हमारे हिंदू समाज में पूजा को सबसे उत्तम कर्म माना जाता है। यह वह जरिया है जो हमें परमात्मा के करीब पहुँचा देता है। सनातन धर्म में पूजा का विशेष महत्व होता है, हर कोई विभिन्न देवी -देवताओं की पूजा करता है और उनसे मनोकामना भी मांगता है।
लेकिन कई बार लोग पूजा घर में भगवान की तस्वीरों के साथ अपने पूर्वजों की तस्वीर भी लगा देते हैं। कुछ लोगों के लिए मृत सदस्य उनके लिए इतने सम्मानित और पूज्यनीय होते हैं कि वे उनकी तस्वीरों को भगवान का दर्ज़ा देकर पूजा घर में ही टांग देते हैं।
अगर आप वास्तु को मानते हैं, तो वास्तु की दृष्टी से घर के पूजास्थल पर पूर्वजों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए. वास्तु-शास्त्र के मुताबिक, अगर आप पूजा घर में मृत व्यक्ति की तस्वीर रखते हैं, तो इसका सीधा मतलब है कि आप खुद अपने परिवार में अशांति और दुर्भाग्य को न्योता दे रहे हैं।
हालांकि, कुछ तमिलों का मानना है कि मृत लोग देवदूत बन जाते हैं और वे स्वर्ग में चले जाते हैं. इसीलिए उनका विश्वास होता है कि पूजा घर में भगवान के साथ ही मृत लोगों की तस्वीर रखने से और उनकी पूजा करने से शांति और सद्भाव का प्रसार होता है. ऐसा करने से वो भगवान के काफ़ी निकट महसूस करते हैं।
हिंदू धर्म के अनुसार, जब इंसान मरता है, तो उसकी आत्मा उसका शरीर छोड़ कर दूसरे के शरीर में चली जाती है। क्योंकि हिंदू धर्म के मुताबिक, हिंदू सिर्फ़ आत्मा की पूजा करते हैं शरीर की नहीं। इसलिए शरीर का दाह-संस्कार कर दिया जाता है. इसलिए अगर भगवान के साथ मृत व्यक्ति की पूजा होती है, तो उसे भगवान की निंदा ही माना जाता है।
वास्तु-शास्त्र के अनुसार, भगवान की तस्वीर को उत्तर या उत्तर-पूर्व की दिशा में रखना चाहिए। साथ ही पूजा घर हमेशा उत्तर-पूर्व में बनवाना चाहिए. मृत पूर्वजों की फ़ोटो दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण या पश्चिम में लगानी चाहिए. अगर आप वास्तु के क्रम में इन्हें नहीं रखते हैं, तो इससे न सिर्फ़ आपके घर में अशांति बढ़ेगी, बल्कि आर्थिक संकटों के दौर से गुज़रना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि हिंदुओं को श्राद्ध के दौरान अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के का अवसर मिलता है. इसके अलावा हिंदू पितृ पक्ष के समय भी अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।