हमारा ये ब्रह्मांड काफी ज्यादा बड़ा है और इसके अंदर न जाने कितने रहस्य छुपे हुए हैं। ब्रह्मांड के बारे में अधिकतर हम जिस वस्तू को सही समझ रहें होते हैं, वो बाद में गलत प्रमाणित होती है। इसलिए इस तरह के चीजों को सबूतों (Evidence of Neutron Star) के जरिये ढूँढना काफी ज्यादा जरूरी है। क्योंकि बिना प्रमाण के इन चीजों के बारे में कुछ भी कहना अकसर कठिन होता है। ब्लैक होल से लेकर न्यूट्रान स्टार तक, हमें बहुत सी खगोलीय चीजों के बारे में जानना होता है, जो की उनसे जुड़े ठोस प्रमाणों के जरिये ही हो सकता है; क्योंकि ये प्रमाण ही उन्हें असल बनाता है।
मित्रों! ये बात भी सच है कि, इन चीजों से जुड़े सबूतों (Evidence of Neutron Star) को ढूँढने में हमें काफी सारा समय लग जाता है। इसलिए कई बार इनके बारे में हमें आधी-अधूरी जानकारी ही मिल पाते हैं। परंतु आज ऐसा नहीं होगा, क्योंकि आज के हमारे इस लेख में हम न्यूट्रान स्टार के बारे में सबूत के साथ बात करेंगे। आप लोगों को और भी बता दूँ कि, ये लेख पूरी तरीके से सबूतों के ऊपर ही आधारित होने वाला है, इसलिए लेख को आरंभ से ले कर अंत तक जरूर पढ़िएगा, ताकि आप को विषय बहुत अच्छे से पता चल पाए।
तो, चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हुए इसे शुरू करते हैं और देखते हैं कि, आखिर कैसे न्यूट्रॉन स्टार के बारे में इसके सबूत हमें अलग-अलग जानकारी देते हैं!
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न्यूट्रॉन स्टार के बारे में मिला सबूत! – Evidence of Neutron Star! :-
दोस्तों! आप लोगों को जान कर हैरानी होगी कि, जेम्स वेब टेलिस्कोप ने हाल ही में एक बहुत ही बड़ी खोज की है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसने एक रहस्यमयी सुपर नोवा में छुपे हुए एक बहुत ही खास “न्यूट्रॉन स्टार” (Evidence of Neutron Star) को खोज निकाला है। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, सुपरनोवा 1987A नाम के एक सुपरनोवा के मलवे के अंदर वैज्ञानिकों ने कथित न्यूट्रान स्टार की खोज की है। यहाँ एक रोचक बात ये भी है कि, इस न्यूट्रान स्टार को ढूँढने के लिए वैज्ञानिकों को लगभग 37 वर्षों का समय लग गया था।
इस न्यूट्रॉन स्टार के आविष्कार से काफी दशकों से चलते आ रहें छुप्पन-छुपाई के खेल का अंत हुआ है। कहने का मतलब ये है कि, खोजे ग एन्यूट्रॉन स्टार को वैज्ञानिक काफी समय से ढूंढ रहें थे। परंतु ये कभी वैज्ञानिकों के हाथों में ही नहीं आ रहा था। इसलिए वैज्ञानिकों ने भी इसे ढूँढने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगा दिया था। मित्रों! यहाँ एक खास बात ये भी हैं कि, जिस सुपरनोवा विस्फोट के मलबे से कथित न्यूट्रॉन स्टारर को खोजा गया है, उस सुपरनोवा का सितारा हमारे सूर्य से लगभग 8 से 10 गुना ज्यादा बड़ा था।
वैज्ञानिकों के अनुसार ये हमसे लगभग 1,70,000 प्रकाश वर्ष दूरी पर मौजूद है। इस जगह को “Magellanic Cloud” का भी नाम दिया गया है। यहाँ अक्सर इस तरह के चीजें देखने को मिलती हैं। मित्रों! आप लोगों को क्या लगता है, क्या ये सुपरनोवा इस न्यूट्रॉन स्टार को अपने अंदर छुपाए हुए था? कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा।
इसके बारे में खास जानकरी! :-
जैसा की सुपरनोवा के नाम से ही पता चल रहा है, इसको साल 1987 में सबसे पहले ढूंढा गया था। मित्रों! कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार जब ये सुपरनोवा फटा था, तब पृथ्वी के ऊपर एक काफी रहस्यमयी पार्टिकल “Neutrinos” की बारिश हुई थी। मित्रों! यहाँ अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इस पार्टिकल्स को उस समय पृथ्वी पर गिरते हुए देखा भी गया था। कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, ये सुपरनोवा पिछले 400 सालों में फटने वाला सबसे चमकीला सुपरनोवा था, क्योंकि इसके प्रभाव को हमारे पृथ्वी पर भी महसूस किया जा सकता था।
वैसे एक रिपोर्ट ये भी बताती है कि, इस तरह के सुपरनोवा से ब्रह्मांड के अंदर कार्बन, ऑक्सिजन, सिलिकन और आइरन की मात्रा की बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा इसके अंदर कई प्रकार के न्यूट्रान स्टार (Evidence of Neutron Star) भी चुप कर रह सकते हैं। मित्रों! आप लोगों को और भी बता दूँ कि, इस तरह के सुपरनोवा के धमाकों से जी जीवन की उत्पत्ति होना संभव होता हैं। क्योंकि इससे निकलने वाले कार्बन और ऑक्सिजन ही हमारे जीवन की आधार हैं। इसी से ही हम बने हैं।
मित्रों! सुपरनोवा 1987A के बारे में वैज्ञानिकों को काफी समय से खोज थी। कहने का मतलब ये हैं कि, इस चीज़ को वैज्ञानिक काफी समय से ढूंढ रहें थे, क्योंकि इसी सुपरनोवा से ही ब्रह्मांड के बहुत से राज खुलने वाले थे। ये ही वजह है कि, दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए ये सुपरनोवा काफी ज्यादा अहम था। इसी से ही हमें भविष्य में चलने की राह दिखेगी।
आखिर कैसे छुप कर रह सकते हैं ये न्यूट्रॉन स्टार? :-
अब काफी सारे लोगों के मन में ये सवाल आ रहा होगा कि, आखिर कैसे इतने सालों तक एक न्यूट्रॉन स्टार (Evidence of Neutron Star) छुप कर रह सकता है? मित्रों! जब एक सितारा अपने अंदर मौजूद हर एक ईंधन को जलाकर खत्म कर देता है, तब न्यूट्रान स्टार का जन्म होता है। इसके बाद सुपरनोवा धमाका होता है, जिससे पृथ्वी में बसे किसी औसतन शहर के आकार के जितना एक खगोलीय पिंड का जन्म होता है। आकार के अनुपात में इस पिंड का वजन काफी ज्यादा होता हैं। सूत्रों के अनुसार इस तरह के पिंड सूर्य के कुल वजह से लगभग 1-2 गुना ज्यादा भारी होते हैं।
ये ही वजह है कि, इस तरह के सितारे ब्रह्मांड के सबसे सघन चीजों के अंदर गिने जाते हैं। इसके अलावा आप लोगों को बता दूँ कि, इस पिंड के अंदर तरल न्यूट्रॉन पार्टिकल होते हैं; जो की ब्रह्मांड के सबसे सघन (Dense) तरल चीज़ हैं। मित्रों! एक सितारे के पूर्ण तरीके से ढह जाने के बाद ही न्यूट्रॉन स्टार का जन्म होता है। हालांकि! यहाँ पर अगर सघनता हद से पार हो जाती है, तब कई बार ब्लैक होल भी पैदा हो सकते हैं। मित्रों! वाकई में ब्रह्मांड के एक बहुत ही अहम प्रक्रिया में न्यूट्रान स्टार का हाथ रहता है।
मित्रों! न्यूट्रॉन स्टार से ब्लैक होल की उत्पत्ति के बारे में पता लगाना आज भी विवादों से घिरा हुआ विषय है। इसलिए इसके बारे में आज भी कुछ सटीक तरीके से कह पाना, बहुत ही मुश्किल है। आप लोगों को बता दूँ कि, न्यूट्रान स्टार से ब्लैक होल का बनना और न बनना ब्रह्मांड के वातावरण पर निर्भर करता है। इसलिए ब्रह्मांड एक पहेली है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
दोस्तों! हम लोगों ने ऊपर पूरे लेख में न्यूट्रॉन स्टार (Evidence of Neutron Star) के बारे में काफी सारे बातों को जाना है। परंतु अभी तक कुछ ऐसे भी बातें हैं, जिनके बारे में हमें जानना बहुत ही जरूरी है। हाल ही में आविष्कार हुआ ये न्यूट्रॉन स्टार चारों तरफ से काफी घने कॉस्मिक डस्ट से घिरा हुआ था। वैसे यहाँ एक हैरान कर देने वाली बात ये भी है कि, डिटेक्ट होने के 6 महीने के अंदर ही ये अपने वजन को आधे से ज्यादा कम कर चुका है। शायद ये ही वजह है कि, इसको डिटेक्ट कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है। क्योंकि वजन में इतनी ज्यादा फेर-बदल वैज्ञानिकों को काफी संशय में डाल देती हैं।
वैसे एक बात ये भी है कि, ये सारे चीज़ें काफी ज्यादा रहस्यमयी होती हैं। इसलिए इनके बारे में केवल अनुमान करना ही काफी नहीं होता है। खैर इसके चारों तरह मौजूद कॉस्मिक डस्ट इंफ्रारेड तरंगों को भी ब्लॉक कर देता हैं। इसलिए हमारे कोई भी उपकरण इसे ढूँढने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। मित्रों! समय के साथ-साथ हमें आगे इन जैसी चीजों के बारे में भी धीरे-धीरे पता चलता रहेगा।
Source :- www.livescience.com