आज के इस आधुनिक जमाने में लोगों को भले ही खाने और पीने का समान न मिलें, परंतु इंटरनेट (6G Hit 100 Gbps) उन्हें जरूर चाहिए। पिछले कुछ सालों में जिस हिसाब से इंटरनेट का इस्तेमाल पूरी दुनिया में बढ़ा हैं, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि, पूरी कि पूरी दुनिया इस इंटरनेट के माया जाल में बंध चुकी है। ऐसे में समय के साथ-साथ मानव और भी ज्यादा विकसित होने लगा है और धीरे-धीरे इंटरनेट की भी संरचना बदल रहीं है। भारत में तो आज 4G का जमाना चल रहा है, वहीं दूसरी और जापान जैसे देशों में वर्तमान 6G आ चुकी है।
ऐसे में आप खुद ही समझ सकते हैं कि, भारत को इंटरनेट (6G Hit 100 Gbps) के क्षेत्र में और कितना आगे बढ़ना होगा। आज की बात करें तो, आज भी देश के कई अंग ऐसे भी हैं, जहां 4G तो छोड़िए ढंग से वहाँ 2G भी नहीं आता है। ऐसे में हमें इसके बारे में काफी अहम कदम उठाने होंगे। खैर आज के हमारे लेख का विषय 6G के ऊपर आधारित है। क्योंकि इंटरनेट का ये छठा जेनेरेशन पूरी दुनिया में आज सुर्खियाँ जुटा रहा है।
और ये ही वजह है कि, हम भी आज इसी विषय के ऊपर गहन चर्चा कर लेंगे। ताकि आप लोगों को भी ये विषय और इससे जुड़ी हर एक जानकारी अच्छे से समझ में आ जाए। तो, चलिये अब बिना किसी देरी किए हुए लेख में आगे बढ़ते हैं और इसके मूल विषय को आरंभ करते हैं।
विषय - सूची
6G की स्पीड ने क्रॉस किया 100 Gbps! – 6G Hit 100 Gbps :-
मित्रों! ऊपर शीर्षक पढ़ कर आप लोगों को कैसा लग रहा है? माने, क्या आपको ये शीर्षक सच लग रहा है! मेरे हिसाब यहाँ पर बहुत सारे लोगों को, शीर्षक पढ़ कर यकीन ही नहीं हो रहा होगा। परंतु आप लोगों को मैं बता दूँ कि, ये शीर्षक पूरी तरीके से सच है। क्योंकि वर्तमान में ही 6G के स्पीड को टेस्ट किया गया है और इंटरनेट की ये स्पीड अभूतपूर्व है। आप लोगों की इसके बारे में क्या राय है, कमेंट कर के जरूर बताइएगा।
वैसे आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, जापान के कुछ वैज्ञानिकों ने हाई-फ्रीक्वेंसी बैंड पर लगभग 100 Gbps के स्पीड में डैटा को ट्रांस्फर किया है। यहाँ एक रोचक बात ये भी है कि, डेटा ट्रांसफर करने की दूरी लगभग 330 फीट की है। जापान की कुछ टेलीकॉम कंपनियाँ आपस में मिल कर दुनिया के पहले 6G वायरलैस डिवाइस का आविष्कार किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस डिवाइस से हम लगभग 90 मीटर तक काफी तेजी से डैटा को ट्रांसफर करवा सकते हैं।
खैर यहाँ सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि, आज के जमाने में इस्तेमाल हो रहें 5G के तुलना में ये लगभग 20 गुना ज्यादा तेज हैं। परंतु एक खास बात यहाँ ये भी हैं कि, औसतन 5G मोबाइल फोन की तुलना में 6G की स्पीड लगभग 500 गुना ज्यादा है और काफी सटीक व स्टैबल भी है। तो, अब आप यहाँ खुद सोचिए कि, ये तकनीक आखिर कितनी विकसित और भविष्यवादी होगी!
असल में आखिर कितना तेज है 6G! :-
अब लोगों के मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि, आखिर असल जिंदगी में 6G इंटरनेट (6G Hit 100 Gbps) की स्पीड कितनी है। तो, मैं आप लोगों को बता दूँ कि, 6G पे आप हर एक सेकंड 5 फूल-एचडी फिल्म ट्रांसफर कर सकते हैं। एक रिपोर्ट में ये भी पाया गया है कि, हम इस्तेमाल कर रहें 5G के तुलना में ये लगभग 500 गुना ज्यादा तेज है। वैसे व्यक्तिगत तौर पर मुझे ऐसा लगता है कि, 6G की स्पीड आने वाले समय में काफी कुछ बदल कर रख देगी।
वैसे आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, जिस 6G वायरलेस डिवाइस को हाल ही में जापान में बनाया गया है। वो इंडोर 100 GHz और आउटडोर 300 GHz के बैंड विड्थ पर काम करता है और इस पर काम करते हुए ये 100 Gbps की रेट तक पहुँच सकता है। खैर यहाँ एक खास बात ये भी हैं कि, 5G का लाँच साल 2019 में हुआ है और इसे अभी तक काफी लोगों ने इस्तेमाल भी नहीं किया है। ऐसे में 6G की तकनीक अभी जनता तक पहुँचने में काफी देरी है।
वैज्ञानिकों के अनुसार आज के औसतन 5G इंटरनेट की स्पीड 204.9 Mbps की है और थ्योरी के अनुसार 5G का सर्वाधिक डेटा ट्रांस्फर रेट 10 Gbps तक ही सीमित हैं। ऐसे में 5G और 6G में काफी ज्यादा अंतर को देखा जा सकता हैं। खैर शोधकर्ता अभी से ही 6G को लाँच करने में लगे हुए हैं।
आखिर बाजार में कब तक आ सकता है 6G? :-
जैसा की मैंने आप लोगों को अभी-अभी बताया, 6G (6G Hit 100 Gbps) की तैयारी अभी से ही शुरू हो चुकी है। ये ही वजह है कि, आने वाले कुछ सालों में हमें 6G बाजार में एंटर करता हुआ नजर भी आ जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार हमें 2030 तक 6G को इस्तेमाल करने का मौका मिल सकता है। क्योंकि 6G के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और तकनीक काफी समय पहले से ही बनते हुए आ रहें हैं। इसलिए 6G की बाजार में रोल-आउट काफी जल्दी और व्यापक रूप से होगा।
वैसे 5G और 6G में सबसे बड़ा अंतर इनकी ओपेरेशनल फ्रिक्वेन्सी का है। ये फ्रिक्वेन्सी आमतौर पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम का हिस्सा होते हैं। सरल भाषा में कहूँ तो, जीतना हायर फ्रिक्वेन्सी उतना अधिक स्पीड। खैर यहाँ एक बात ये भी हैं की, हम लोगों को 6G के बारे में अभी काफी कुछ जानना होगा। क्योंकि बाजार में 6G का व्यापक रूप से रोल-आउट तभी संभव हैं, जब लोग इसके बारे में जानते होंगे। आज की बात करें तो, भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा इंटरनेट से वंचित हैं।
हाँ! इस बात को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है की, हमारे देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या काफी ज्यादा बढ़ रहीं है। परंतु हमें यहाँ ये भी देखना होगा की, सिर्फ “Higher Internet Generation” के चक्कर में, हम बैसिक कम्युनिकेशन के बुनियादी ढांचों को ही न भूल जाएँ। क्योंकि इसी से ही हमारा देश जुड़ता हैं और जुड़ता रहेगा भी। तो, पहले 4G/ 5G को बेहतर कर लें फिर 6G की और चलेंगे।
निष्कर्ष – Conclusion :-
हम आज जिस 5G को अपने स्मार्ट-फोन पर इस्तेमाल कर रहें हैं, वो आमतौर पर 6GHz-40GHz के अंदर काम करता है। वैसे इस बैंड-रेंज को “मिलीमीटर-वेव बैंड्स (mmWave)” भी कहते हैं। परंतु 6G (6G Hit 100 Gbps) एक अलग ही लेवल पर काम करता हैं, जिसको की “Sub-THz” बैंड भी कहा जाता हैं। आमतौर पर इस बैंड रेंज में 100 GHz- 300 GHz की फ्रिक्वेन्सी शामिल होते हैं। इतनी हाइ फ्रिक्वेन्सी पर डैटा को ट्रांस्फर करवाने के कारण डैटा बहुत स्पीड में ट्रास्न्फ़र तो होता हैं, परंतु इसमें काफी ज्यादा इंटरफेरेंस भी देखने को मिलते हैं।
ये ही वजह हैं कि, हायर इंटरनेट स्पीड के लिए नेटवर्क का स्टैबल होना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि बिना नेटवर्क स्टैबिलिटी के कोई भी टेली-कम्युनिकेशन नेटवर्क कुछ काम नहीं हैं। मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगा की, 6G जैसे हायर इंटरनेट कैपबल जेनेरेशन घरों के अंदर सही तरीके से काम नहीं करते हैं। क्योंकि घरों के अंदर इनकी सिग्नल स्ट्रेन्थ काफी ज्यादा कम या पूरी तरीके से ब्लॉक हो जाते हैं। ऐसे में इसके ऊपर आज भी काफी ज्यादा शोध चल रहें हैं, जिससे इसको ठीक किया जा सकता है।
वैसे यहाँ एक बात ये भी है कि, ज़्यादातर लोगों का 4G से 5G तक का जंप मीडिया उपभोग के कारण ही हुआ है। परंतु 5G से 6G तक का जंप वर्चुअल रियलिटीऔर होलोग्राफिक कम्युनिकेशन के कारण ही होगा। ऐसे में ये देखना होगा कि, आखिर आम जनता 6G को किस तरीके से अपना रहीं है और इसे इस्तेमाल करने वाली है।
Sources :- www.livescience.com