हनुमान हिंदुओं के पुजनीय देव हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे आज भी सशरीर धरती पर भ्रमण करते हैं। भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी को कौन नहीं जानता है, उनकी महिमा अपंरपार है।
आपने अक्सर देखा होगा कि जब किसी को डर लगता है, तो ‘हनुमान चालीसा’ के दोहे अपने आप उसकी जुबान पर आ जाते हैं। जब किसी पर शनि की दशा होती है, तो उसे हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। हर मंगलवार को हनुमान मंदिर में एक लम्बी कतार लगी रहती है।
रामायण के चालीसवें अध्याय में लिखा गया है कि जब श्रीराम लंका विजय कर लौटे थे, तब श्री राम ने हनुमान जी से प्रसन्न हो कर उनसे कहा था कि “संसार में मेरी कथा जब तक प्रचलित रहेगी, तब तक तुम्हारी कीर्ति अमिट रहेगी, और तुम्हारे शरीर में प्राण भी रहेंगे।
चारों युगों में हनुमान जी के होने का है प्रमाण
श्री हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि – ‘चारो जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा।’
‘हनुमान चालीसा’ के एक पद में हनुमान जी को ‘शंकर सुवन केसरी नंदन’ अर्थात शिव जी का स्वरूप कहा गया गया है। सतयुग में हनुमान जी का ‘रूद्र अवतार’ था।
त्रेतायुग में भगवान विष्णु ‘राम’ के अवतार में और भगवान शिव ‘राम भक्त हनुमान’ के रूप में अवतरित हुए थे।
महाभारत में एक प्रसंग है जिसमें जब भीम, हनुमान जी से मिलते हैं, तो भीम, हनुमान जी से पूँछ हटाने के लिए कहते हैं। जिसपर हनुमान जी कहते हैं कि आप ही मेरी पूँछ हटा दीजिये। और जब भीम, हनुमान जी की पूँछ हटाने की कोशिश करते हैं, तब वो अपनी पूरी ताकत लगाने के बाद भी हनुमान जी की पूँछ नहीं हिला पाते।
कलियुग के बारे में कहा जाता है कि हनुमान जी हिमालय के पर्वतों पर वास करते हैं, उनके कई संकेत मिले हैं जो उनकी मौजुदगी को स्पस्ट करते हैं, अधिक जानकारी के लिए आप ये वीडियो जरूर देखें….