काफी अलग रहा है।

इन सबके साथ ही, ये ज़ेब्रा जिस तरह से  विकसित हुए हैं उससे इन्हें  पालतू बनाना काफी मुश्किल है। आमतौर पर ये ज़ेब्रा, कई बड़े बड़े हिंसक जानवरों जैसे शेर, चीता और हायना से घिरे रहते हैं और अपने जीवन के लिए इनमें ऐसी प्रतिक्रियाएं विकसित  हैं जो अन्य जंगली जानवरों से भी अलग हैं जैसे कि ये काफी  चंचल और तेज होते हैं और काफी आक्रामक होने के साथ साथ इनके reactions भी काफी असामान्य  होते हैं जिनकी वजह से इन्हें पालतू बना पाना मुश्किल हो जाता है।

दोस्तों ! वैसे आपने कुछ जगहों पर इन ज़ेब्रा को इंसानों द्वारा पालते हुए और इनकी सवारी करते हुए देखा होगा जिसकी मुख्य वजह है Taming यानी किसको अपने अनुकूल परिस्थितियों में ढालना जोकि domesticate यानी पालतू बनाने से अलग है | हम किसी भी जानवर को tame तो कर सकते हैं पर domesticate नहीं कर सकते और ज़ेब्रा के साथ , taming और domesticate, दोनों ही बेहद मुश्किल हैं।

आपको ये जानकार हैरानी जरूर होगी कि ये ज़ेब्रा काटने के साथ साथ , काफी ताकत से पीछे की ओर लात मारते हैं जो इतनी ताकतवर  होती है कि किसी भी शेर का जबड़ा तक तोड़ सकती है और इसीलिए चिड़ियाघर के लोग भी इनसे काफी दूरी रखते हैं।

इसके अलावा, biologically, ये ज़ेब्रा, सवारी करने लायक बने ही नहीं हैं। जैसा कि आपको बताया गया कि घोड़े और ज़ेब्रा में कुछ biological differences होते हैं जिसकी वजह से हम अक्सर घोड़ों की सवारी तो कर लेते हैं पर ज़ेब्रा की नहीं। आमतौर पर एक ज़ेब्रा, किसी पालतू घोड़े से आकार में छोटा होता है और इनकी पीठ भी सामान्य घोड़े जितनी मजबूत और दृढ़ नहीं होती जिसकी वजह से ये ज़ेब्रा, भारी सामान उठाने में ज्यादा सक्षम नहीं होते। इसके साथ ही इनकी गर्दन भी मोटी और मजबूत होती है जिसे नियंत्रित कर पाना मुश्किल होता है।

हालांकि किसी ज़ेब्रा को  सवारी के लिए इस्तेमाल करना असंभव नहीं है। व्यक्तिगत तौर पर हम Taming के द्वारा किसी भी जानवर को अपने अनुकूल बना सकते हैं पर कुछ शारीरिक बंधनों की वजह से किसी जानवर की सवारी करना सही नहीं है।

Shubham

शुभम विज्ञानम के लेखक हैं, जिन्हें विज्ञान, गैजेट्स, रहस्य और पौराणिक विषयों में रूचि है। इसके अलावा ये पढ़ाई करते हैं।

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