पूरी दुनिया मे इस वक्त 13,845 न्युक्लिर हथियार (Nuclear Attack In Hindi) मौजूद हैं, जो अपनी शक्तिशाली ताकत से कुछ बी बर्बाद कर सकते हैं। इनमें से 90 परसेंट तो केवल अमेरिका और रूस के पास हैं और बाक़ी के 10 परसेंट न्यूक्लियर वेपन (nuclear weapons) ही चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, यूके और नोर्थ कोरिया के पास हैं। आजतक केवल एक बार ही इन हथियारों को किसी धनी आबादी वाले शहर पर छोड़ा गया है, जिसे आप 1945 के हिरोशिमा और नागासाकी धमाकों से जानते हैं। इन धमाकों में लाखों लोगों की मौत हुई थी, और रेडियेशन ने कई आने वाली पीढ़ियाँ विकृत या डिफोर्म शरीर लेकर ही पैदा हुईं।
इस भयानक मानव त्रासदी के बाद आजतक कभी भी कहीं पर भी न्यूक्लियर अटैक (Nuclear Attack In Hindi) नहीं किया गया है। पर जो हिरोशिमा और नागासाकी ने झेला वैसा होना अब बहुत कम है पर अगर हुआ तो तबाही बहुत भयानक होगी। और आज का ये लेख न्यूक्लियर अटैक और उससे होने वाली तबाही से लेकर के उससे बचने के तरीकों के बारे में है, ये लेख पढ़ने के बाद आप पूरी तरह से न्यूक्लियर अटैक को समझ जायेंगे और ये भी जान लेंगे कि अगर कभी किसी शहर पर ये अटैक हुआ तो उससे बचा कैसे जाये।
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आपके शहर में अगर हुआ न्यूक्लियर बम हमला – First Phase Of Nuclear Attack In Hindi
कल्पना कीजिए एक धनी आबादी वाले शहर की जहां करोड़ो लोग रहते हों, और हर दिन सुबह उठकर अपने ऑफ़िस, स्कूल, बिज़नेस और दूसरे कामों के लिए निकलते हों। ऐसे में अगर कभी इस भागम-भाग शहर पर कोई 250 किलो-टन टीएनटी की मात्रा का न्यूक्लियर अटैक कर दें और आप इसी शहर मैं मौजूद हों तो क्या-क्या हो सकता है आइये पहले इसे जान लेते हैं। (Nuclear Bomb Power In Hindi)
जैसे ही ये बम गिरेगा तो सेंकेंड के 100 वें हिस्से में ही गर्म प्लाज्मा (Hot Plasma) की एक ऐसी गेंद आपके सामने होगी जिसका तापमान सूर्य से भी ज्यादा होगा। ये प्लाज्मा तुरंत ही 1 किलोमीटर तक के रेडियस में आने वाली हर चीज़ को भाप में बदल कर खत्म कर देगा। कितनी भी शक्तिशाली इमारत हो या कोई लोहे का स्ट्करचर हो सबकुछ सेंकेंड में ही बाप बनकर के उड़ जायेगा। ब्लास्ट सेंटर से लगभग 3 किलोमीटर प्रतिवर्ग की एरिया में कुछ नहीं बचेगा।
वहीं अगर आप एक किलोमीटर के रेडियेस से बाहर खड़े हुए हैं तो जब न्यूक्लियर ब्लास्ट होगा तो उससे बनने वाला प्लास्मा इतनी ज्यादा लाइट पैदा करेगा जैसे कि हजारों सूर्य आपके सामने आकर के खड़े हो गये हों, अगर आप उसे देखने की कोशिश करते हैं, या आपका सिर उसी दिशा में है तो आप इस तीव्र लाइट से कई मिनटों तक अंधे भी हो सकते हैं, आपका आस-पास का सबकुछ दिखाना बंद हो सकता है।
न्यूक्लियर हमले का दूसरा चरण – Second Phase Of Nuclear Attack In Hindi
पर अगर आप इससे भी बच जाते हैं, तो फिर आपको अगली और खतरनाक चीज़ का सामना करना पड़ सकता है, ब्लास्ट होने के कुछ ही सेंकेंड में डेटोनेशन साइट से लगभग 7 किलोमीटर के रेडियस तक हर वो चीज़ जलने लगेगी जो जल सकती है, ब्लास्ट से निकलने वाले थरमल रेडियेशन लगभग 153 किलोमीटर स्कावयर की पूरी एरिया को बहुत हद तक जला सकता है, लकड़ी, गत्ते औऱ कपड़े जो कुछ भी इस रेडियेशन की चपेट में आयेगा वो जल उठेगा।
आप और मैं अगर उस समय इस जगह पर हुए तो हमें थर्ड डिग्री बर्न (Third Degree Burn) का सामना करना पड़ सकता है, जो हमारी Skin और कुछ Nerves को जला देगा। इससे बचने के लिए मैं आपको आगे एक रास्ता बताऊँगा पर अभी फिलहाल आगे हम न्यूक्लियर बम की और खतरनाक ताकत को जानने वाले है।
एक या दो किलमोटीर की एरिया में रहने वाला हर शख्स तुरंत खत्म हो जायेगा पर अगर आप इस दूरी से थोड़ा दूर हैं तो अब न्यूक्लियर ब्लास्ट का अगला चरण आपको परेशान करने वाला है।
Shock Wave
ब्लास्ट होने कुछ ही सेकेंड के बाद आपको सोक वेव (Shock Wave) का सामना करना है, ये सोक वेव (Shock Wave) न्यूक्लियर ब्लास्ट से निकलने वाले Plasmaके गोले की हीट और रेडियेशन (Heat And Radiation) से बनती है जिसमें हवा बहुत भयानक रूप में गर्म हो जाती है जिसमें बहुत हद तक कंप्रेस हवा (Compressed Air) भी होती है, इसकी वजह से ये बहुत तेजी से फैलने लगती है, ये सोकवेव इतनी ज्यादा घातक होती है कि इसकी गति आवाज की गति से भी कई गुना तेज़ होती है से और हवा कई विशालकाय तुफानों और बंबडरो से भी ज्यादा तेज़ स्पीड से हमारी इमारतों, पेड़ो और हमारे इंफ्रस्टाकचर को बर्बाद कर सकती है।
ये वेब ब्लास्ट सेंटर से तीन किलोमीटर तक की सभी इमारतों और धरोवरों को तोड़ सकती है, पार्क और बगीचों में लगे पेड़ो को उखाड़ कर फेंक सकती है, अगर आप इसकी चपेट में आ गये तो ये आपको एक धूल के कण के समान उछाल कर ना जानें कितनी दूर फेंक दे। हालांकि ये Shock Wave दूरी के हिसाब से कमजोर होती रहती है पर 250 किलो-टन टीएनटी के उर्जा वाला बम कमसेकम 61 प्रतिवर्ग किमी एरिया के सभी मकानों को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है। शहर में लगे गैस स्टेशन से लेकर के उर्जा के संसाधनो सभी में आग लग सकती है जिससे हजारों लाखों लोग बुरी तरह से प्रभावित हो जायेंगे।
न्यूक्लियर हमले का तीसरा चरण – Third Phase Of Nuclear Attack In Hindi
पर इसके बाद भी ये बम किसी का पीछा नहीं छोडेंगा, जब न्यूक्लियर बम फटते हैं तो वो एक मशरुम क्लाउड (Mushroom Cloud) को भी बनाते हैं जो वास्तव में एक मशरूम के आकार का बादल होता है, ये कई किलोमीटर लंबा और चौड़ा होता है, इसमें होट प्लाज्मा, आसपास की धूल और इमारतों के टुकड़े भी शामिल होते हैं, जैसे ये बादल बनेगा आसपास की जगह को एक दम काली रात में बदल देगा, धूल और धूंध की भयानक चादर आपके सामने होगी, जो सभी का दम घोट़ने के लिए पागल हो जायेगी।
ये क्लाउड आसपास की सभी हवा को अपनी तरफ खींच कर वहां के वातावरण को जानलेवा बना सकता है। अगर आप ब्लास्ट सेंटर से 13 किमी दूर हैं तो आप ये एक्सप्लोशन और उसके मशरूम क्लाउड को देखने की कोशिश कर सकते हैं, पर ये मौका आपको बहुत कम सेकेंड तक ही मिलने वाला है, जो सोकवेव बनी थी, वो आप तक पहुँच कर आपकी खिड़की और गाड़ियों के कांच के ग्लास तोड़ सकती है, जिससे हर तरफ गिलास ही गिलास बिखर-कर आपको नुकसान पहुँचा सकता है।
Air blast या Shock Wave का 13 किमी का रेडियेस पूरे 503 स्कावर किमी तक के एरिया को पूरी तरह नुकसान पहुँचा सकता है, मैं 250 किलो-टन टीएनटी के बम की बात कर रहा था, अगर यही हमला एक मेगाटन टीएनटी (1 Megaton TNT) की उर्जा वाले न्यूक्लियर बम (Nuclear Bomb Power In Hindi) से हो तो डोटेनेशन साइट से लगभग 20 किमी रेडियस तक में आने वाले सभी मकान बुरी तरह से टूटकर गिर सकते हैं, ये एरिया इतना बड़ा है कि इससे पूरा दिल्ली शहर चपेट में आ सकता है।
न्यूक्लियर अटैक मतलब हर तरह की तबाही – Nuclear Attack Power In Hindi
न्यूक्लियर अटैक अपने साथ हर तरह की तबाही ही है, इसमें भूंकप, सुनामी, और तूफानों को भी मिला दिया जाये तो वो भी कम पड़ जायें। किसी शहर पर गिरा तो हर जगह मलबे में दबे लोग, रेडियेशन (Radiation) से बीमार होते लाखों लोग आसपास ही मदद की आस लगा रहे होंगें और उनकी मदद करने वाला भी कोई नहीं होगा, क्योंकि जैसे ही धमाका होगा उसके कुछ घंटो और दिन के बाद न्यूक्लियर फालआउट (Nuclear Fallout) चालू हो जायेगा, यानि की एक ऐसी काली बारिश जो आसमान से रेडियेशन की बरसात कर रही होगी, जो भी लोग बिल्डिंग के टूटने से, आग लगने से बच भी जायेंगे तो वो आगे आने वाले दिनों में और हफ्तों में रेडियेशन से धीरे-धीरे मर सकते हैं।
रेल की पटरियों के टूटने से और रोड़ के बर्बाद होने के कारण आपके पास कोई नहीं पहुँच पायेगा, हेलीकॉप्टर के जरिए मदद मिलना भी मुश्किल होगा क्योंकि वो एरिया इतना रेडियोऐक्टिव (Radioactive) हो जायेगा कि वहां कुछ घंटे रूकना जानलेवा साबित होगा। आप सोच भी नहीं सकते कि एक न्यूक्लियर धमाका एक शहर पर कितना खतरनाक और घातक होगा। Nukemap वेबसाइट की मानें तो अगर दिल्ली में ये धमाका होता है कमसेकम 10 लाख लोग तो तुरंत ही पहले चरण में मारे जायेंगे और कमसेकम 40 लाख लोग इस धमाके से पूरी तरह घायल हो सकते हैं।