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दीमापुर-यहां आज भी शंतरंज की विशाल गोटियां जिनसे खेलते थे भीम और घटोत्कच

महाभारत की कहानियों में आपने भीम और उनके पुत्र घटोत्कच का ज़िक्र तो सुना ही होगा। कहा जाता है कि भीम में 10,000 हाथियों का बल था, और उनके पुत्र घटोत्कच उनसे भी अधिक शक्तिशाली थे। अब ज़रा सोचिए, इतने बलशाली व्यक्तियों का शरीर कितना विशाल होता होगा और उनके खिलौने भी उतने ही बड़े होते होंगे।

जी हाँ, यह सच है! भारत में एक ऐसी जगह है जहाँ शतरंज की गोटियाँ बहुत विशाल आकार की हैं और उनका वजन भी काफी अधिक है। चलिए, इसके बारे में और जानते हैं –

कहां है दीमापुर

भारत के पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में स्थित दीमापुर एक ऐतिहासिक और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर शहर है। इसे पहले हिडिंबापुर के नाम से जाना जाता था, क्योंकि महाभारत काल में यहाँ हिडिंब राक्षस और उसकी बहन हिडिंबा रहते थे। हिडिंबा ने यहीं पर भीम से विवाह किया था। डिमाशा जनजाति, जो यहाँ बहुलता में रहती है, खुद को हिडिंबा का वंशज मानती है।

दीमापुर में आज भी हिडिंबा का वाड़ा है, जहाँ राजवाड़ी में स्थित शतरंज की ऊंची-ऊंची गोटियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इनमें से कुछ गोटियां अब टूट चुकी हैं। यहाँ के निवासियों का मानना है कि इन गोटियों से भीम और उनके पुत्र घटोत्कच शतरंज खेलते थे। पांडवों ने अपने वनवास का काफी समय यहाँ बिताया था।

हिडिंबा और भीम की कहानी

महाभारत की कथा के अनुसार, जब पांडवों का घर षड्यंत्र के तहत जलाया गया, तो वे वन में चले गए। वहाँ हिडिंब राक्षस अपनी बहन हिडिंबा के साथ रहता था। एक दिन हिडिंब ने हिडिंबा को भोजन की तलाश में भेजा, जहाँ उसने भीम को देखा और उससे प्रेम कर बैठी। हिडिंब को यह बात पसंद नहीं आई और उसने पांडवों पर हमला कर दिया, लेकिन भीम ने उसे मार डाला।

हिडिंब के मरने के बाद, हिडिंबा ने भीम से विवाह की प्रार्थना की, जिसे युधिष्ठिर ने स्वीकार कर लिया। भीम और हिडिंबा का पुत्र घटोत्कच जन्म लेते ही बड़ा हो गया और उसने महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से लड़ते हुए वीरगति पाई।

 

दीमापुर की सुंदरता

दीमापुर का नाम तीन शब्दों – दी, मा, और पुर से मिलकर बना है। कचारी भाषा में दी का अर्थ नदी, मा का अर्थ महान, और पुर का अर्थ शहर होता है। यहाँ कचारी शासनकाल के मंदिर, तालाब और किले देखे जा सकते हैं, जिनमें राजपुखूरी, पदमपुखूरी, बामुन पुखूरी और जोरपुखूरी प्रमुख हैं।

इस प्रकार, दीमापुर न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी प्रसिद्ध है।

Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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