Religion

सनातन धर्म के अनुसार होते हैं ये पांच तरह के पापी, इनसे हमेशा बचकर रहें

अगर बात करें सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) की तो उसमें और अनेक शास्त्रों में कई तरह के पापियों का उल्लेख मिलता है, पुराणों और शास्त्रों के अनुसार अगर इस तरह के पापीयों से आपका पाला पड़ता है तो तुरंत इनसे दूर हो जायें और हो सके तो हमेशा बचकर रहें।

कुछ ऐसे दोष यहां बताए जा रहे हैं जिनके लोगों के भीतर होने से वे पापी बन जाते हैं। ऐसे दोषयुक्त व्यवहार करने वाले लोगों के अलग-अलग नाम भी बताए गए हैं। जानिए उन्हीं में से पांच के नाम।

विषम

1. विषम- जो सामने मीठे बोल बोले और पीछे कटु वचन। ऐसे लोगों से बचकर रहना चाहिए। इनकी कथनी और करनी में भी फर्क होता है। ऐसे लोगों को विषम कहा जाता है।

पिशुन 

2. पिशुन- जो व्यक्ति कपट, झूठ, छल, शक्ति या प्रेम का दिखावा करके ठगने की मंशा रखता है उसे पिशुन कहते हैं। ऐसे लोगों की पहचान कर उनसे भी बचना चाहिए।

अधम

3. अधम- जो गुरु से ऊंचे स्थान पर बैठे, देवता के सामने जूता और छतरी लेकर जाए, बड़ों का सम्मान करे, धर्म की आलोचना करने वाला या धर्म से विमुख या निंदक व्यक्ति ही अधम कहलाता है। ऐसे लोगों की संगत में रहकर आप भी वैसे ही बन सकते हैं।

पशु

4. पशु- ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपना जीवन पशुपत जी रहे हैं। इंद्रिय सुख ही उनके जीवन का लक्ष्य है। सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने की चाहत रखने वाला। प्राचीन संदर्भ में देव सेवा व शास्त्रों के ज्ञान से वंचित। धार्मिक दृष्टि से प्रयाग में रहते हुए भी स्नान न करने वाला। ऐसे व्यक्ति पशु समान है।

कृपण

5. कृपण- कृपण का अर्थ होता है महा कंजूस। अन्न और धन से संपन्न होने पर भी बासी या निम्न स्तर का भोजन करने वाला, किसी भी प्रकार का दान और पूजा नहीं करने वाला। पत्नी और बच्चों को भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखकर बचत करने वाला। ऐसे महा कंजूस का धन रखा का रखा ही रह जाता है। न खुद के और न परिवार के काम आता है।

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Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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