महाभारत हिन्दुओं का प्रमुख ग्रंथ है जिसमें कौरवों और पांडवो के बारे में बताया गया है, इस विशाल ग्रंथ में राजनीति, कूटनीति का सटीक वर्णन है। महाभारत में वैसे तो हजारों प्रसंग हैं पर आज हम आपको एक ऐसा प्रसंग बताने जा रहे हैं जिसे बहुत ही कम लोग जानते हैं।।
पांचो पांडवों ने अपने मृत पिता पाण्डु का मांस खाया था उन्होंने ऐसा क्यों किया यह जानने के लिए पहले हमे पांडवो के जनम के बारे में जानना पड़ेगा। पाण्डु के पांच पुत्र युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे। इनमे से युधिष्ठर, भीम और अर्जुन की माता कुंती तथा नकुल और सहदेव की माता माद्री थी।.
पाण्डु इन पाँचों पुत्रों के पिता तो थे पर इनका जनम पाण्डु के वीर्य तथा सम्भोग से नहीं हुआ था क्योंकि पाण्डु को श्राप था की जैसे ही वो सम्भोग करेगा उसकी मृत्यु हो जाएगी। इसलिए पाण्डु के आग्रह पर यह पुत्र कुंती और माद्री ने भगवान का आहवान करके प्राप्त किये थे।
जब पाण्डु की मृत्यु हुई तो उसके मृत शरीर का मांस पाँचों भाइयों ने मिल बाट कर खाया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योकिं स्वयं पाण्डु की ऐसी इच्छा थी। चुकी उसके पुत्र उसके वीर्ये से पैदा नहीं हुए थे इसलिए पाण्डु का ज्ञान, कौशल उसके बच्चों में नहीं आ पाया था।
इसलिए उसने अपनी मृत्यु पूर्व ऐसा वरदान माँगा था की उसके बच्चे उसकी मृत्यु के पश्चात उसके शरीर का मांस मिल बाँट कर खाले ताकि उसका ज्ञान बच्चों में स्थानांतरित हो जाए।
पांडवो द्वारा पिता का मांस खाने के सम्बन्ध में दो मान्यता प्रचलित है। प्रथम मान्यता के अनुसार मांस तो पांचो भाइयों ने खाया था पर सबसे ज्यादा हिस्सा सहदेव ने खाया था। जबकि एक अन्य मान्यता के अनुसार सिर्फ सहदेव ने पिता की इच्छा का पालन करते हुए उनके मस्तिष्क के तीन हिस्से खाये।
पहले टुकड़े को खाते ही सहदेव को इतिहास का ज्ञान हुआ, दूसरे टुकड़े को खाने पे वर्तमान का और तीसरे टुकड़े को खाते ही भविष्य का। यहीं कारण था की सहदेव पांचो भाइयों में सबसे अधिक ज्ञानी था और इससे उसे भविष्य में होने वाली घटनाओ को देखने की शक्ति मिल गई थी।
शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण के अलावा वो एक मात्र शख्स सहदेव ही था जिसे भविष्य में होने वाले महाभारत के युद्ध के बारे में सम्पूर्ण बाते पता थी। श्री कृष्ण को डर था की कहीं सहदेव यह सब बाते औरों को न बता दे इसलिए श्री कृष्ण ने सहदेव को श्राप दिया था की की यदि उसने ऐसा किया तो मृत्यु हो जायेगी।
प्रिय महोदय!
अद्भूत बात की जानकारी आपके माध्यम से मिली इसके लिए हार्दिक स्नेह वंदन आपको आप भविष्य मे भी इसी तरह की जानकारियां देते रहे
आपका
देवीशंकर उपाध्याय
8674887711
bakvas
Thanks
बहुत ही रोचक जानकारी देने के लिये धन्यवाद !
We are one of the Professional in Packers and Movers, Household shifting, Home Relocation, Logistics and transportation services provided.
http://www.omway.co.in/
http://www.omway.co.in/
Thanks
Lot of thanks
Adhbhut mithya kahaniyo ka bhandar bhara h yhan ke logo ke dimag me.
Behad accha laga ye jankari padkar aise hi aur bhi jankari dikhaiye please
Pata nahi kon sahi h
On which chapter it was written in mahabharat kindly give infrmation
बहुत बहुत धन्यवाद आपको।
इस तरह के प्रसंग से अवगत कराए आप।
इतिहास से अवगत करवाने के लिए धन्यवाद।आशा करते हैं आप आगे भी ऐसी जानकारियां देते रहेंगे।शुभ रात्रि।?
Very interesting story
मुझे तो ये बात बकवास लग रही है ।
Ye apne hame adbught jankari di hi aae bhi asi hi abhilasha hi dhanyabad
पता नही इसमें कितनी सच्चाई हे इसके पहले ऐसा कहि नही सुना या पढ़ने में आया
आपको यह ज्ञान का स्रोत कहा से मिला।
या फिर मनगढन्त कहानी?
गलत जानकारी देकर इतिहासः को गन्दा न करे इसका वर्णन किस किताब में है जरा बताये
Kya aap bta sakte hai
Bhagwan ka pura arth kya hai
Maine jo suna hai uske mutabik Bhagwan sanskrit ka shabad hai or bhag ka arth female ling or wan ka arth male ling hai kya ye shi hai
गलत जानकारी दी है पांडवो के पिता का देहांत मासुन देश मे हुआ था और उस समय पांचो पाडव द्रोपदी और माता कुंती ये सब चौदह वर्ष के वनवास पर थे और चौदह साल का वनवास और पंद्रहवा साल गुप्त वास करके वापस अयोध्या आऐ तब कोंरवो के द्वारा सूचित किया गया और फिर अर्जुन ने द्रौपदी का घोड़ा सांवकरण लेके मासुन देश जाना वहा से राक्षसो युध्द करके राजा पांडव का पिंड अयोध्या मे लाया गया पिंड दान किया गया
पूरी जानकारी के लिए सांवकरण घोड़ा संस्करण पढे
धन्यवाद
Sahi bataya
संदर्भ बताइये
रामायण महाभारत मे कितनी सच्चाई हैं किसी को नही पता बस दुनिया को बेवकुफ बनाते चलो
Ye sab jhoot hai
Bina mahabharat padhe aisi bakwas news likhne ki himmat kaise ker dete ho
Pehle mahabharat padho phir kuch likho
Verna aise to adharm failega
Only bakvas
Esa koi verdan nai tha pandu ko
Aur na hi pandu ka maans pandvo ne khaya bcz mehabharat mai pandu ka antim sanskar ka parmaan h
Aur pandvo ka janam hi pandu ki martu k baad panch devtao k ashirvad se hua
To pandu ka maans khane ka to svaal hi ni hota.
Kavel hinduo ko badnaam krne k hatknda h
Shram kro
असत्य, मिथ्या और गौरवपूर्ण इतिहास का विकृतिकरण-
मुर्गे का मांस खाने वाले के अंदर मुर्गे की विद्या नही आती। जिस तरह बकरे का मांस खाने वाले के अंदर बकरे की विद्या नही आती। उसी प्रकार सुअर का मांस खाने वाला मैला नही खाने लगता। मांस खाने की आवश्यकता वहाँ शुरू हुई जहाँ जहाँ पेड़ पौधों की उपलब्धता नही थीं। जहाँ इस्लाम, ईसाई और पश्चिम के लगभग सभी धर्मो का जन्म हुआ। शर्म आनी चाहिए झूठ का समर्थन करते हुए मूढ़ बुद्धि महानुभावो को।
यह मिथ्या कथन ह । मांस खाने से कोई विद्वान नही बनता । ओर भगवान के वरदान से प्राप्त पुत्र तो बुद्धिहीन हो ही नही सकता ।
हम आपसे विनती करते ह कि बुद्धिमान बनने के लिए आप मांस खाते ह तो इसे त्याग दे । सायद इसीलिए आप बुद्धिहीन बाते करते ह
Bahut a atche bat ish jankare Ko Deni k liye ham apka abhar byakt krte h .Jay Shree Radhe Krishna
हिन्दुओ को नीचे दिखाने के लिए ये सब कुश लिखा है तुम्हारे 7पीढियो का इतिहास तो पता नही है पांडवो के बारे में क्या जाने आप लोग
Kuch v likh dete hi aur sarm v nhi aati aisa kuch likhne Me jo kbhi pdha nhi suna nhi wo kaise aap bol skte hi kripa krke aise bate Na likhe
Pandavas had eaten the meat of their dead father,cannot be relied.kindly give the details of documents for verification and avoid to publish such dirty stories which will be utilised by nonhindus to attack on the Hindus facts and findings.
Thanku sir
Ye kya fargi khabar hai kya iska koi saboot de skte ho kha se liya gya hai ye ullekh . Nahi to fir me complaint krunga tumhare khilaaf jhuthi khabar ke liye
14 bars ke vanwas pr to pancho bhai or dropadi gye the or Pandu ki mirtu pandvo ke bchpan me ho gayi thi