The Truth Behind The Failure and Success Hindi – हमारे समाज में एख अवधारणा कई सदियों से चली आ रही है कि जो व्यक्ति ज्यादा बुद्धिमान होता है वही आगे जाके सफल होता है। समाज में इस धारणा के तहत कई बच्चों और लोगों पर हमेशा दवाब रहता है कि वह हमेशा टॅाप करें।
आजकल हर माता-पिता भी बच्चों से इसी धारणा के तहत उम्मीद रखते हैं, बच्चों को सिखाया जाता है कि कभी फेल मत हो, फेल होना बहुत ही शर्मनाक है। ऐसे में बच्चों पर बचपन से हमेशा दवाब रहता है कि वह बहुत ही अच्छे मार्क्स लायें।
समाज भी आज इसी धारणा पर लोगों को नापता है। जब आप स्कूल और में होते हैं तो यही दवाब बना रहता है कि कभी फेल नहीं होना है बस टॅाप करते जाना है। हर फील्ड में हमे टॅाप करते रहें।
दोस्तों, वास्तव में फेल होने को लेकर जो विचारधारा हमारे समाज में बनी है वह बहुत ही गलत है। फेल होना ही जिंदगी की वास्तविक्ता का आभास कराता है। जब हम फेल होते हैं तभी हमें पता चलता है कि हम कहां है और क्या कर रहे हैं।
फेल होना एक नया अनुभव देता है, एक ऐसा अनुभव जो हमें बहुत कुछ सिखाता है, वैसे भी जिंदगी में विद्वान लोग कहते आये हैं कि जबतक आप असफल नहीं होगें तब तक सफलता का सही स्वाद नहीं चख सकेंगे।
साल 1920 में महान मनोवैज्ञानिक Lewis Turman ने इसी विचारधार पर गहन अध्ययन किया, उन्होंने पूरे अमेरिका से 2 लाख 50 हजार बच्चों को इस अध्ययन के लिए चुना और जो उसके नतीजे निकले वह वास्तव में बहुत चौकांदेने वाले थे।
इस वीडियो में इसी अध्ययन के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस वीडियो को आप जरूर देखें और जानें कि फेल होने में भी कोई बुराई नहीं है। वास्तव में सच्चाई यह है जो कभी फेल नहीं होता वह कुछ नया सीख भी नहीं पाता।