डर जिंदा रहने के लिए जरूरी हैं। बिना डर के जीवन का महत्व पता नहीं चल सकता है। हर एक इंसान के अंदर डर छुपा हुआ होता हैं, इसलिए हम हमारे जीवन में कुछ भी करने से पहले कई बार सोचते हैं। क्योंकि ये जो डर हमारे दिल में छुपा हुआ होता हैं, ये हमारे द्वारा लिए गए निर्णय को काफी ज्यादा व्यावहारिक और सटीक बनाता हैं। डर के कारण ही इंसान इंसान हो कर रहता हैं और समाज में शृंखला बनी रहती हैं। डर के कारण ही हम हमारे जीवन को समय के साथ-साथ सँवारने की कोशिश करते हैं। परंतु डर के अगर इतने अच्छे पहलू हैं तो फोबिया (phobia in hindi) जैसी चीजों का बनना कैसे संभव हैं!
कोई भी चीज़ अपने हद में रहे तो ही ठीक है। हद से ज्यादा प्यार भी इंसान के लिए अकसर घातक साबित होता हैं; तो ये डर अगर हद से ज्यादा बढ़ जाए तो सोचिए कैसे हालत हो सकती हैं आपकी। डर अगर अपने चरम सीमा को छुती हैं तो समझ लीजिये की ये फोबिया (phobia in hindi) में बदलने वाली हैं। जब इंसान का डर उसके सर चढ़ कर बोलता हैं तो दशा उस इंसान की होती हैं वो शब्दों में मेँ यहाँ कभी भी दर्शा नहीं सकता हैं। परंतु हाँ! इतना जरूर कर सकता हूँ की, आपको इन फोबियास के बारे में जानकारी दे सकता हूँ। जो की आपके लिए भी काफी फायदेमंद साबित हो सकता हैं।
तो, मित्रों! चलिये आज के इस लेख में इंसानों के द्वारा महसूस किए जाने वाले इन फोबियाओं को समझने का प्रयास करते हैं।
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फोबिया किसे कहते हैं? – What Is Phobia In Hindi? :-
चलिये सबसे पहले फोबिया (what is Phobia in hindi) किसे कहते हैं, उसे जान लेते हैं। चीजों को ज्यादा मुश्किल न बनाते हुए साधारण भाषा में कहूँ तो, “फोबिया किस भी चीज़ के प्रति अत्यधिक डर को कहते हैं” जिसका कोई वास्तविक कारण होना लाजिमी नहीं है। हालांकि! ज़्यादातर फोबिया के पीछे कुछ न कुछ वजह अकसर देखा गया हैं, परंतु हर बार ऐसा होना जरूरी नहीं है। जब भी आपको किसी भी चीज़ के प्रति फोबिया होता हैं तब आप उस चीज़ के पास आने से ही आपके दिल और दिमाग में डर का एक ऐसा तूफान आता हैं जिसे की आप खुद भी नियंत्रित नहीं कर सकते हैं।
वैसे आपके दिलो-दिमाग में जो डर का भाव आता हैं वो किसी स्थान, घटना या किसी चीज़ से ही आ सकती है। ज़्यादातर लोग फोबिया को मानसिक रोगों के साथ जोड़ कर देखते हैं, परंतु ऐसा सही नहीं हैं। मानसिक रोगों से विपरीत फोबिया बहुत ही ज्यादा विशिष्ट (specific) होता है। फोबिया का असर किसी भी इंसान के ऊपर काफी हल्के से लेकर गहन प्रभाव तक जा सकता है। जो व्यक्ति फोबिया को महसूस करता हैं वो अकसर सोचता हैं की उसका डर अवास्तव हैं, परंतु वो इसके बारे में कुछ भी नहीं कर सकता है।
फोबिया का असर किसी भी जगह पर हो सकता हैं और वो स्थान चाहे व्यक्ति का स्कूल, दफ्तर या कोई पसंदीदा जगह ही क्यों न हो। आज फोबिया के कई सारे मामले सामने आ रहें हैं, इसलिए इसके बारे में अभी भी कोई आकलन लगाना सहीं नहीं होगा।
फोबिया के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? – Causes Of Phobia :-
आगे बढ्ने से पहले बता दूँ की, फोबिया (Phobia in hindi) के होने का हमेशा कोई कारण होना जरूरी नहीं है, क्योंकि आज भी कुछ ऐसे फोबिया मौजूद हैं जिनके स्रोत का पता नहीं चल पाया हैं। परंतु फिर वही बात आ जाता हैं की, ज़्यादातर फोबिया को इंसानों ने समझने का प्रयास किया हैं जिससे कुछ कारणों का पता चल पाया हैं। तो, लेख के इस भाग में हम उसी कारणों के बारे में ही बात करेंगे।
वैज्ञानिकों के अनुसार ज़्यादातर फोबिया आनुवंशिक होते हैं। अगर परिवार के किसी भी सदस्य को या परिवार के किसी पूर्वज को किसी भी प्रकार का फोबिया रहा है तो, वो फोबिया पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही आयेगा। ऐसे में व्यक्ति को कई सारे मुश्किलों को सामना भी करना पड़ सकता हैं। इसके अलावा व्यक्ति के बचपन में अगर कोई दुर्घटना घटित हुआ हैं, तो भी उसका प्रभाव पूरे जिंदगी भर फोबिया के तौर पर दिल में कैद हो कर रहेगा। इन घटनाओं में पानी में डूबने की घटना, ऊंचे इमारतों से गिरने की घटना या जानवरों के द्वारा काटे जाने की घटना शामिल हैं।
कई-कई लोगों को बहुत ही तंग या बंद जगहों पर भी घुटन और डर का महसूस होता हैं। जो की शायद बचपन में घटित किसी घटना से जुड़ा हुआ हो। इसके अलावा जिन व्यक्तियों का किसी भी प्रकार का उपचार चल रहा होता हैं, उनके अंदर भी हमें फोबिया देखने को मिल सकता है। एक्सिडेंट के कारण दिमाग में लगी चोंटें, अत्यधिक नशीली द्रव्यों का सेवन करना या डिप्रेशन भी कई सारे फोबिया का कारण बन सकता है। ऐसे में इन सभी चीजों के बारे में जानकारी होना आपके लिए बहुत ही जरूरी हैं, ताकि आप इन फोबियास को बेहतर ढंग से समझ पायें।
फोबिया के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं? – Symptoms Of Phobia In Hindi :-
वैसे तो फोबिया (phobia in hindi) को बीमारी के श्रेणी में लाना उतना सही नहीं होगा, परंतु फिर भी अगर हम इसे एक बीमारी के दृष्टिकोण से देखें तो हमें इसके कई सारे लक्षण देखने को मिलते हैं। तो, चलिये एक-एक करके उन सभी लक्षणों के बारे में हम यहाँ जान लेते हैं।
फोबिया का सबसे पहला लक्षण होता हैं, दिल के धड़कनों का बढ़ना। जब भी फोबिया ग्रसित व्यक्ति के सामने डर का स्रोत सामने आ जाता हैं तब उसका दिल इतना ज़ोर से धड़कता हैं की, आपको उसके हावभाव से ही पता चल जाएगा। दिल के ज़ोर से धड़कने के साथ-साथ व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत भी होता हैं। व्यक्ति इतना घबरा जाता हैं की, वो कुछ भी बोल नहीं पाता या बोलता भी है तो उसका मुंह डर के कारण थर-थर काँप रहा होता हैं। गला सुख जाता हैं और मुंह सही तरीके काम नहीं करता हैं। ऐसे में व्यक्ति क्या कर रहा हैं वो खुद भी जान नहीं पाता हैं।
उसका पेट खराब होने लगता है या दर्द करने लगता हैं। खून का दबाव बढ़ जाता है और शरीर में कंप-कंपी फैल जाती हैं। दिल सहम जाता हैं और ज़ोर से धड़कने के कारण दर्द भी करने लगता हैं। इसके बाद व्यक्ति के चारों तरफ अंधेरा छाने लगता है और वो बेहोश होने के कगार तक पहुँच जाता हैं। इतने समय तक शरीर पसीने से लतपत हो चुका होता हैं और बेहोश होने से पहले एक बार उसे ऐसा जरूर महसूस होता हैं की उस दिन ये दुनिया जरूर खत्म हो जाएगी।
निष्कर्ष – Conclusion :-
हम किसी दूसरे लेख में फोबिया के प्रकार (phobia in hindi) और Cognitive Behavioral Therapy जैसे इसके उपचारों के बारे में चर्चा करेंगे। खैर फोबिया के चपेट में वो लोग ज्यादा फँसते हैं जिनका आनुवंशिक क्रम ही स्ट्रैस और एंग्ज़ायटी से भरा हुआ हो। इसके अलावा व्यक्ति का उम्र, वो किस जगह रहता हैं और लिंग भी फोबिया के होने में अपना महत्वपूर्ण किरदार अदा करता हैं। उदाहरण के लिए आप महिलाओं को ही देख लीजिये, लिंग के आधार पर उनमें जानवरों/ कीटों से जुड़ी फोबिया ज्यादा देखने को मिलती हैं।
वैसे विकासशील देशों में ज़्यादातर लोगों को समाज से जुड़ी कई सारे फोबिया होने का खतरा रहता हैं, खैर इसमें पिछड़े वर्गों के लोगों की संख्या ज्यादा हैं। अगर मेँ यहाँ पुरुषों की बात कारों तो, इनको डेंटिस्ट या डॉक्टरों से ज्यादा डर लगता हैं। सुन कर ये बात अजीब लगेगा परंतु ऐसा सर्वे में पाया गया हैं। जिस पर यकीन करना या न करना आपके ही ऊपर हैं।
Source :- www.healthline.com.