Religion

भगवान शिव की रहस्यमयी गुफा जिसमें लिखे लेख आज भी नहीं पढ़े जा सके हैं.

भगवान शिव त्रिदेवों में से एक भगवान हैं, यह हिन्दू(सनातन) धर्म के एक प्रमुख देवता हैं जिनकी हर कोई पूजा करता है। वैसे तो भगवान शिव की अनेक गुफाँए हैं पर यह गुफा बहुत रहस्यमयी है, इस गुफा के बारे में माना जाता है कि इसे इंसानो ने नहीं बल्कि खुद प्रकृति ने बनाया है। आईये जानते हैं –

बिहार के प्राचीन शिवलिंगों में शुमार रोहतास जिले के गुप्तेश्वर धाम गुफा स्थित शिवलिंग की महिमा का बखान आदिकाल से ही होता आ रहा है। मान्यता है कि इस गुफा में जलाभिषेक करने के बाद भक्तों की सभी मन्नतें पूरी हो जाती हैं।

पौराणों में वर्णित भगवान शंकर व भस्मासुर से जुड़ी कथा को जीवंत रखे हुए ऐतिहासिक गुप्तेश्वरनाथ महादेव का गुफा मंदिर आज भी रहस्यमय बना हुआ है। देवघर के बाबाधाम की तरह गुप्तेश्वरनाथ यानी गुप्ताधाम श्रद्धालुओं में काफी लोकप्रिय है।

यहां बक्सर से गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने की परंपरा है। रोहतास में अवस्थित विंध्य शृंखला की कैमूर पहाड़ी के जंगलों से घिरे गुप्ताधाम गुफा की प्राचीनता के बारे में कोई प्रामाणिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है।

इसकी बनावट को देखकर पुरातत्वविद अब तक यही तय नहीं कर पाए हैं कि यह गुफा मानव निर्मित है या प्राकृतिक। श्याम सुंदर तिवारी जो कई इतिहास की पुस्तकों को लिख चुके हैं वे कहते हैं कि गुफा के नाचघर व घुड़दौड़ मैदान के बगल में स्थित पाताल गंगा के पास दीवार पर उत्कीर्ण शिलालेख, जिसे श्रद्धालु ब्रह्मा के लेख के नाम से जानते हैं, को पढ़ने से संभव है, इस गुफा के कई रहस्य खुल जाएं।

गुफा में गहन अंधेरा होता है, बिना कृत्रिम प्रकाश के भीतर जाना संभव नहीं है। पहाड़ी पर स्थित इस पवित्र गुफा का द्वार 18 फीट चौड़ा एवं 12 फीट ऊंचा मेहराबनुमा है। गुफा में लगभग 363 फीट अंदर जाने पर बहुत बड़ा गड्ढा है,जिसमें सालभर पानी रहता है। श्रद्धालु इसे पाताल गंगा कहते हैं।

गुफा के अंदर प्राचीन काल के दुर्लभ शैलचित्र आज भी मौजूद हैं। इसके कुछ आगे जाने के बाद शिवलिंग के दर्शन होते हैं। गुफा के अंदर अवस्थित प्राकृतिक शिवलिंग पर हमेशा ऊपर से पानी टपकता है। इस पानी को श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

शिव ने यहीं ली थी भस्मासुर से बचने के लिए शरण

इस स्थान पर सावन के महीने के अलावा सरस्वती पूजा और महाशिवरात्रि के मौके पर मेला लगता है। जनश्रुतियों के मुताबिक, कैलाश पर्वत पर मां पार्वती के साथ विराजमान भगवान शिव ने जब भस्मासुर की तपस्या से खुश होकर उसे किसी के सिर पर हाथ रखते ही भस्म करने की शक्ति का वरदान दिया था।

भस्मासुर मां पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर शिव से मिले वरदान की परीक्षा लेने के लिए उन्हीं के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा। वहां से भागकर भोले यहां की गुफा के गुप्त स्थान में छुपे थे।

भगवान विष्णु से शिव की यह विवशता देखी नहीं गई और उन्होंने मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर का नाश किया। उसके बाद गुफा के अंदर छुपे भोले बाहर निकले। सासाराम के वरिष्ठ पत्रकार विनोद तिवारी कहते हैं शाहाबाद गजेटियर में दर्ज फ्रांसिस बुकानन नामक अंग्रेज विद्वान की टिप्पणियों के अनुसार, गुफा में जलने के कारण उसका आधा हिस्सा काला होने के सबूत आज भी देखने को मिलते हैं।

भक्तों का लगा रहता है तांता

सावन में एक महीने तक बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और नेपाल से हजारों शिवभक्त यहां आकर जलाभिषेक करते हैं। बक्सर से गंगाजल लेकर गुप्ता धाम पहुंचने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है।

चंद्रकाता में भी है जिक्र!

लोग बताते हैं कि विख्यात उपन्यासकार देवकी नंदन खत्री ने अपने चर्चित उपन्यास चंद्रकांता में विंध्य पर्वत, शृंखला की जिन तिलस्मी गुफाओं का जिक्र किया है, संभवतः उन्हीं गुफाओं में गुप्ताधाम की यह रहस्यमयी गुफा भी है।

वहां धर्मशाला व कुछ कमरे अवश्य बने हैं, परंतु अधिकांश जर्जर हो चुके हैं। गुप्ताधाम गुफा के अंदर ऑक्सीजन की कमी से वर्ष 1989 में हुई आधा दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं की मौत की घटना को याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं।

बैरिया गांव के प्रो. उमेश सिंह बताते हैं कि इस घटना के बाद ही प्रशासन की ओर से यहां कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे जाने लगे थे। प्रशासन की ओर से चिकित्सा शिविर भी लगता था, परंतु वन विभाग द्वारा इस क्षेत्र को अभयारण्य घोषित किए जाने के बाद प्रशासनिक स्तर पर दी जा रही सुविधा बंद कर दी गई हैं।

अब समाजसेवियों के सहारे ही इतना बड़ा मेला चलता है। जिला मुख्यालय सासाराम से करीब 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस गुफा में पहुंचने के लिए रेहल, पनारी घाट और उगहनी घाट से तीन रास्ते हैं जो अतिविकट व दुर्गम हैं। दुर्गावती नदी को पांच बार पार कर पांच पहाडियों की यात्रा करने के बाद लोग यहां पहुंचते हैं। साभार – बेवदुनिया , संस्कृति ब्लाग और अन्य स्रोत 

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button