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अंतरिक्ष में दुश्मन के उपग्रह को तबाह करने वाला चौथा देश बना भारत

Mission Shakti In Hindi – अंतरिक्ष में 5 हजार से ज्यादा सैटेलाइट पृथ्वी के चक्कर लगाती हैं, जिनका ज्यादातर काम GPS (जीपीएस) और मौसम सबंधी भविष्यवाणी करने का होता है। इन 5 हजार सैटेलाइट में केवल 1200 सैटलाइट ऐसी हैं जो काम करती हैं, बांकी ज्यादातर अब काम करना बंद कर चुकी हैं।

हालांकि हर बार सैटेलाइट हमारे भले के लिए काम करे ये जरूरी नहीं है, कई बार सैटलाइट जासूसी और किसी देश पर गैर जिम्मेदार तरीके से निगरानी भी करती हैं। सेना, रक्षा और दूसरे जरूरी ठिकानों की जानकारी अक्सर लीक होने का खतरा बना रहता है। भारत इस खतरे के अच्छे से जानता है, जब 1998 में भारत अपना परमाणु परीक्षण कर रहा था जो उसे अमेरिकन सैटेलाइट द्वारा दिख जाने का डर था। अगर उस समय सैटेलाइट हमारे परीक्षण को देख लेती तो अमेरिका उसे कभी सफल होने ही नहीं देता और उसके बाद बहुत से प्रतिबंध लगा देता।

पर अब भारत को इस तरह की जासूसी से घबराने की जरूरत नहीं है, भारत अब सीधे तौर पर ही इन सैटलाइट को अंतरिक्ष में ही नष्ट कर सकता है। जो भी सैटेलाइट बिना भारत की आज्ञा के उसके स्पेस क्षेत्र में होगी तो वह सीधे तौर पर नष्ट कर दी जायेगी। इस तरह अंतरिक्ष में ही सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में नष्ट करने वाला भारत अब दुनिया का चौथा ऐसा देश बन गया है।

अंतरिक्ष में सैटेलाइट को नष्ट करने वाली तकनीक को ASAT (anti-satellite missile technology) का नाम दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मिशन को मिशन शक्ति का नाम दिया है और साथ में वैज्ञानिकों को बधाई दी है। ऐसा मिशन इससे पहले केवल अमेरिका, चीन और रूस ही कर सके थे, पर अब भारत ने भी इस मिशन को सफलता पूर्वक कर लिया है।

उपग्रहों को क्यों निशाना बनाया?

अंतरिक्ष एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत की विश्व स्तर की स्वदेशी क्षमता है। पर हाल के ही वर्षों में ही सैटेलाइट को सेना के उपयोग के लिए तैयार करने का काम किया गया है, इस समय भारत के पास 14 मिलेटरी सैटेलाइट हैं जो की चीन की 25 मिलेटरी सैटलाइट के मुताबिक कम हैं, चीन की ये सैटेलाइट भारत पर अंतरिक्ष से निगरानी कर सकती हैं, पर अब ASAT आने के बाद भारत इस तरह की सैटलाइट को अंतरिक्ष में ही नष्ट करने की शक्ति रखता है।

ASAT से भारत का भविष्य क्या है?

ASAT तकनीक अभी फिलहाल उसी सैटेलाइट को मार सकती है जो पृथ्वी का निचली कक्षा में घूमती है, जो कि सतह से 300 से 400 किलोमीटर दूर है, ये तकनीक उन सैटेलाइट्स को मारने के लिए अभी कारगर नहीं है जो 20 हजार से लेकर 36 हजार किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की परिक्रमा करती हैं। ऐसी सेटेलाइट्स ज्यादातर जीपीएस और संदेशों के भेजने के लिए काम करती हैं, जिन्हें अगर नष्ट कर दिया जाये तो समुचे विश्व का नेटवर्क सिस्टम से लेकर इंटरनेट, बैंकिग और व्यापार ध्वस्त हो सकते हैं, जो कोई भी देश नहीं करना चाहता है। सामान्य तौर पर इस तकनीक से भारत ने पहला कमद आगे बढ़या है जिसका हम सभी को जोर से स्वागत करना चाहिए।।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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