भगवान शिव हिन्दुओं के प्रमुख देव हैं और उन्हें देवों के देव ‘महादेव’ भी कहते हैं। भगवान शिव के वैसे तो कई रुप हैं पर अघोर रुप ज्यादा रहस्मयी और विचित्र है, आज हम उसी रुप के बारे में हम आपको बतायेंगे…..
भगवान शिव का अघोर रूप
एक बार पार्वती ने स्वपन देखा मैं अपने पती का श्रंगार अस्थियों से कर रही हूँ। स्वप्न टूटा और प्रात: हुई। माता ने स्कंद से कहा — बेटा आज मै तुम्हारे पिता का अस्थियों से श्रंगार करूँगी, इसलिए तुम्हें पाँच पक्षियों की अस्थियाँ लानी हैं। स्कंद गये और पाँच पक्षियों की अस्थियाँ लेकर आये। माता पार्वती ने विश्वकर्मा को याद किया। विश्वकर्मा आये आैर उन अस्थियों से निर्माण कार्य प्रारम्भ किया। मोर की हडडी से त्रिशूल, बाज की हडडी से कँडा, कबूतर की हडडी से भाला, कागा की हडडी से डमरू बनाया। कुन्डल बनाने के लिये जब हंस की हडडी मोडी तो उसमें से दो बूँद जल धरती पे गिरे। जिससे श्वेतार्क तथा पारिजात के दो बृक्षों की उत्पत्ति हो गई। भगवान शिव ने उन्हें अपना पुत्र माना। इस तरह पार्वती ने शिव का श्रंगार किया।
भगवान शिव से जुड़े रहस्यमयी प्रश्नों के उत्तर —–
प्रश्न– १– शिव जी के धनुष का क्या नाम था?
” पिनाक ”
प्रश्न– २-– शिव धनुष को किसने बनाया था?
” स्वयं शिव जी ने ”
प्रश्न– ३– क्या शिव जीके पास “चक्र”था,चक्र का नाम क्या था?
- शिव के चक्र का नाम ” भवरेंदु” था ।
- विष्णु जी के चक्र का नाम ” कांता”(सुदर्शन) था ।
- दुर्गाजी के चक्र का नाम ” मृत्यु मंजरी ” था
प्रश्न–४ — कृष्ण जी को सुदर्शन चक्र कहाँ से मिला ?
शिवजी ने विष्णुजी को दिया, विष्णुजी ने पार्वती माता को दिया, माताजी ने परसुराम जी को दिया, परसुराम जी ने श्री कृष्णजी को दिया ।
प्रश्न– ५– गुरू शिष्य परम्परा किसने चलाई ?
” भगवान शिव ने”
प्रश्न– ६– शिवजी के प्रथम शिष्य कौन थे ?
शिवजी के प्रथम शिष्य ” सप्तरिषी ” थे ।
प्रश्न– ७– शिवजी के प्रमुख गण कौन थे ?
भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, भृगिरिटी, शैल गोकर्ण, घंटाकर्ण आदि।
साभार – डा.अजय दीक्षित
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