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क्या होगा अगर आप खुले अंतरिक्ष में पानी फेंक दें ? ( What If You Throw Water In Space ? )

What Would Happen To Water In Space?

हमारा अंतरिक्ष , सच में एक High Quality Vacuum है | हालांकि Perfect Vacuum बनाना व्यावहारिक रूप में संभव नहीं है | पर अंतरिक्ष में आपको काफी हद तक एक Perfect Vacuum वाले प्रभाव जरूर देखने को मिलेंगे | हमनें इससे पहले , इस बात पर चर्चा की थी कि अंतरिक्ष में हवा मौजूद नहीं  होती | पर अगर मैं आपसे पूछूँ , कि क्या बाह्य अंतरिक्ष में पानी मौजूद है  ? और क्या हो सकता है , अगर हम खुले अंतरिक्ष में पानी फेंक दें ?( What Would Happen To Water In Space? ) आप जरूर सोच में पड़ जाएँगे |

बहराल, इसका जवाब कोई सीधे तरीके से नहीं दे सकता | क्योंकि अंतरिक्ष में घूमते हुए कई खगोलीय पिंड ,जैसे कि कोमेट्स, एस्टेरोइड और कुछ चंद्रमाओं आदि में ये पानी, किसी न किसी रूप में मौजूद रहता है |

आपने अंतरिक्ष में पानी ऐसा देखा होगा 

वैसे तो आपने कई videos में , अंतरिक्ष में मौजूद space stations में ,astronauts को किसी डिब्बे या बर्तन से पानी बाहर निकालते हुए देखा ही होगा | इस दौरान , निकलने वाली पानी की बूँदें , microgravity की वजह से तैरते हुए नजर आते हैं | साथ ही , बेहद कम gravity की वजह से इनका आकार भी गोल हो जाता है | हालांकि , पृथ्वी पर gravity की वजह से इनका आकार एकदम गोल नहीं होती |

पर ये तो बात थी , space station के अन्दर की , जिसका वातावरण और तापमान नियंत्रित होता है |यहाँ पर पानी फैलाने का मतलब होगा, कि आपको एक पानी की एकदम गोल बूँदें तैरती हुई नजर आएंगी | और अगर मात्रा ज्यादा हुई , तो इनका आकार भी काफी बड़ा हो सकता है |

बहराल , अब सोचने वाली बात ये है कि अगर हम, इसी पानी को खुले अंतरिक्ष में फैला दें , तो क्या होगा ? अन्तरिक्ष में अगर पानी बहा दिया जाए, तो उसपर इतने विशाल vacuum का क्या प्रभाव पड़ेगा ?

पानी का असली रूप ऐसे पता करते हैं

पानी दिखने में तो काफी साधारण सा लगता है , पर इसपर लगने वाले, physical effects और साथ ही chemical effects कुछ ऐसी चीजें हैं , जो इसे बेहद विचित्र बनाते हैं |

Physics के मुताबिक़ , fluid dynamics के आधार पर हम , पानी पर लगने वाले physical effects को study करते हैं | जैसे कि पानी की बूंदों का गोल होना आदि | वहीँ , Chemistry के आधार पर हम पानी को अलग अलग रूप जैसे कि बर्फ़ और वाष्प के रूप में देखते हैं |

इसका मतलब ये है कि पानी की जो रूप या आकार हमें बाहरी तौर पर दीखता है, वो physics के नियमों पर निर्भर करता है | और पानी का आंतरिक रूप और उसमें हो रहे बदलाव, हमें उसकी chemistry के जरिए ही समझ आते हैं | ये दोनों चीजें इसलिए ख़ास हैं , क्योंकि अंतरिक्ष में पानी के साथ जो होगा वो इनपर ही निर्भर करेगा |

पानी का बाहरी रूप 

सबसे पहले तो हमें ,physics के नजरिए से , पानी पर लगने वाले physical effects को देखना पड़ेगा | जैसा कि आपको पता है,  कि पानी छोटी छोटी बूँदें, अक्सर गोल आकार की ही दिखती हैं | अगर आप एक साथ काफी मात्रा में पानी फेकेंगे , तो पृथ्वी के कारण उसपर gravity इतनी ज्यादा लगेगी कि वो गोल आकार की नहीं रहेंगी |

 

पर अंतरिक्ष में , आप चाहें कितना भी पानी एक साथ फेंक दें , वो छोटे या बड़े रूप में , एक गोल आकार ले ही लेगा | ऐसा इसलिए क्योंकि वहाँ gravity बेहद कम है , जिसकी वजह से पानी पर किसी तरह का बाहरी बल नहीं लगता |

पानी की बूँदें गोल ही क्यों दिखती हैं ? ( Physical Nature Of Water )

पर सोचने वाली बात ये है कि ऐसा होता क्यों है ? पानी की बूँदें , भला गोल ही क्यों बनती हैं ? कोई और आकार की क्यों नहीं ?इसका सीधा सा जवाब है , पानी की surface tension की वजह से | अब ये surface tension क्या है ?

 

साधारण शब्दों में बताऊँ , तो ये पानी का एक खास गुण है |  इसकी वजह से उसकी बाहर वाली सतह पर मौजूद molecules , अन्दर मौजूद molecules द्वारा हमेशा एक तरह का खिंचाव महसूस करते हैं |

ये खिंचाव , surface area पर depend करता है | खिंचाव की वजह से ही , surface पर मौजूद molecules की energy बढ़ जाती है | ये energy भी surface area ही depend करती है | यानी कि जितना कम surface area, उतनी ही कम energy |  अब ब्रह्मांड की हर वस्तु , अपनी energy को कमसे कम रखना चाहती है |  जिसकी वजह से वो वस्तु उस रूप में बदलती है , जहां उसकी energy सबसे कम हो |

अब अगर आप किसी भी समान परिमाण वाली वस्तुओं को उठालें , तो आपको सबसे कम surface area , sphere का ही मिलेगा | इसीलिए , पानी की बूँदें आपको गोलाकार दिखती हैं |

हालांकि अन्तरिक्ष में ,अगर आप, एक साथ पूरी दुनिया का पानी डालदें ,तो आपको, अन्तरिक्ष में तैरती हुई हवा के बुलबुलों से भरी हुई एक विशालकाय पानी की बूँद मिलेगी |  जिसका आकार किसी ग्रह की तरह ही गोल होगा |  पर planets के मुकाबले ये काफी छोटी ही नजर आएगी | पर ये तो शुरूआती बात है , पानी का असली खेल तो अब शुरू होने वाल वाला है |

पानी का  आंतरिक रूप (Chemical Nature Of Water )

केमिस्ट्री के नजरिए से आप अगर देखें , तो पानी की अवस्था जैसे कि बर्फ और वाष्प ,उसके आसपास मौजूद pressure और temperature पर निर्भर करता है | ये तो हमें अच्छे से पता है कि अगर temperature बढ़ाया जाए , तो पानी उबलने लगेगा | और अगर temperature कम कर दिया जाए , तो ये बर्फ में बदल जाएगा |

पर यहाँ हम, आसपास मौजूद pressure पर ध्यान नहीं देते |  यानी कि हम, pressure की वजह से, पानी की अलग अलग अवस्थाओं में बदलाव के बारे में ज्यादा नहीं सोचते | और सच मानिए , यही हमारी गलती होती है |

हमने ये तो पता है , कि अन्तरिक्ष एक high vacuum space है | यहाँ pressure( दबाव) और temperature( तापमान ), पृथ्वी के मुकाबले  कुछ भी नहीं है |

Cosmic Microwave Background Radiation” के चलते वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष का तापमान , लगभग  2.7 Kelvin यानी -271 degree celsius बताया है | ये इतना कम है कि solid hydrogen तक को जमादे | अब ऐसे में आप यही सोच रहे होंगे , कि अगर हम अंतरिक्ष में पानी डाल दें  तो वो केवल बर्फ में ही बदल जाएगा |

पर आपका ऐसा सोचना गलत है , क्योंकि अभी हमने pressure की बात ही नहीं की है | ये  जो पानी की अलग अलग अवस्थाओं को प्रभावित करता है |

अंतरिक्ष में पानी का असली रूप 

पानी का 100 डिग्री सेल्सियस पर उबलता है , जो कि 1 atmospheric pressure पर नापा जाता है | जैसे जैसे pressure कम होता जाता है , पानी का boiling point भी कम होने लगता है , यानी कि अगर आप pressure कम कर देंगे , तो पानी आपको 100 डिग्री सेल्सियस से पहले ही उबलता हुआ मिलेगा |

अब जैसा कि अन्तरिक्ष में , pressure बिलकुल न के बराबर होता है , ऐसे में पानी बेहद कम तापमान पर ही उबलना शुरू कर देगा |

पर क्या ये भला  संभव है, कि water की solid और gaseous state , एक साथ exist कर सकें ? इसका जवाब है नहीं , क्योंकि पानी की तीनों अवस्थाएं , solid , liquid और gas , 273.16 K और 0.006 atm pressure पर ही मौजूद होती हैं , इससे ऊपर या नीचे जाने पर , ये एक ही अवस्था में ही रहता है |

पानी उबलेगा और साथ ही जमने लगेगा 

पर अब सवाल आता है , कि आखिर अन्तरिक्ष में ये पानी,  बर्फ में बदलेगा या भाप में ? तो इसका जवाब है , दोनों ही | सबसे पहले तो ये उबलेगा और फिर ये जमना शुरू कर देगा | अब होगा कैसे ?

Thermodynamics को ध्यान में रखकर बात करें , तो अक्सर पानी को अपने आसपास के वातावरण के साथ तापमान बदलने में समय लगता है | इसके साथ ही , surface tension की वजह से पानी की बूंदों, का क्षेत्रफल भी काफी कम हो जाता है , जिसकी वजह से पानी को आसपास के वातावरण से गरमी बदलने में समय लगता है | इसका मतलब ये है  कि अंतरिक्ष के इतने कम तापमान में , पानी को जमने में ज्यादा समय लगेगा |

बात करें pressure की , तो वो ऐसी स्थिति पर निर्भर नहीं करता , यानी अपानी बहुत तेजी से उबलने लगेगा | कुल मिलाकर देखें , तो आपको अंत में ice crystals ही मिलेंगे | ये दिखने में snowflakes यानी हिमकण जैसे लगेंगे, जिनका आकार और रूप अलग-अलग हो सकता है |

हालंकि ऐसा संभव जरूर है कि , पूरे पानी को भाप और बर्फ में बदलने में समय लगे, पर आपको ज्यादा बर्फ और कम भाप ही देखने को मिलेगी | अब ऐसे में आप कल्पना तो कर ही सकते हैं कि अगर आप अन्तरिक्ष में पृथ्वी का सारा पानी डाल दें , तो परिणाम कैसा हो सकता है !

 

Shubham

शुभम विज्ञानम के लेखक हैं, जिन्हें विज्ञान, गैजेट्स, रहस्य और पौराणिक विषयों में रूचि है। इसके अलावा ये पढ़ाई करते हैं।

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