जीवन और मरण यही इस मानव और प्राणी देह की सच्चाई है। यहां पैदा होने वाला हर जीव एक-ना-एक दिन जरूर अपने शरीर को त्यागता है। शरीर को त्याग कर हमारी आत्मा परमात्मा के धाम में जाने के लिए कर्मानुसार आगे बढ़ती है। हर मनुष्य इस सच्चाई से भागता है, औऱ यह सोचता है कि उसे यह सब नहीं होगा, उसके प्राण उसके अधीन हैं। वास्तव में यह आजतक रहस्य है कि किसी की मौत किन कारणों से या कैसे होगी, फिर भी हम कुछ अनुमानित कारणों को आज बताने जा रहे हैं जो शास्त्रों में मिलते हैं – तो जानिए इसका रहस्य –
शरीर से प्राण निकलने के भी कई कारण होते हैं। आज हम आपको मौत से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जो शायद अब तक आप नहीं जानते होंगे और जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
अगर आध्यात्मिक रूप से देखा जाए तो मौत का अर्थ है शरीर से प्राण अर्थात आत्मा का निकल जाना। इसके बिना शरीर सिर्फ भौतिक वस्तु रह जाता है। इसे ही मौत कहते हैं। जबकि विज्ञान की दृष्टि से मृत्यु का अर्थ कुछ अलग है। उसके अनुसार शरीर में दो तरह की तरंगें होती हैं। पहली भौतिक तरंग और दूसरी मानसिक तरंग।
जब किसी कारणवश इन दोनों का संपर्क टूट जाता है तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। साधारणतः: मौत तीन प्रकार से होती है- भौतिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक।
किसी दुर्घटना या बीमारी से मृत्यु का होना भौतिक कारण की श्रेणी में आता है। इस समय भौतिक तरंग अचानक मानसिक तरंगों का साथ छोड़ देती है और शरीर प्राण त्याग देता है।
जब अचानक किसी ऐसी घटना-दुर्घटना के बारे में सुनकर, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती, मौत होती है तो ऐसे समय में भी भौतिक तरंगें मानसिक तरंगों से अलग हो जाती है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। यह मृत्यु का मानसिक कारण है।
मृत्यु का तीसरा कारण आध्यात्मिक है। आध्यात्मिक साधना में मानसिक तरंग का प्रवाह जब आध्यात्मिक प्रवाह में समा जाता है, तब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है क्योंकि भौतिक शरीर अर्थात भौतिक तरंग से मानसिक तरंग का तारतम्य टूट जाता है। ऋषि मुनियों ने इसे महामृत्यु कहा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार महामृत्यु के बाद नया जन्म नहीं होता और आत्मा जीवन-मरण के बंधन से मुक्त हो जाती है।