Religion

भगवान कौन हैं, और उनके अस्तित्व को कैसे स्वीकार करें? जानिए इधर

भगवान हमारी आस्था का विषय है या वह सच में इस ब्रह्मांड में रहकर समस्त उर्जा का संचालन करता है, या उसने कुछ नियम बना रखे हैं जिससे ये संसार और ब्रह्मांड चलता है। क्या वो कोई बहुत बड़ा वैज्ञानिक है, जो हम सबसे ऊपर है या वह कोई शक्ति का प्रयोग करके हमें मायाजाल में फसाकर आनंद लेता है! आखिर कौन है वो जिसे हम भगवान कहते हैं, जिसे पूरी दुनिया के हर धर्म और मजहब में माना जाता है, क्या है उसका अस्तित्व और कैसे ये स्वीकार किया जा सकता है… आइये जानते हैं Manoj Siyag के माध्यम से –

ईश्वर और प्रकृति के नियम

ईश्वर को इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता कि हम उसके अस्तित्व को स्वीकार करें या ना करें जिस प्रकार हजारों लोग सोते रहते हैं और सूर्य अपने निश्चित समय पर उदय होता है उसी प्रकार भगवान का अस्तित्व है जब गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज नहीं की गई थी तब भी गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत उतना ही काम करता था जितना कि वह आज करता है इस प्रकार ही ईश्वर के सिद्धांत और नियम हम सब के लिए अटल है चाहे हम उसको माने या ना माने।

मनुष्य अल्पज्ञ है

भगवान के अस्तित्व को अनुभव करने का पैमाना हर व्यक्ति के लिए अलग अलग है क्योंकि मनुष्य अल्पज्ञ है हर मनुष्य अपने चित पर पड़े संस्कारों के अनुसार ईश्वर को समझने का और दूसरों को समझाने का प्रयास करता है किंतु भगवान का मनुष्य के समक्ष व्यक्त होने का केवल एक ही पैमाना है और वह है उसके बताए हुए नियमों पर चलना जो कि उसने वेदों में बताएं जब मनुष्य ईश्वर के सिद्धांतों पर चलता है तो मनुष्य के शुद्ध अंतःकरण में अपने ज्ञान को और अपने अस्तित्व को ईश्वर समाधि की अवस्था में प्रकट करता है हालांकि वह बात अलग है कि कुछ लोग अपने मनमाने नियम बनाकर ईश्वर के अस्तित्व को समझने का प्रयास करते हैं और इसे वह श्रद्धा का नाम देते हैं।

साधारण शब्दों मेंं भगवान

यहां पर ईश्वर के अस्तित्व को साधारण शब्दों से समझाने का प्रयत्न करूंगा हम अपने आम जीवन में देखते हैं कि एक सुई से लेकर रॉकेट तक हर वस्तु को बनाने वाला कोई ना कोई होता है यह वस्तुएं अपने आप नहीं बनती यहां तक की इन्हें बनाने से पहले इनको डिजाइन करने वाला भी एक अभियंता यानी इंजीनियर होता हैं।

इस प्रकार यदि कोई अभियंता एक कार बनाएं तो उससे पहले वह उस कार का डिजाइन बनाता है पहले वह फैसला करता है कि कार में कितना बड़ा इंजन होगा कार में कितने गेट होंगे कार की हैडलाइट्स का आकार कितना होगा वह कहां लगेगी कार में सीटें कितनी होगी उसमें गियर कितने होंगे यह सब सोचने के बाद उसे बनाता है‌।

 क्या आज का विज्ञान इतना सक्षम है कि वह भगवान को खोज सके?

डिजाइन के बिना कुछ नहीं बन सकता

एक छोटी सी कार में भी हर वस्तु सोच समझ कर और व्यवस्थित तरीके से बनाई जाती है गियर हमारे हाथ के पास होता है क्लिच हमारे पांव के नीचे और धुंआ निकलने के लिए साइलेंसर सबसे पीछे होता है यह सारी चीजें अपने अपने स्थान पर व्यवस्थित है और इस वजह से हम किसी असुविधा के बीना अपनी गाड़ी चला सकते हैं।

यदि इस गाड़ी को कोई बनाने वाला नहीं होता और यह अपने आप बन गई होती और धुआं निकलने वाला साइलेंसर गाड़ी के अंदर होता तो हमारी हालत क्या होती? यहां पर समझने की केवल इतनी ही बात है कि किसी चीज को बनाने से ज्यादा सबसे बड़ी बात होती है उसका डिजाइन बनाना।

Via : Pinterest

रचनाकार ईश्वर

इस प्रकार ही इतने बड़े ब्रह्मांड को जिसने बनाया और इसका डिजाइन करके जिसेने इसे व्यवस्थित किया उसे हम ईश्वर कहते हैं पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगा रही है सूर्य अपने निश्चित समय पर उदय होता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी अपने अंक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है अगर पृथ्वी इससे कुछ पॉइंट ज्यादा झुकी हुई होती तो शायद पृथ्वी पर हम मानवो का अस्तित्व नहीं होता इसके साथ साथ हर मौसम का अपने समय पर आना‚ वायु में ऑक्सीजन की मात्रा, जो कार्बन डाइऑक्साइड हमारे लिए घातक है वह पेड़ पौधों के लिए सही है पेड़ पौधे इस कार्बन डाइऑक्साइड का प्रयोग करके हमें शुद्ध ऑक्सीजन देते हैं ,गुरुत्वाकर्षण जिसकी वजह से हम पृथ्वी पर बने हुए हैं।

आपको क्या लगता है यह सब कुछ बिना सोचे समझे या बिना डिजाइन किए ही बन गया? हर रचना का एक रचनाकार होता है इसी प्रकार इतनी बड़ी रचना का रचनाकार ईश्वर कहलाता है।

– क्या वैज्ञानिक ईश्वर में यकीन करते है? जानें इस वीडियो से

संसार प्रकट करता है ईश्वर का अस्तित्व

छोटे से मोबाइल को भी डिजाइन करने वाला कोई होता है उसी प्रकार अपने शरीर को ही देख लो किस प्रकार मस्तिष्क का निर्माण किया गया है।

उसके ऊपर देखने के लिए आंखें सुगंध के लिए एक नाक सुनने के लिए दो कान स्वाद महसूस करने के लिए जीभ चलने के लिए पांव और कार्य करने के लिए हाथ भोजन के लिए पेट और जो हम घास फूस खाते हैं उससे रक्त बनाने वाली मशीन यानी शरीर का निर्माण करने वाला ईश्वर ही तो है उसका अस्तित्व यह संसार प्रकट कर रहा है बस देखने के लिए आंखे भर चाहिए हर नई सुबह उसकी अस्तित्व की गवाही देती है।

चेतन को केवल चेतन ही देख सकता है – 

मनुष्य ईश्वर के अस्तित्व पर संशय करता है क्योंकि ईश्वर हमें दिखाई नहीं देता दिखाई तो हमें वायु , अल्फा बीटा गामा आदि X किरणे , radioactive तरंगे , सर्दी-गर्मी , भूख- प्यास यह सब भी नहीं दिखाई देते लेकिन हम इन्हें अनुभव कर सकते हैं उसी प्रकार ईश्वर है ईश्वर अनुभव का विषय है उसके अस्तित्व को अनुभव किया जा सकता है जिस प्रकार हम इन चीजों को अनुभव करते हैं।

ईश्वर चेतन है और चेतन को केवल चेतना से ही देखा जा सकता है हमारे शरीर का निर्माण प्रकृति के कणों से हुआ है जिनमें हमारी आंखें भी आ जाती है आंखें भी प्रकृति के पांच महा भूतों से बनी है जो की जड़ पदार्थ है यदि हमें ईश्वर को देखना है तो उसे केवल अपने शुद्ध अंतरण में ही देखा जा सकता है और अनुभव किया जा सकता है।

Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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