आज के जमाने में लोगों को जिंदा रहने के लिए खाना, पानी और हवा के साथ ही साथ इंटरनेट (spacex starlink mission in hindi) की जरूरत भी पड़ती है। जरा सोच कर देखिये कि, अगर आपको सिर्फ एक दिन के लिए इंटरनेट से दूर कर दिया जाए तो आपकी क्या दशा हो सकती है। तकनीक जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, ठीक उसी प्रकार से ही इंसानी जीवनशैली बदलती जा रही हैं। आज से कुछ दशकों पहले इंटरनेट का कोई नहीं जानता था, परंतु आज देखिये बिना इंटरनेट के रोज़मर्रा के घरेलू काम भी करना बहुत कठिन हो रहा है।
इसी कारण से आधुनिक जीवनशैली में इंटरनेट (spacex starlink mission in hindi) की स्पीड और उपलब्धता एक बहुत ही गुरुत्वपूर्ण किरदार अदा करती है। परंतु एक सवाल उठता है कि, भारत जैसे विकासशील देश में आखिर इंटरनेट की उपलब्धता कितनी हैं? 21 वीं शताब्दी में भी भारत में कुछ ऐसे गांवों और कस्बे हैं, जहां आज भी सड़क और बिजली पहुँच नहीं पाई है। तो, उन जगहों पर इंटरनेट की उपलब्धता कि परिकल्पना क्या ही कि जा सकती है! पर, ऐसे ही असुविधाओं के समाधान के लिए स्पेस-एक्स ने अहम कदम उठाया हैं।
वैसे इस अहम कदम का नाम हैं “Starlink”, जी हाँ स्टारलिंक ही वो शब्द हैं जो कि आने वाले समय में हमारे लिए इंटरनेट के उपलब्धता कि परिभाषा ही बदल कर रख देगा। तो, चलिये एक नजर इस स्टारलिंक के ऊपर डाल लेते हैं।
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आखिर ये “Starlink” क्या है? – SpaceX Starlink Mission In Hindi! :-
लोगों का इस लेख को लेकर सबसे पहला सवाल यहीं हो सकता है कि, “आखिर ये Starlink क्या है?” (what is starlink in hindi?)। तो अति सरल भाषा में कहूँ तो, “Starlink स्पेस-एक्स के द्वारा चलाये जानेवाला इंटरनेट का एक नेटवर्क है जो कि सैटेलाइट के ऊपर काम करता है”। आम तौर पर हम जिस इंटरनेट को इस्तेमाल करते हैं, ये पृथ्वी पर स्थित टावरों के जरिये ही ऑपरेट होता हैं। परंतु, स्टारलिंक से इस्तेमाल किए जाने वाला इंटरनेट सीधे अंतरिक्ष से आपके पास आता है। मित्रों! इस तरह का इंटरनेट अपने-आप में ही एक बहुत ही असाधारण बात है।
स्पेस-एक्स (spacex starlink mission in hindi) के इस स्टारलिंक मिशन के जरिये हम दुनिया के किसी भी कोने में रह कर इंटरनेट को चला पाएंगे। यानी पूरी पृथ्वी पर इंटरनेट की उपलब्धता का सपना हमारे लिए अब स्पेस-एक्स साकार करने वाला है। 2021 के मध्य भाग तक इस इंटरनेट के नेटवर्क में 1,600 तक सैटेलाइट मौजूद होंगी। स्पेस-एक्स का लक्ष्य है कि, इस नेटवर्क के अंदर कई हजारों सैटेलाइट्स को जोड़ दें। जिससे पृथ्वी पर मौजूद इस नेटवर्क के ट्रांसमीटर अच्छे तरीके से इंटरनेट को ट्रांसफर कर पायें।
वैसे व्यापक तौर पर तो इस सेवा को अभी चालू नहीं किया गया है, परंतु एक बीटा (Beta) सर्विस के तौर पर ये सेवा दुनिया के 17 देशों में उपलब्ध है। 2018 में स्थिर किया गया था कि, इस सेवा के लिए कुल 100 अरब अमेरिकी डॉलर कि राशि इस्तेमाल की जाएगी। वैसे हम आगे इस मिशन से जुड़ी इस तरह कि कुछ अहम बातों के ऊपर भी चर्चा करेंगे, तो मेरे साथ इस लेख में बने रहिए।
कैसे शुरू हुआ ये “Starlink” मिशन? :-
स्टारलिंक (spacex starlink mission in hindi) मिशन की बुनियाद साल 2014 में ही रखी गई थी। हालांकि! इस मिशन से जुड़े प्रथम दो सैटेलाइट को साल 2018 में ही लॉंच किया गया था। साल 2019 आते-आते 60 पूर्ण सक्षम सैटेलाइट्स को इस स्टारलिंक नेटवर्क में जोड़ा जा चुका था। वैसे स्पेस-एक्स के अनुसार 2022 के अंतिम भाग तक स्टारलिंक के सेवा को पूरे दुनिया में व्यापक रूप से फैला देने का लक्ष्य है। इसलिए कंपनी नियमित रूप से नेटवर्क के अंदर कई सारे उपकरणों और सैटेलाइट्स को जोड़ रहा है। स्पेस-एक्स के अनुसार वो बहुत ही जल्दी और 30,000 सैटेलाइट्स को स्टारलिंक नेटवर्क में जोड़ने जा रहा है।
14 सितंबर 2021 तक स्पेस-एक्स के पास स्टारलिंक से जुड़ी कुल 1,740 सैटेलाइट्स मौजूद है। इसके बाद कंपनी का ये भी दावा है कि, वो पूरे साल (2021 में) हर दो हफ्तों में 60 से ज्यादा सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजेगा। वैसे हर एक लाँच में कंपनी अपनी “Falcon 9” रॉकेट कि इस्तेमाल करेगी। स्पेस-एक्स के अनुसार स्टारलिंक के पहल चरण में वो सैटेलाइट्स को पृथ्वी से 53.0° कोण में 550 km ऊपर रखेगा। जिससे इंटरनेट कनैक्टीविटी आसानी से बनी रह पाए। हालांकि! मैं यहाँ बता दूँ कि, आने वाले चरणों में ये कोण बदला भी जायेगा।
स्टारलिंक का ये सैटेलाइट नेटवर्क वाकई में सफल हो जाए तो, पूरी पृथ्वी एक गाँव को जैसी हो जाएगी।
क्या स्टारलिंक मोबाइल नेटवर्क या किसी ब्रॉडबैंड से ज्यादा तेज है? :-
हमने स्टारलिंक (spacex starlink mission in hindi) के बारे में काफी बातों को जान लिया, परंतु एक सवाल अब भी लोगों के मन में होगा और वो ये है कि, आखिर स्टारलिंक हम इस्तेमाल कर रहें इंटरनेट से कितना तेज हैं? मित्रों! मैं आप लोगों को एक बात पहले ही बता दूँ कि, सैटेलाइट्स के जरिये भेजा गया इंटरनेट किसी मोबाइल नेटवर्क (ग्राउंड बेस्ड) या फाइबर ब्रॉडबैंड से धीमा रहता है। क्योंकि, फाइबर और ग्राउंड बेस्ड मोबाइल नेटवर्क में सिग्नल को दूरी इतनी ट्रैवल नहीं करनी पड़ती है जितना कि किसी सैटेलाइट कनैक्शन में होता है। इसलिए वर्तमान समय पर स्टारलिंक आपके इंटरनेट से धीमा रहेगा।
परंतु, यहाँ हम उन जगहों कि बात कर रहें हैं जहां पर किसी भी मोबाइल ऑपरेटर या फाइबर ब्रॉडबैंड कनैक्शन को पहुँचने के लिए काफी समय लग जाएगा। इन सुदूर इलाकों में स्टारलिंक लोगों के लिए वरदान तरह साबित हो सकता है और यहाँ पर लोगों को इंटरनेट की स्पीड से ज्यादा इंटरनेट कि उपलब्धता के ऊपर उत्साह होगा। तो, हाँ! आने वाले समय में स्टारलिंक काफी ज्यादा लोकप्रिय होने वाला है। वैसे कई-कई जगहों पर तो स्टारलिंक मोबाइल ऑपरेटर की तरह भी काम कर सकता है।
वैसे हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि, मस्क कि कंपनी स्पेस-एक्स कई हैरत से भरे कामों को अंजाम देने के लिए जानी जाती है। इसलिए स्टारलिंक की स्पीड के ऊपर हमें अभी से संदेह नहीं करना चाहिए। फिलहाल स्टारलिंक का औसतन स्पीड 150 Mbps तक सीमित है। आपकी स्टारलिंक को लेकर क्या राय हैं, जरूर ही कमेंट करके हमें बताइएगा।
“Starlink” लगाने का क्या खर्च आता हैं? :-
भारत जैसे देश में जहां 50%-60% जनता मध्यवर्ग के श्रेणी से आती है, वहाँ इंटरनेट लगवाने का खर्च एक बहुत ही जरूरी भूमिका निभाता है। स्टारलिंक (spacex starlink mission in hindi) भले ही सुनने में बहुत ही ज्यादा भविष्यवादी शब्द लगता हो, परंतु सच तो ये है की इसको भारत के ज़्यादातर लोग अफोर्ड ही न कर पायें। आज के जमाने में जियो जैसी कंपनियाँ 1500 रूपय से ही इंटरनेट की सेवाएँ ब्रॉडबैंड के आकार में दे रहीं हैं। परंतु फिर भी भारत में ब्रॉडबैंड लेने वाले लोग काफी कम हैं।
ऐसे में अगर स्टारलिंक जैसी सेवाएँ महीने में 7,307 रूपये जितना चार्ज करेंगी, तो भारत में शायद ही ये सेवाएँ आम जनता तक पहुँच पाएँगी। क्योंकि ज़्यादातर लोगों की एक महीने की कमाई भी इतनी नहीं है। इसके अलावा अगर आप पहली बार अपने घर में स्टारलिंक को लगा रहें हैं तो, अलग से आपको 36,905 रूपये इन्स्टालैशन चार्जेस देने पड़ेंगे। वैसे इसके साथ ही आप लोगों तरह-तरह के टैक्ससेस और वैल्यू एडेड सेर्विसेस की कीमत भी चुकानी पड़ेगी। क्योंकि, सैटेलाइट्स कनैक्शन आम तौर पर काफी महंगा ही रहता है।
तो, आप कह सकते हैं कि, इतनी कीमत में भारत कि आम जनता शायद ही इस कनैक्शन को लगवाए। इसके अलावा कई बार देखा गया है कि, एक ऑर्डर को पूरा करने के लिए स्पेस-एक्स 6 महीने तक का वक़्त भी ले रहा है। ऐसे में संशय होता हैं कि, क्या स्पेस-एक्सStarlink का ये इंटरनेट कनैक्शन कभी भारत जैसे विकासशील देश में लोकप्रिय हो पाएगा। मित्रों! अभी कह पाना तो बहुत ही मुश्किल है, परंतु क्या कभी आप इस इंटरनेट कनैक्शन को लगाने के बारे में सोचेंगे?