हमारे ब्रह्मांड में कई तरह की चीज़ें मौजूद हैं, जिन्हें हम खुली आँखों से देख नहीं सकते। इसलिए, हम मनुष्यों ने अंतरिक्ष में कई अत्याधुनिक तकनीक से लैस स्पेस टेलीस्कोप लॉन्च किए हैं। आज के समय में हम कई स्पेस टेलीस्कोप अंतरिक्ष में भेज चुके हैं, जिनमें हबल (Hubble’s Law In Hindi) स्पेस टेलीस्कोप भी शामिल है। हालांकि, आज का हमारा विषय पूरी तरह से हबल टेलीस्कोप पर नहीं है, बल्कि सिर्फ उसके नाम से जुड़ा हुआ है। क्योंकि यह स्पेस सेक्टर में एक महत्वपूर्ण और मौलिक बात है, जिसे जानना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है।
मित्रों! आज का हमारा विषय हबल लॉ (Hubble’s Law In Hindi) पर आधारित है, जिसे अमेरिकी वैज्ञानिक हबल ने प्रस्तुत किया था। इसलिए, मैंने लेख के शुरुआती भाग में आपको इसके बारे में पहले ही बता दिया है। हालांकि, आज हम हबल लॉ को समझने के साथ-साथ इसके कॉन्स्टेंट के बारे में भी जानने का प्रयास करेंगे, जिससे यह विषय आपको बेहतर तरीके से समझ में आ सके।
तो, चलिए अब बिना किसी देरी के लेख में आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि आखिर यह लॉ हमें क्या बताता है। इसके अलावा, मित्रों, आपसे अनुरोध है कि लेख को आरंभ से लेकर अंत तक जरूर पढ़ें, ताकि इस विषय पर आपकी पकड़ मजबूत हो सके।
विषय - सूची
हबल लॉ और हबल कोंस्टंट! – Hubble’s Law In Hindi :-
मित्रों! चलिये सबसे पहले हबल लॉ (Hubble’s Law In Hindi) क्या होता हैं, उसके बारे में जान लेते हैं। अगर में सरल भाषा में कहूँ तो, ब्रह्मांड का फैलाव (रेड शिफ्ट) उसके दूरी के ऊपर निर्भर करता हैं। माने दूरी जितना अधिक होगा, ब्रह्मांड में वो आकाशगंगा उतना ही अधिक फैल सकेगा। यहाँ एक बात ये भी हैं कि, हबल लॉ को “हबल-लामाइटरे” लॉ भी कहा जाता है। जिसे आम तौर पर फिजिकल कास्मोलोजी में पढ़ा जाता है। हबल लॉ के अनुसार ही हमारा ये ब्रह्मांड फैल सकता हैं और इसी के ऊपर ही हमारे अन्तरिक्ष का हर एक मौलिक सिद्धांत काम करता है।
वैसे, यहाँ एक खास बात यह भी है कि पृथ्वी से सुदूर इलाकों में स्थित आकाशगंगाएँ काफी तेजी से पृथ्वी से दूर हो रही हैं। जो चीज़ हमसे जितनी दूर है, वह उतनी ही तेजी से हमसे दूर होती जा रही है। जितनी अधिक दूरी, उतनी अधिक रफ्तार! इसलिए, इन घटनाओं को समझने के लिए वैज्ञानिक विज़िबल स्पेक्ट्रम में रेड शिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं। बता दूँ कि, लाल रंग विज़िबल स्पेक्ट्रम का सबसे आखिरी रंग है। तो आप समझ ही सकते हैं कि ये आकाशगंगाएँ हमसे कितनी दूर होंगी।
हबल लॉ को “एडविन हबल” ने 1929 में सबसे पहले खोजा था। इसके खोजे जाने के बाद से आज तक इस लॉ पर काफी चर्चाएँ हुई हैं और पाया गया है कि यह वाकई में हमारे ब्रह्मांड के हर एक मौलिक सिद्धांत को सपोर्ट करता है। मित्रों! इसलिए यह हमारे लिए काफी अहम हो जाता है।
हबल लॉ का फॉर्मूला :-
मित्रों! लेख के इस भाग में हम हबल लॉ (Hubble’s Law In Hindi) के फॉर्मूला के बारे में चर्चा करेंगे। और जानेंगे कि, आखिर ये फॉर्मूला क्या हैं। तो, दोस्तों; सरल भाषा में कहूँ तो, हबल फॉर्मूला “v = H0d” को ही कहते हैं।
यहाँ v= आकाशगंगा की वेलोसिटी (गति)
H0= हबल कोंस्टंट
d = हमसे आकाशगंगा की दूरी, आदि को सूचित करता हैं।
इस फॉर्मूला के आधार पर हम आसानी से किसी भी आकाशगंगा की हमसे दूरी और वो किस रफ्तार से हमसे दूर जा रहा हैं, उसके बारे में पता लगा सकते हैं। इसके अलावा मेँ आप लोगों को बता दूँ कि, हबल फॉर्मूला के जरिये हम ब्रह्मांड की फैलाव के बारे में पता लगा सकते हैं। जिससे हमारे पास ब्रह्मांड के कई मौलिक व अहम पहलुओं के बारे में पता चल सकता है।
यहाँ आप लोगों का इस फॉर्मूला को लेकर क्या राय हैं, कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा। क्योंकि हमें आप लोगों के कमेंट पढ़ना बहुत ही पसंद हैं। साथ ही साथ इस लेख को जितना हो सके उतना अधिक शेयर जरूर करिएगा। ताकि इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को पता चल पाए। तो, चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हुए इस हबल नियम के दूसरे पहलुओं के बारे में जानते हैं।
कैसे हुई इस नियम की खोज? :-
हर एक महान चीज़ के खोज के बारे में जानना बहुत ही जरूरी हैं। जैसे की यहाँ आज हम हबल लॉ (Hubble’s Law and Constant) के बारे में जानने वाले हैं। हबल के इस थियरि के पहले भी ब्रह्मांड के फैलाव को लेकर कई सारे चर्चाएँ शुरू हो चुके थे। उस समय कई अलग-अलग वैज्ञानिकों का ब्रह्मांड के फैलाव को लेकर कई अलग-अलग राय था। जैसे की आइंस्टीन जी का “जनरल रिलेटिविटी” का थियरि। ये फील्ड इक्वेशन थियरि वाकई में काफी ज्यादा खास हैं। क्योंकि ये एक एवर-ग्रीन थियरि है।
हालांकि! हबल का नियम उस समय चल रहें ज़्यादातर नियमों को खंडित करता था। क्योंकि उस समय ज़्यादातर वैज्ञानिकों का लगता था कि, हमारा ब्रह्मांड स्टैटिक हैं और इसमें कोई फैलाव नहीं हो रहा हैं। वैसे बाद में हुई कुछ आविष्कारों ने ब्रह्मांड के स्टैटिक होने के दावे को पूरे तरीके से गलत साबित कर दिया और हबल का उस समय का नया नियम दुनिया भर में काफी ज्यादा प्रचलित होने लगा। मित्रों! यहाँ एक खास बात ये भी हैं कि, ब्रह्मांड का फैलाव कई कारकों के ऊपर निर्भर करता हैं और इसके ऊपर उस समय उतना अधिक खोज भी नहीं हुआ था।
खैर हबल के नियम को लोकप्रियता मिलने के बाद ब्रह्मांड के फैलाव का विषय काफी ज्यादा चर्चा में आने लगा। और तब से लेकर आज तक ये टॉपिक दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए काफी ज्यादा अहम बना हुआ हैं। क्योंकि जिस हिसाब हमारा ये ब्रह्मांड फैल रहा हैं, उसको देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि; जल्द ही हमें इसके बारे में अधिक से अधिक जानना होगा। नहीं तो ये ब्रह्मांड हमारे समझ में कभी नहीं आएगा।
हबल कोंस्टंट और रेड शिफ्ट! :-
मित्रों! लेख के इस भाग में हम लोग सबसे पहले हबल कोंस्टंट (Hubble’s Law and Constant) के बारे में बातें करेंगे। बहुत ही सरल भाषा में कहूँ तो, हबल कोंस्टंट ब्रह्मांड के फैलाव के रफ्तार को दर्शाता हैं। आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, आज के समय में हबल कोंस्टंट का वैल्यू लगभग “60 km/s per million-light-years” का हैं। अब मुझे लगता हैं कि, आप लोगों को हबल कोंस्टंट के बारे में काफी कुछ समझ में आ गया होगा।
तो, चलिये अब दूसरे सबसे अहम चीज़ यानी “रेड शिफ्ट” के बारे में बात करते हैं। रेड शिफ्ट के कारण किसी भी चीज़ का वेभलेंथ बढ़ जाता हैं, जिसकी वजह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन को माना गया हैं। इसका विपरीत होता हैं ब्लू शिफ्ट जिसके अंदर चीज़ का वेभलेंथ कम होने लगता हैं। वैसे रेड शिफ्ट के होने के कुछ कारण भी हमें ब्रह्मांड में देखने को मिलते हैं। जिसके बारे में मेँ अभी आगे आप लोगों को बताऊंगा। पर उससे पहले मेँ आप लोगों से एक सवाल पूछना चाहूँगा कि, क्या आपको रेड शिफ्ट और ब्लू-शिफ्ट में बारीक अंतर पता हैं? हालांकि! मैंने इसके बारे में कुछ आप लोगों को बता दिया हैं, परंतु अब भी काफी कुछ बाकी हैं।
खैर रेड शिफ्ट होने के मुख्य कारणों में से एक कारण हैं, “डोप्लर इफैक्ट”। ये इफैक्ट अन्तरिक्ष में किसी भी निकट या सुदूर चीजों के अंदर काम करता हैं। दूसरा कारण हैं, शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल जो की ब्रह्मांड में काफी देखने को मिलता हैं। वैसे यहाँ एक खास बात ये हैं कि, ब्रह्मांड में होने वाला रेड शिफ्ट चीजों के पोजीशन को चेंज नहीं करता हैं।
हबल लॉ की कुछ कमियाँ! :-
जैसा की हर एक चीज़ के साथ हैं, कोई भी चीज़/ थियरि पर्फेक्ट होता नहीं हैं। और हबल लॉ (Hubble’s Law In Hindi के अंदर भी कुछ कमियाँ मौजूद हैं। हम बड़े ही सहूलियत के साथ रेड शिफ्ट के मदद से आकाशगंगाओं की हमसे दूरी और उनके रफ्तार के बारे में पता लगा सकते हैं। परंतु यहाँ एक ट्विस्ट हैं। और ये ट्विस्ट ये हैं कि, आकाशगंगाओं की इंट्रीसिक मोशन के कारण उनका वेलोसिटी काफी ज्यादा प्रभावित होता हैं।
इसके अलावा गुरुत्वाकर्षण बल के कारण घूमने वाले आकाशगंगाओं की स्पीड के बारे में हबल लॉ उतना सटीक नहीं हैं। इससे हमें आकाशगंगाओं की दूरी व तेजी के बारे में भी कुछ पता नहीं चलता हैं। मित्रों! यहाँ एक बात ये भी हैं कि, आकाशगंगाओं की रफ्तार के बारे में वैसे भी कोई भी अनुमान लगाना काफी ज्यादा कठिन हैं और ब्रह्मांड के कई जटिल पहलुओं के चलते ये चीज़ और भी ज्यादा मुश्किल बन जाता हैं।
वैसे अगर हम हबल के नियम के इन सभी कमियों को नजरअंदाज कर दें तो, हमारे पास इससे सीखने के लिए काफी कुछ चीज़ें बच जाते हैं। जैसे कि, इस नियम के जरिये हम ब्रह्मांड का 3D मैप बना सकते हैं और हर एक चीज़ को उसके सटीक जगह पर प्लेस कर सकते हैं। इसके अलावा हमें ब्रह्मांड में फैले एनर्जि और मैटर के बारे में भी पता चल सकता हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
तो, मित्रों! अब हम इस लेख के अंतिम छोर तक पहुँच चुके हैं। ऊपर हमने हबल लॉ (Hubble’s Law In Hindi) के बारे में जितना हो सका सब जाना। इसलिए मुझे ऐसा लगता हैं कि, ये लेख आप लोगों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ होगा और इससे आप लोगों को काफी कुछ जानने व समझने को भी मिला होगा।
हबल के इस नियम पर आज भी हमें काफी कुछ जानना पड़ेगा। ताकि आगे चल कर हमारी ब्रह्मांड को लेकर गहन समझ और भी ज्यादा बढ़ जाए।