दुनिया में कई तरह के मौलिक कण मौजूद हैं। इन मौलिक कणों में हाइड्रोजन, हीलियम (Mystery of The Helium Nucleus) और कार्बन आदि प्रधान हैं। परंतु क्या आप जानते हैं, आज भी इस 21 वीं शताब्दी में हम इन मौलिक कणों के बारे में बहुत ही कम जानते हैं। मेरे कहने का मतलब ये हैं कि, विज्ञान में इतनी तरक्की करने के बाद भी हम इन मौलिक कणों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं। इसलिए कई बार वैज्ञानिकों ने इसके ऊपर कई तरह के प्रयोग भी किए हुए हैं। परंतु इसके कोई ठोस नतीजे नहीं मिले हैं और न ही कोई जरूरी जानकारी।
प्रकृति में हीलियम (Mystery of The Helium Nucleus) एक बहुत ही खास चीज़ है। आप ये भी कह सकते हैं कि, पिरियोडिक टेबल में हीलियम सबसे सरल मौलिक कण के रूप में मौजूद हैं। इसके अंदर दो कण मौजूद रहते हैं और इसको समझने के लिए किए गए हर एक प्रयोग लगभग नाकाम ही हुए हैं। मित्रों! हीलियम जैसी मौलिक कणों को अगर हम नहीं समझ पा रहें हैं तो, आने वाले समय में खोजे जाने वाले ज्यादा जटिल कणों के बारे में हम कैसे कुछ पता लगा पाएंगे! इसलिए आज के लेख का विषय इसी हीलियम के आस-पास ही हैं।
तो, चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हुए लेख के मूल विषय के ऊपर आते हैं और आगे बढ़ते हैं।
विषय - सूची
बहुत ही जटिल है हीलियम का न्यूक्लियस! – Mystery of The Helium Nucleus! :-
हाल ही में हीलियम (Mystery of The Helium Nucleus) के न्यूक्लियस के ऊपर किए गए शोध से ये पता चला हैं कि, इसके अंदर मौजूद प्रोटोन और न्यूट्रान उस तरीके से बर्ताव नहीं कर रहें हैं, जिस तरीके से उन्हें करना चाहिए। ये ही वजह है कि, आज दुनिया भर के वैज्ञानिकों का दिमाग इस पदार्थ के अजीब बर्ताव को लेकर बिगड़ चुका है। कई वैज्ञानिकों के अनुसार थ्योरी और असल दुनिया में हीलियम के कणों में होने वाले बर्ताव में इस बदलाव को लेकर आने वाले समय में भौतिक विज्ञान में कई तरह के अदल-बदल को देखा जा सकता है। वैसे अधिक जानकारी के लिए आप लोगों को बता दूँ कि, प्रयोग में वैज्ञानिकों ने कुछ अलग ही किया है।
कहने का मतलब ये है कि, उन्होंने हीलियम के अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉन कणों को बाहरी चार्ज के जरिए ज्यादा उत्तेजित करवा के, पूरे के पूरे हीलियम के न्यूक्लियस के आकार को काफी ज्यादा बड़ा करवा दिया है। इस प्रयोग को देख कर आप ये भी कह सकते हैं कि, ये एक तरह से हमारे शरीर के दिल कि तरह है। क्योंकि दोनों ही कुछ समय के अंतराल में फैलते व सिकुड़ते रहते हैं। मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगा की, हीलियम का जो न्यूक्लियस होता है, वो असल में काफी ज्यादा छोटा होता है। ये ही वजह है कि, अगर हम इसे हद से ज्यादा बड़ा कर देते हैं, तो इसके अंदर कई तरह के बदलाव देखे जा सकते हैं।
इसके अलावा एक खास बात ये भी है कि, हीलियम में मौजूद इलेक्ट्रॉन से निकलने वाली तरंग उसके प्रोटोन और न्यूट्रान से काफी ज्यादा अलग है। इसलिए वैज्ञानिकों को इसके बारे में भी काफी ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
क्या कह रहें हैं वैज्ञानिक इसके बारे में :-
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार उनके पास हीलियम (Mystery of The Helium Nucleus) के न्यूक्लियस को समझने के लिए जरूरी समझ नहीं है। मेरे कहने का मतलब ये है कि, ज़्यादातर वैज्ञानिकों को लो-एनर्जी फ़िज़िक्स को अच्छे तरीके से समझने का ज्यादा अनुभव नहीं हैं। इसलिए उन्हें हीलियम जैसे लो-एनर्जी पदार्थ को समझने के लिए काफी ज्यादा मुश्किल हो रही है। इसके अलावा वैज्ञानिकों को मौलिक कणों और न्यूक्लियस के अंदर हो रहें इंटेरेक्सन को समझने की भी जरूरत है।
वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, हीलियम के अंदर दो प्रोटोन और दो न्यूट्रान होते हैं। ब्रह्मांड में जितने भी न्यूक्लियर और न्यूट्रान से जुड़ी चीज़ मौजूद हैं, सबके बारे में हम इसी हीलियम के जरिये ही जान सकते हैं। कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, हीलियम के जरिये हम, ब्रह्मांड में मौजूद न्यूट्रान स्टार्स के बारे में भी काफी कुछ जान सकते हैं। इसके अलावा न्यूट्रान स्टार्स के अंदर हो रहें मर्जर (Merger) के बारे में भी हम जान सकते हैं। तो एक तरीके से देखा जाए तो हम ये कह सकते हैं कि, हीलियम ही हमारे ब्रह्मांड के कई राज खोलने में सक्षम है।
मित्रों! आप लोगों को जान कर हैरानी होगी कि, हीलियम के बारे ये खोज सबसे पहले 2013 में हुई थी। तब वैज्ञानिकों ने हीलियम के अंदर मौजूद न्यूट्रान और प्रोटोन को बाहरी इलेक्ट्रॉन बीम के जरिये उत्तेजित करवा कर, उनके बर्ताव में होने वाले बदलाव को समझने की कोशिश की थी। तभी वैज्ञानिकों को हीलियम से जुड़ी इस खास बात के बारे में पता चल पाया था। तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि, हीलियम हमारे लिए कितना जटिल है।
हीलियम है हमारे लिए खास! :-
हीलियम (Mystery of The Helium Nucleus) के बारे में आज चर्चा काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। इसलिए दुनिया भर के वैज्ञानिक हीलियम की अटॉमिक संरचना को बहुत ही ज्यादा सटीकता के साथ समझने कि कोशिश कर रहें हैं। मित्रों! आमतौर पर किसी भी पदार्थ के केंद्र में मौजूद न्यूक्लियस उसके बाहरी छोर में मौजूद मौलिक कणों को अपनी और आकर्षित करने में काबिल रहता है। परंतु जब किसी भी अन्य कारण के चलते इस संरचना में फेर-बदल होता है, तब पदार्थ के न्यूक्लियस में कई तरह की अलग-अलग चीजे देखने को मिलती हैं।
हालांकि! कुछ वैज्ञानिकों ने “Effective field theory” (EFT) के जरिये हीलियम के न्यूक्लियस के अंदर होने वाले इस बदलाव को समझने की कोशिश की है। वैसे अधिक जानकारी के लिए आप लोगों को बता दूँ कि, इस थ्योरी के चलते हीलियम के न्यूक्लियस में मौजूद सभी मौलिक कण एक सघन स्थिति में आ कर एक-दूसरे काफी मजबूती से बंध जाते हैं। मित्रों! ये थ्योरी एक तरीके से अनुमान के ऊपर निर्भर करती है और इसके पूरे सटीक होने की गुंजाइश उसी हिसाब से ही है। वैसे इसको लेकर आज कई तरह के अलग-अलग थ्योरी आ रहीं हैं, जिस में नई-नई चीजों को जानने का मौका मिल रहा है।
एक बात ये भी है कि, हीलियम की जटिल न्यूक्लियस संरचना को समझने के लिए अलग-अलग वैज्ञानिक तरह-तरह के अटॉमिक मॉडेल्स को दुनिया के सामने रख रहें हैं। परंतु सबसे जरूरी बात ये है कि, वैज्ञानिकों को आज भी ये पता नहीं चल पा रहा है कि, आखिर क्यों इसके न्यूक्लियस में इतने ज्यादा बदलावों को देखा जा रहा है। मित्रों! आप लोगों को क्या लगता हैं, कमेंट कर के जरूर बताइएगा।
निष्कर्ष – Conclusion :-
हीलियम (Mystery of The Helium Nucleus) के न्यूक्लियस के अंदर होने वाले फेर-बदल की मात्रा को मापने के लिए कुछ वैज्ञानिकों ने, इसके न्यूक्लियस की ओर हाइ एनर्जी चार्जड़ इलेक्ट्रॉन बीम को भेजा। इसके कारण हीलियम का न्यूक्लियस काफी ज्यादा उत्तेजित हो गया और वो “Isoscalar Monopole” की अवस्था में चला गया। मित्रों! इस अवस्था में हीलियम का न्यूक्लियस अपने नॉर्मल अवस्था से काफी ज्यादा अलग तरीके से बर्ताव कर रहा था। इसको देख कर कई वैज्ञानिकों के होश ही उड़ चुके थे।
वैसे हीलियम कणों की सघनता और इलेक्ट्रॉन बीम की तीव्रता ही न्यूक्लियस के अंदर होने वाले बदलाव को निर्धारित करती है। ये ही वजह है कि, वैज्ञानिक इन दोनों ही चीजों के ऊपर काफी ज्यादा ध्यान दे रहें हैं। मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, हाल ही में किए गए एक प्रयोग के डैटा को वैज्ञानिक विश्लेषित कर रहें हैं और कहा जा रहा है कि, इससे हीलियम के न्यूक्लियस से जुड़े सभी रहस्यों का जवाब मिलने वाला है। खैर अब समय ही बताइएगा कि, आखिर कब तक हम हीलियम के न्यूक्लियस के रहस्य को सुलझा पा रहें हैं।