यह तो हम सभी जानते हैं और हमारे धर्म ग्रंथो में भी बताया जाता है कि भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर सोते हैं। वे इंसानी वर्ष के हिसाब से चार महीने तक सोते हैं यह भी हमारे ग्रंथो में वर्णन है।
सनातन धर्म के जानकार और कुछ शोधकर्ता तो भगवान विष्णु की इस निंद्रा को एक वास्तिवकता से जोड़ते हैं। उनके मुताबिक यह समस्त ब्रह्मांड भगवान विष्णु के नींद में देखे जाने वाले सपने की तरह ही है। यह बात वैसे एक तरह से सही भी लगती है पर इसे प्रूफ करना बहुत ही मुश्किल है। भगवान विष्णु हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन चार महीने के लिए सो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस समय के दौरान हमें कोई शुभ कार्य नही करना चाहिए। इसीलिए इन दिनों में शादी, जनेऊ, मुंडन, मकान की नींव डालने का काम नहीं किया जाता।
पुराणों में बताया गया है कि एक बलि नाम के राजा ने तीनो लोकों पर अधिकार कर लिया था। इसलिए इंद्र घबरा कर विष्णु जी के पास गए और उनसे सहायता मांगी। देवराज इंद्र के विनती करने पर विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से दान मांगने पहुंच गए। उन्होंने बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि ने उन्हें तीन पग भूमि दान में देने के लिए हाँ कर दी। परन्तु भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर के दो पग में धरती और आकाश नाप लिया और तीसरा पग कहां रखे जब यह पूछा तो बलि ने कहा कि उनके सिर पर रख दें। इस तरह विष्णु जी ने बलि का अभिमान तोड़ा तथा तीनो लोकों को बलि से मुक्त करवा दिया।
राजा बलि की दानशीलता और भक्ति भाव देखकर भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने बलि से वर मांगने के लिए कहा। बलि ने वरदान मांगते हुए विष्णु जी से कहा कि आप मेरे साथ पाताल चलें और हमेशा वहीं निवास करें। भगवान विष्णु ने बलि को उसकी इच्छा के अनुसार वरदान दिया तथा उसके साथ पातल चले गए। यह देखकर सभी देवी देवता और देवी लक्ष्मी चिंतित हो उठे।
देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु को पाताल लोक से वापिस लाना चाहती थी। इसलिए उन्होंने एक चाल चली। देवी लक्ष्मी ने एक गरीब स्त्री का रूप धारण किया तथा राजा बलि के पास पहुँच गयी। राजा बलि के पास पहुँचने के बाद उन्होंने राजा बलि को राखी बाँध कर अपना भाई बना लिया और बदले में भगवान विष्णु को पाताल से मुक्त करने का वचन मांग लिया।
भगवान विष्णु अपने भक्त को निराश नही करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने बलि को वरदान दिया कि वह हर साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक पाताल लोक में निवास करेंगे। यही कारण है कि इन चार महीनो में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं और उनका वापन रूप में भगवान का अंश पाताल लोक में होता है।
दोस्तों, सनातन धर्म की वैज्ञानिकता तो समस्त संसार में व्याप्त है, यहां पर वर्णित हर वस्तु में कोई ना कोई विज्ञान निहित जरुर होता है। अभी हमारा विज्ञान बहुत पीछे है वह इन रहस्यों को समझने के लिए प्रर्याप्त नहीं है।
He is not in Wanam avatar down he is real self and in Patal Loka he is on Shesha Nag.