हमारी ये पृथ्वी कुछ मौलिक भौतिक सिद्धांतों के ऊपर काम करते हैं। जिसमें मैग्नेटिस्म या चुंबकीय सिद्धान्त (3rd form of magnetism) भी शामिल है। यूं तो आप लोगों ने इसके बारे में पहले भी काफी कुछ पढ़ रखा होगा; परंतु आप लोगों को बता दूँ कि, आज हम एक बिलकुल नए चीज़ के बारे में चर्चा करेंगे। जिसके बारे में शायद ही आप लोगों ने पहले कभी पढ़ा होगा। मित्रों! आज के हमारे इस लेख में हम चर्चा करने जा रहें हैं, मैग्नेटिस्म के तीसरे फॉर्म के बारे में। जो की शायद वैज्ञानिकों ने हाल ही में ढूंढा है। इसलिए इसके बारे में जानना हमारे लिए काफी ज्यादा जरूरी हो जाता है।
मैग्नेटिस्म (3rd form of magnetism) के बारे में जब भी बात आती है, तो सबसे पहले हमारे मन में चुंबकीय क्षेत्रों के तस्वीर सामने आते हैं। क्योंकि मैग्नेटिस्म के इन्हीं चुंबकीय क्षेत्रों के बारे में ज्यादा चर्चाएँ होती हैं। हालांकि! आज हम मैग्नेटिस्म के जिस गुण के बारे में चर्चा करने जा रहें हैं, उसके बारे में शायद ही कभी जिक्र हुआ होगा। क्योंकि आज तक ये हमारे लिए एक पहेली के तरह ही था। मित्रों! मैग्नेटिस्म के इस तीसरे फॉर्म से हम लोग “सुपर–कंडक्टर“ से जुड़े कई सारे सवालों के जवाब के बारे में ढूंढ सकते हैं।
तो, चलिये अब लेख में ज्यादा देरी न करते हुए इसे शुरू करते हैं; और इसके असल विषय के ऊपर आते हैं और देखते हैं की आखिर ये विषय सच में क्या हैं!
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वैज्ञानिकों ने ढूंढा मैग्नेटिस्म का 3rd फॉर्म! – 3rd form of magnetism! :-
रिपोर्ट्स के अनुसार वैज्ञानिकों ने आखिर कार मैग्नेटिस्म (3rd form of magnetism) के थर्ड फॉर्म के बारे में ढूंढ लिया है। उनके अनुसार इस फॉर्म को “Altermagnetism” का नाम दिया गया है। मित्रों! ये खोज वाकई में काफी ज्यादा हैरतअंगेज है, क्योंकि इससे हमारे जीवन में काफी ज्यादा बदलाव लाया जा सकता है। इससे हम आसानी से हाइ-स्पीड मेमोरी डिवाइसेस ढूंढ सकते हैं। जिससे हम सुपर-कंडाक्टिविटी में छुपी कई सारे सवालों के जवाब के बारे में ढूंढ सकते हैं।
इस खोज से पहले हमारे पास मैग्नेटिस्म के दो प्रकार थे। पहला था “Ferromagnetism”, जहां चुंबकीय क्षेत्रों की दिशा एक ही और सूचित करता है। और दूसरा है “Antiferromagnetism”, जहां चुंबकीय क्षेत्रों की दिशा एक-दूसरे के विपरीत होते हैं। वैसे आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, मैग्नेटिक मेमोरी डीवाइसेस में सिर्फ दो दिशाओं में ही स्पिन करने की इजाजत मिलती है। जिससे ये सटीक ढंग से अलाइन हो कर, मेमोरी डिवाइसेस को काम करने के लिए सक्षम करवाता है। और आप यहाँ ये भी कह सकते हैं कि, ये ही इन्हीं डिवाइसेस के काम करने का मूल आधार है।
मित्रों! आप लोगों को मैग्नेटिस्म के इस तीसरे फॉर्म के बारे में क्या लगता है, कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा। ताकि हमें भी पता चल सके कि, आप लोगों का इसके बारे में क्या राय हैं। वैसे व्यक्तिगत तौर पर मैं बताऊँ तो, मैग्नेटिस्म का ये फॉर्म वाकई में काफी ज्यादा रोचक हैं। क्योंकि ये हमारे पास काफी सारे संभावनाओं को जागृत करवाता हैं।
आखिर क्यों खास है मैग्नेटिस्म का ये तीसरा फॉर्म! :-
अब काफी सारे लोगों के मन में ये सवाल जरूर ही आ रहा होगा कि, आखिर क्यों मैग्नेटिस्म (3rd form of magnetism) का ये तीसरा फॉर्म खास है? तो, मेँ आप लोगों को बता दूँ कि; ये दोनों ही एंटीफेरोमैग्नेटिस्म और फेरोमैग्नेटिस्म के मिलन से बना हुआ है। कहने का मतलब ये है कि, ये दोनों ही मैग्नेटिस्म के प्रकारों को एक अलग ही तरीके से सूचित करता है और इसकी जगह इन दोनों ही प्रकारों के बीच में आते हैं। इसलिए ये इतनी ज्यादा खास बन जाता है।
मित्रों! यहाँ एक बात ये भी है कि, अल्टर-मैग्नेटिस्म में दोनों ही प्रकारों के पार्टिकल्स के गुण शामिल होते हैं। जिससे हम बड़े ही आसानी से इन गुणों को इस्तेमाल कर के एक बहुत ही सक्षम मैग्नेटिक मेमोरी डिवाइसेस को बना सकते हैं। मित्रों! फेरो-मैग्नेटिस्म की बात करें तो; इसके अंदर स्टोर होने वाला डाटा काफी आसानी से राइट किया जा सकता है; परंतु उतने आसानी से डिलीट भी किया जा सकता हैं। इससे विपरीत एंटीफेरो-मैग्नेटिस्म में किसी भी डैटा को स्टोर करना मुश्किल हैं, परंतु एक बार स्टोर किया गया डैटा आसानी से मिटता नहीं है।
दोस्तों, अगर हम अल्टर-मैग्नेटिस्म के अंदर इन दोनों ही मैग्नेटिस्म के प्रकारों को मिला देते हैं। तो हमारे पास एक बहुत ही कमाल का मैग्नेटिक मेमोरी डिवाइस होगा; जिसके अंदर बड़े ही आसानी से डैटा को स्टोर करने के साथ ही साथ इसके अंदर स्टोर किए गए डैटा को आसानी से मिटाया भी नहीं जा सकता है। मित्रों! जरा सोचिए इस तरीके का उपकरण हमारे कितने काम में आ सकता है।
मैग्नेटिस्म के इस नए प्रकार के बारे में कुछ खास बातें! :-
अल्टर-फेरोमैग्नेटिस्म (3rd form of magnetism) के बारे में बताने को तो कई सारे खास बातें हैं। परंतु मैं यहाँ आप लोगों को सबसे जरूरी बातों को ही बताऊंगा। वैज्ञानिकों के अनुसार इसके अंदर मौजूद पार्टिकल्स टाइम ट्रैवल कर सकते हैं। जी हाँ! आप लोगों ने बिलकुल सही सुना, दरअसल बात ये है की; इस चीज़ के अंदर मौजूद पार्टिकल्स एक-दूसरे से अकसर टक्कर खाते रहते हैं। जिससे ये पदार्थ के अंदर मौजूद खाली जगहों को भरते रहते हैं। और अगर हम समय को रिवाइंड कर दें तो, ये बिलकुल वही स्थिति में दिखाई देंगे जहां वो बाद में होंगे।
इसका सीधा सा मतलब ये है कि, ये पार्टिकल्स किसी भी हालत में अपने सिमेट्री को खोने नहीं देंगे। खैर अब एक बात यहाँ ये भी आती है कि, आखिर ये पार्टिकल सुपर-कंडाक्टिविटी में छुपे सवालों के जवाबों को कैसे ढूंढ सकता है! तो, मैं आप लोगों को बता दूँ कि, ये पार्टिकल्स काफी ज्यादा सक्षम हैं। वैज्ञानिकों ने कई सारे उन्नत उपकरणों के जरिये किसी भी पदार्थ के चुंबकीय गुणों को बारीक तरीके से जांच सकते हैं, और यहाँ उन्होंने एक एंटीफेरो-मैग्नेटिस्म पदार्थ के बारे में जांच लिया है।
आप लोगों को अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इसे जाँचने के लिए उन्होंने “Photoemission electron microscopy” का इस्तेमाल किया है। जिसमें किसी भी पदार्थ का चुंबकीय गुण आसानी से एक देखा जा सकता है। क्योंकि इसमें पोलराइज्ड एक्स-रे के किरणों का इस्तेमाल होता है। जहां पर पोलराइज़ेशन के प्रकार और तीव्रता के ऊपर ही उस पदार्थ का मैग्नेटिस्म निर्भर करता है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! ऊपर कहे गए तकनीक के जरिये वैज्ञानिक मैग्नेटिस्म (3rd form of magnetism) के कई सारे प्रकारों के बारे में पता लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए, उपकरण में गोल दिखने वाले चुंबकीय क्षेत्र का गुण, किसी लम्बवत चुंबकीय क्षेत्र के गुणों से अलग हो सकता है। हालांकि! आप लोगों को एक और बात बता दूँ कि, वैज्ञानिकों ने थर्मल तकनीक के जरिये भी पदार्थों के मैग्नेटिक गुणों को बदलने की कोशिश कर रहें हैं। इससे हम बड़े ही आसानी से गुणों को बदल सकते हैं।
मित्रों! थर्मल साइकलिंग तकनीक के जरिये वैज्ञानिक बड़े ही सहूलियत के साथ पार्टिकल वाली चीजों को अपनी इच्छा के अनुसार इस्तेमाल में ले सकते हैं और ये तकनीक काफी ज्यादा सफल भी है। इससे हम कई सारे प्रैक्टिकल उपकरणों को बना सकते हैं, जिससे हम आने वाले समय में काफी सारे बड़े-बड़े खोज करने में भी सक्षम हो पाएंगे। वैसे यहाँ एक बात ये भी हैं कि, हमारे पास अब इसके ऊपर शोध करने के लिए काफी समय है और इसके ऊपर हमें और भी शोध करना चाहिए।
ताकि आने वाले समय में हम इसके हर एक पहलू को समझ कर, इसे और भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल में लेने सक्षम हो सकेंगे। इसके अलावा यहाँ आप लोगों कि अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, मैग्नेटिस्म के इस तीसरे फॉर्म से विज्ञान में काफी सारे सिद्धांतों के ऊपर असर भी पड़ सकता है।