हिन्दू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है जो हर तरह से वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है। यह हिन्दू धर्म कई संप्रदायों में बंटा हुआ है जिसमें पाँच संप्रदाय मुख्य हैं – वैदिक, शैव, वैष्णव, स्मार्त और संतमत। शाक्त भी शैव के अंतर्गत आता है। भगवान शिव तथा उनके अवतारों को मानने वालों को शैव कहते हैं। यहां प्रस्तुत हैं ब्रह्मा के पुत्र राजा दक्ष की बेटी सती के पति भगवान शिव और उनके पंथ का वो रहस्य जो आप नहीं जानते होंगे।
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शैव पंथ के उप संप्रदाय
शैव संप्रदाय के मुख्य उप-संप्रदाय हैं:- दसनामी, शाक्त, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर। उक्त संप्रदाय के भी उप-संप्रदाय होते हैं:- जैसे दसनामी संप्रदाय के 10 नाम:- गिरि, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम।
शैव पंथ के प्रचारक
भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
शैव पंथ के अखाड़े :
तेरह अखाड़ों में से जूना अखाड़ा इनका खास अखाड़ा है। इसके अलावा अग्नि, आह्वान, निरंजनी, आनंद, महानिर्वाणी एवं अटल अखाड़ा आदि सभी शैव से संबंधित है। वैष्णवों में बैरागी, उदासीन, रामादंन और निर्मल अखाड़ा प्रमुख है।
शैव पंथ के साधु-संत
शैव साधुओं को नाथ, अघोरी, कापालिक, शमशानी, अवधूत, बाबा, ओघड़, योगी, सिद्ध, महंत, परमहंस, आनंद, मंडलेश्वर और नागा आदि कहा जाता है।
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शैव पंथ के संस्कार
भगवान शिव को मानने वाले इस पंथ में कई संस्कार अपनाये जाते हैं जो निम्नलिखित नीचे प्रस्तुत हैं –
1.शैव संप्रदाय के लोग एकेश्वरवादी होते हैं।
2.इसके संन्यासी जटा रखते हैं।
3.इसमें सिर तो मुंडाते हैं, लेकिन चोटी नहीं रखते।
4.इनके अनुष्ठान रात्रि में होते हैं।
5.इनके अपने तांत्रिक मंत्र होते हैं।
6.यह निर्वस्त्र भी रहते हैं, भगवा वस्त्र भी पहनते हैं
7.हाथ में कमंडल, चिमटा रखकर धूनी भी रमाते हैं।
8.शैव चंद्र पर आधारित व्रत उपवास करते हैं।
9.शैव संप्रदाय में समाधि देने की परंपरा है।
10.शैव मंदिर को शिवालय कहते हैं।
11.यह भमूति तीलक आड़ा लगाते हैं।
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साभार – बेवदुनिया