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भारत तैयार है मानवों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए! – Gaganyaan TV-D1 Mission!

हम जाने वाले हैं स्पेस में, क्या आप भी तैयार हैं?

आए-दिन अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तीव्र विकास हो रहा है। विश्व के सभी राष्ट्र अंतरिक्ष में अपने वर्चस्व को बढ़ाने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने में लगे हुए हैं। ऐसे में भारत (Gaganyaan TV-D1 Mission) कैसे पीछे रह सकता है! भारत ने बीते दिन कुछ ऐसे अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम दिया है, जिसे देख कर पूरा विश्व भारत की प्रशंसा कर रहा है। परंतु मित्रों! ये तो अभी आरंभ है। आगे आने वाले समय में भारत कुछ ऐसे मिशनों को पूरा करने वाला है, जिसे देख कर यथाचित विश्व के बहुत बड़े-बड़े राष्ट्र चकित हो जाएँ।

भारत तैयार हैं इन्सानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए! - Gaganyaan TV-D1 Mission!
गगनयान मॉड्यूल। | Credit: Hindustan Times.

मित्रों! आज के लेख में हम बातें करने वाले हैं गगनयान मिशन (Gaganyaan TV-D1 Mission) कि, क्योंकि ये मिशन भारत का एकमात्र ऐसा मिशन है, जिसमें मानव हिस्सा लेने वाला हैा। ये मिशन भारत के लिए इसलिए भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि, इस मिशन के आधार पर भारत का स्पेस फ्यूचर बनने वाला है। ये ही कारण है कि, हमारे लिए भी इस मिशन के बारे में जानना बहुत ही जरूरी हो जाता है।

एक बात ये भी है कि, भारत के इन मिशनों के बारे में चर्चा ज्यादा होनी चाहिए, क्योंकि इन मिशनों के जरिये ही हम भारतीय आने वाले समय में अंतरिक्ष में अपना वर्चस्व बढ़ा सकते हैं। तो चलिये मेरे साथ इस लेख में बने रहिए और इसके बारे में जानते रहिए।

गगनयान टीवी-डी1 मिशन! – Gaganyaan TV-D1 Mission! :-

लोगों के मन में अब सबसे पहला सवाल ये आ रहा होगा कि, आखिर ये गगनयान टीवी-डी1 मिशन (Gaganyaan TV-D1 Mission) क्या है? तो, मित्रों! मैं आप लोगों को बता दूँ कि, ये मिशन एक “Crew Escape System (CES)” से जुड़ा मिशन है। इसमें असल मिशन होने से पहले क्रू की सेफ़्टी के लिए कई तरह की ड्रिल और प्रैक्टिसेस को पूर्ण किया जाता है। जैसे, आपातकालीन स्थिति में क्रू के एस्कैप रूट को भी इसी मिशन के दौरान निर्धारित किया जाता है।

भारत तैयार हैं इन्सानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए! - Gaganyaan TV-D1 Mission!
गगनयान को रिकवर किया जा रहा हैं। | Credit: ISRO.

इस्रो बीते-दिनों सफलता के साथ इस मिशन को अंजाम देने में सक्षम रहा है। मित्रों! ये मिशन मैक 1.2 के स्पीड में किया गया था और खुशी की बात ये है कि, इसे ISRO ने पूरे तरीके से कामयाब बनाया है। किसी भी ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन से पहले, इस तरह के मिशनों को अंजाम देना बहुत ही ज्यादा जरूरी हो जाता है। क्योंकि इसी से ही यान कि फ्लाइट पाथ को भी निर्धारित किया जाता है।

इस मिशन को इसी महीने 21 तारीख को शुरू किया गया था। हालांकि! मिशन के शुरुआती पलों में कुछ तकनीकी दिक्कत के कारण; इसमें थोड़ी डीले आई थी; परंतु कुछ समय बाद ही मिशन को पुनः रिज्यूम कर दिया गया था। इस तरह के मिशनों को अंजाम देना थोड़ा कठिन होता हैं, क्योंकि इस मिशन के ऊपर क्रू कि सेफ़्टी और पूरे मिशन का प्रोग्रेस निर्भर करता हैं।

आखिर क्यों किए जाते हैं ऐसे मिशन? :-

मेरे मन में अब ये एक सवाल घूम रहा हैं कि, आखिर क्यों “Crew Escape System (CES)” जैसे मिशनों  को अंजाम दिया जाता हैं? इस मिशन का गगनयान मिशन (Gaganyaan TV-D1 Mission) के साथ क्या रिश्ता हैं? तो मित्रों! मेँ आप लोगों को बता दूँ कि, इस मिशन के कुछ अहम लक्ष हैं; जिन्हें हम यहाँ चर्चा करने वाले हैं। इस मिशन का सबसे पहला लक्ष था, असल मिशन से पहले एक प्रैक्टिस फ्लाइट मिशन को अंजाम देने के साथ ही साथ व्हिकल सब सिस्टम को टेस्ट किया जाए।

भारत तैयार हैं इन्सानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए! - Gaganyaan TV-D1 Mission!
लौंच के दौरान टीवी-डी1। | Credit: NEWS 9.

मिशन का दूसरा लक्ष क्रू एस्कैप सिस्टम को निरीक्षण करना व कई तरह के फ्लाइट सेपारेशन सिस्टम” को टेस्ट करना। जिसके वजह से आने वाला गगनयान मिशन पूरे तरीके सफल हो पाए। इसके अलावा मिशन का तीसरा लक्ष था, क्रू मॉड्यूल के हर एक फीचर को टेस्ट करने के साथ ही साथ यान के गति को कम करने वाले सिस्टम को हाइ अल्टिट्यूड में सही तरीके से इस्तेमाल करने लायक बनाना। इसके अलावा इस मॉड्यूल को मिशन के बाद रिकवर करने का भी लक्ष्य इसरो ने अपने औब्जैकटिव लिस्ट में शामिल करवाया था।

मित्रों! ये मिशन इसरो के लिए एक नई चुनौती के तौर पर सामने आई थी। क्योंकि इस तरह के मिशनों को काफी सटीकता के साथ अंजाम देना अनिवार्य हैं। इसके अलावा गगनयान मिशन में इन्सानों कि जान कि भी परवाह इसरो को हैं। इसलिए किसी भी तरह कि कोई भी छोटी सी भूल इस्रो नहीं करना चाहता हैं।

मिशन से जुड़ी कुछ रोचक बातें! :-

ये मिशन (Gaganyaan TV-D1 Mission) अपने-आप में ही एक बहुत ही खास मिशन हैं। इसे मैक 1.2 के तेज-तर्रार रफ्तार में अंजाम दिया गया हैं। साथ ही साथ अधिक जानकारी के लिए मेँ आप लोगों को बता दूँ कि, इसे पृथ्वी की सतह से लगभग 11.7 km के ऊंचाई पर अंजाम दिया गया हैं। इसकी फ्लाइट पाथ का कोण लगभग 60° का हैं और मिशन के दौरान इसका डाइनैमिक प्रेसर 22.6 kPa था। मित्रों! इस मिशन में काफी छोटी-छोटी बारीकियों का काफी ध्यान रखा गया था।

TV-D1 at Launch Pad.
इस्रो का लौंच पैड। | Credit: NEWS 9 Live.

यान में लगे क्रू मॉड्यूल के सेपारेशन के दौरान इसकी गति लगभग मैक 0.5 की थी और इसकी अल्टिट्यूड लगभग 17 km की थी। इस स्टेज में इसकी डाइनैमिक प्रेसर 2-3 kPa था। यहाँ एक रोचक बात ये हैं कि, मिशन के दौरान 16.7 km के अल्टिट्यूड पर इसका ड्रौग पैराच्युट डिप्लोय हुआ था। ये पैराच्युट मूलतः काफी तेजी से गति करने वाले यान कि गति को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। इस तरह कि पैराच्युट का इस्तेमाल मूलतः यान के लैंडिंग के टाइम किया जाता हैं।

खैर यान का मैन पैराच्युट 2.5 km के अल्टिट्यूड से कम के ऊंचाई पर खुला था। मित्रों! यहाँ अगर मेँ मूल टेस्टिंग व्हिकल की बात करूँ तो, ये इस्रो के “VIKAS” रॉकेट के जरिए लौंच करवाया गया था। रॉकेट के ऊपरी भाग में एक “Crew Module” और एक “Crew Escape System” लगा हुआ हैं।

मिशन में इस्तेमाल होने वाले रॉकेट की कुछ खूबियाँ! :-

इस टीवी-डी1 मिशन (Gaganyaan TV-D1 Mission) में इस्तेमाल होने वाले विकास रॉकेट की कई खूबियाँ हैं। इस रॉकेट की लंबाई 34.9 मीटर हैं और चौड़ाई लगभग 2.1 से 4.05 मीटर के अंदर है। लाँच के दौरान इसका कुल वजन 44 टन के आसपास होता है, जिसमें टेस्ट व्हिकल (TV) का वजन 7 टन और CES का वजन 12.5 टन के आस-पास होता है।

Vikas Rocket Structure.
विकास रॉकेट की संरचना। | Credit: ISRO.

अगर हम यहाँ रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले प्रोपल्शन तकनीक की बात करें तो, विकास के अंदर “AR6” लगा हुआ है। वैसे इसके अंदर इस्तेमाल होने वाले इंजन और प्रोपल्शन सिस्टम दोनों का वजन 7 टन से ज्यादा हैं। वैसे अगर हम क्रू मोड्यूल की संरचना की बात करें तो, इसमें बिना प्रैस किए गए अलूमुनियम और कॉर्क का इस्तेमाल हुआ हैं। आकार में ये “3.1 मीटर X 2.97 मीटर” का हैं। मित्रों! अगर हम इसकी वजन की बात करें तो, ये लगभग 4520 kg वजनी है।

मोड्यूल के अंदर नैविगेशन के लिए “NAVIC” और “GPS” का इस्तेमाल हुआ है। मित्रों! इस मोड्यूल के बारे में एक बहुत ही खास बात ये भी हैं कि, इसमें लगभग 10 से ज्यादा पैराच्युट का इस्तेमाल होता हैं। मोड्यूल के टच-डाउन के वक़्त इसकी वेलोसिटी लगभग 8.5 m/s का था। इसमें फ्लोटिंग सिस्टम के लिए “PUF ब्लॉक” लगा हुआ है।

निष्कर्ष – Conclusion :-

भारत के स्पेस हिस्टोरी में ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन एक अभूतपूर्व बदलाव हैं। क्योंकि अगर गगनयान (Gaganyaan TV-D1 Mission) जैसे स्पेस मिशन सफल हो जाते हैं, तब भारत दुनिया के नजर में एक बहुत ही खास राष्ट्र के रूप में अपना आइडैनटिटि बना पाएगा। मित्रों! आज से कुछ महीनों के बाद जब 3 भारतीय पृथ्वी के सतह से लगभग 400 km के ऊंचाई पर स्पेस की सफर कर रहें होंगे, तो ये हम सभी भारतीयों के लिए कितनी गर्व की बात होगी।

Gaganyaan at space.
लो अर्थ ओर्बिट में गगनयान। | Credit: Business Today.

साथ ही साथ ये मिशन काफी  ज्यादा महत्वाकांक्षाओं से भी भरी हुई हैं, इसलिए इसके ऊपर पूरी दुनिया का नजर हैं। मित्रों! आप लोगों का इसके ऊपर क्या राय हैं, कमेंट कर के जरूर बताइएगा।

Source :- www.isro.gov.in

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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