रुद्राक्ष, तुलसी जैसी दिव्य औषधियों की माला पहनने के पीछे वैज्ञानिक मान्यता यह है कि होंठ और जीभ का उपयोग कर मंत्र जप करने से गले की धमनियों को सामान्य से ज्यादा काम करना पड़ता है। इसके कारण कंठमाला, गलगंड आदि रोगों के होने की आशंका होती है। इनसे बचाव के लिए गले में रुद्राक्ष व तुलसी की माला पहनी जाती है।
धार्मिक मान्यताएं– रुद्राक्ष की माला एक से लेकर चौदहमुखी रुद्राक्षों से बनाई जाती है। वैसे तो 26 दानों की माला सिर पर, 50 की गले में, 16 की बाहों में और 12 की माला मणिबंध में पहनने का विधान है। 108 दानों की माला पहनने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। इसे पहनने वाले को शिव लोक मिलता है, ऐसी पद्म पुराण, शिवमहापुराण आदि शास्त्रों की मान्यता है।
शिवपुराण में कहा गया है-
यथा च दृश्यते लोके रुद्राक्ष: फलद: शुभ:।
न तथा दृश्यन्ते अन्या च मालिका परमेश्वरि।।
विश्व में रुद्राक्ष की माला की तरह दूसरी कोई माला फल देने वाली और शुभ नहीं है।
श्रीमद् देवी भागवत में लिखा है-
रुद्राक्ष धारणच्च श्रेष्ठ न किचदपि विद्यते।
विश्व में रुद्राक्ष धारण से बढ़कर कोई दूसरी चीज नहीं है। रुद्राक्ष की माला श्रद्धा से पहनने वाले इंसान की आध्यात्मिक तरक्की होती है। सांसारिक बाधाओं और दुखों से छुटकारा मिलता है। दिमाग और दिल को शक्ति मिलती है। ब्लडप्रेशर नियंत्रित रहता है। भूत-प्रेत आदि बाधाएं दूर होती हैं। मानसिक शांति मिलती है। गर्मी और ठंड से होने वाले रोग दूर होते हैं। इसलिए इतनी लाभकारी, पवित्र रुद्राक्ष की माला में भारतीय लोगों की अनन्य श्रद्धा है।
तुलसी का हिंदू संस्कृति में बहुत धार्मिक महत्व है। इसमें विद्युत शक्ति होती है। यह माला पहनने वाले में आकर्षण और वशीकरण शक्ति आती है। उसकी यश, कीर्ति और सौभाग्य बढ़ता है। तुलसी की माला पहनने से बुखार, जुकाम, सिरदर्द, चमड़ी के रोगों में भी लाभ मिलता है।संक्रामक बीमारी और अकाल मौत भी नहीं होती, ऐसी धार्मिक मान्यता है। शालग्राम पुराण में कहा गया है तुलसी की माला भोजन करते समय शरीर पर होने से अनेक यज्ञों का पुण्य मिलता है। जो भी कोई तुलसी की माल पहन कर नहाता है, उसे सारी नदियों में नहाने का पुण्य मिलता है।