भारतीय समाज में कई प्रकार की परंपराएं और मान्यताएं हैं परंतु उसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी होता है। इस लेख में हम आपको भारत की परंपराओं के पीछे वैज्ञानिक कारण को बताएंगे।
विषय - सूची
1.नमस्ते करना
भारतीय संस्कृति में किसी व्यक्ति से मिलते समय हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं, पर इसका शिष्टाचार के अलावा एक वैज्ञानिक कारण भी है। दोनों हाथों को जोड़ने से हाथ की उंगलियों पर जोर पड़ता है। यह एक प्रकार का एक्यूप्रेशर का दबाव होता है जिससे हमारा दिमाग, कान और आंख है सक्रिय हो जाते हैं। इससे हम सामने वाले व्यक्ति को लंबे समय तक याद कर रख सकते हैं।
2. पीपल की पूजा करना
हिंदू धर्म में पीपल की पूजा को बहुत शुभ माना जाता है। हर शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाया जाता है। इस तथ्य का वैज्ञानिक महत्व है कि पीपल का पेड़ दिन के साथ साथ रात में भी ऑक्सीजन देता है। यह पेड़ पर्यावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस पेड़ की पूजा करने से लोगों में इसके प्रति सम्मान उत्पन्न हो जाता है और वे पीपल के पेड़ को नहीं काटते। फलस्वरुप हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती रहती है।
3. माथे पर तिलक (कुमकुम) लगाना
हर हिंदू सुबह नहा धोकर पूजा करके अपने माथे पर तिलक लगाता है। यह देखने में भी अत्यधिक सुंदर लगता है। पर इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व भी है। माथे पर सिर के बीचो-बीच कुमकुम लगाने से वहां की नस दब जाती है जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार रहता है। इसके साथ ही चेहरे की मांसपेशियों में रक्त का संचार बेहतर तरीके से होता है। इससे व्यक्ति का चेहरा भी निखरता है।
4.जमीन पर बैठकर भोजन करना
भारतीय समाज में अधिकतर लोग जमीन पर बैठकर भोजन करते हैं परंतु इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। दोनों घुटनों को मोड़ कर पलती मार कर बैठना एक प्रकार का योगा भी होता है जिससे मस्तिष्क शांत होता है। भोजन करते समय मन शांत रहता है और पाचन शक्ति भी बढ़ती है।
5.दक्षिण की तरफ सिर करके सोना
हिंदू धर्म में सभी लोग दक्षिण की तरफ सिर करके सोते हैं। कुछ लोग का मानना है कि इस तरह सोने से बुरे सपने नहीं आते, भूत प्रेत से व्यक्ति बचा रहता है। परंतु उसके पीछे वैज्ञानिक तर्क है। उत्तर दिशा में उत्तरी ध्रुव का चुंबकीय प्रभाव होता है। उत्तर की तरफ सिर करके सोने से हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। जिससे शरीर में मौजूद आयरन (लोहा) दिमाग की ओर बढ़ने लगता है। इससे दिमाग से संबंधित रोग, अल्जाइमर, पार्किंसन जैसी बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ ही रक्तचाप बढ़ जाता है।
6. सूर्य नमस्कार करना
भारतीय संस्कृति में योगा का अत्यधिक महत्व है। योगा में सूर्य नमस्कार सभी लोग करते हैं, पर क्या आप उसके पीछे का वैज्ञानिक कारण जानते हैं? सूर्य नमस्कार करने से सुबह का व्यायाम भी हो जाता है। इसके साथ व्यक्ति को विटामिन डी भी मिल जाता है। आजकल लोग ज्यादातर घर या ऑफिस में रहते हैं। सूर्य की रोशनी में बाहर नहीं निकल पाते हैं और इस कारण उन्हें विटामिन डी नहीं मिल पाता है।
7. व्रत रखना
भारतीय संस्कृति में व्रत रखने की परंपरा है। हिंदू धर्म में बहुत से लोग सोमवार का व्रत रखते हैं। वर्ष में दो बार नवरात्र आते हैं जिसमें 9 दिन के लिए व्रत रखा जाता है। आप लोग सोच रहे होंगे कि यह सिर्फ एक परंपरा है परंतु उसके पीछे एक ठोस वैज्ञानिक कारण भी है। व्रत के समय लोग फल खाते हैं जिससे उन्हें पोषक पदार्थ मिलता हैं। व्रत में व्यक्ति किसी प्रकार का हानिकारक फास्ट फूड, तेल मसाला वाला भोजन का सेवन नहीं करता है। इस तरह उसके स्वास्थ्य में सुधार होता है। व्रत रखने से कुछ समय के लिए शरीर के पाचन तंत्र को आराम मिलता है। हमारा शरीर डिटॉक्सिफाई हो जाता है। व्रत रखने वालों को कैंसर होने का खतरा भी कम होता है।
8.तुलसी के पेड़ की पूजा
हिंदू संस्कृति में तुलसी के पेड़ को शुभ माना जाता है। हर घर के आंगन में तुलसी का पेड़ लगा होता है। इसकी पूजा की जाती है। खाने में इसकी पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। पर इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है कि तुलसी की पत्तियां हमें कई प्रकार के फायदे देती हैं। तुलसी की पत्तियों से चाय भी बना सकते हैं। यह एक प्रकार की आयुर्वेदिक पेड़ है जो कई बीमारियों को दूर करती है। सर्दी या बुखार हो जाने पर तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से फायदा मिलता है। यह सांसों की दुर्गंध को दूर करती है।
9.हवन करना
भारतीय संस्कृति में हर घर में लोग हवन करते हैं। पर इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। हवन करते समय कपूर, चंदन की लकड़ियां, तिल, चीनी आदि के मिश्रण वाला धुआं उठता है जो घर के सभी कोनो में जाकर हवा में मौजूद बैक्टीरिया वायरस को मार देता है। इससे हवा शुद्ध हो जाती है। घर में सकारात्मक उर्जा आती है। घर के कीड़े मकोड़े भी बाहर भाग जाते हैं।
10. मंदिर में घंटी बजाना
आप लोगों ने देखा होगा कि मंदिर में श्रद्धालु- भक्त आकर जोर से घंटियां बजाते हैं पर इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। मंदिर की घंटियों को जोर जोर से बजाने से वातावरण में कंपन (Echo) पैदा होता है, जिससे हवा में मौजूद सभी प्रकार के विषाणु, बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। आसपास का वातावरण साफ हो जाता है। मंदिर की घंटियां की ध्वनि व्यक्ति के मस्तिष्क के बाएं और दाएं हिस्से को भी संतुलित करने का काम करती हैं। यह ध्वनि 10 सेकंड गूंजती रहती हैं जिससे मस्तिष्क को एक नई ऊर्जा मिलती है।