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आखिर क्यों खजुराहो के मंदिरों में बनाई गई कामुक मूर्तियां, जानें ये 4 मान्यताएं

Khajuraho In Hindi – भारत बहुत विशाल देश है, संस्कृति से भरे हुए इस देश में हर मंदिर और स्मारक अपनी कहानी सुनाता है और साथ में हमें ज्ञान भी देता है। खजुराहो के मंदिर अपनी कामुक, सम्भोगरत और नग्न मूर्तियों के कारण विश्व प्रसिद्ध है। यह मूर्तियां खजुराहों के मंदिरों की केवल बाहरी दीवारों पर उकेरी गयी है। हर साल लाखों देसी-विदेशी सैलानी इन्हें देखने पहुँचते है। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ई.से 1050 ई.के बीच हुआ है। खजुराहो में पहले 85 मंदिर थे, लेकिन अब 22 ही बचे हैं।

 

इन मंदिरों में मूर्तियों का निर्माण इतनी बेहतरी से किया गया है कि इसे देखने के बाद किसी के मन में बुरा ख्याल नहीं आता,क्योंकि सभी मूर्तियों की खूबसूरती में खो जाते हैं। ये मूर्तियां प्राचीन सभ्यता की विशेषता बताने के लिए काफी हैं। हालांकि कई बार मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर मंदिर के बाहर इस तरह की मूर्तियां बनाने के पीछे राज क्या हो सकता है। इस बारे में एक राय नहीं मिलता। अलग-अलग विश्लेषकों ने अलग-अलग राय दी है। मुख्य रूप से चार मान्यताएं हैं, जो इस प्रकार हैं।

पहली मान्यता

कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा भोग-विलासिता में अधिक लिप्त रहते थे। वे काफी उत्तेजित रहते थे। इसी कारण खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां बनाई गई हैं।

दूसरी मान्यता

दूसरे समुदाय के विश्लेषकों का यह मानना है कि इसे प्राचीन काल में सेक्स की शिक्षा की दृष्टि से बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि उन अद्भुत आकृतियों को देखने के बाद लोगों को संभोग की सही शिक्षा मिलेगी। प्राचीन काल में मंदिर ही एक ऐसा स्थान था, जहां लगभग सभी लोग जाते थे। इसीलिए संभोग की सही शिक्षा देने के लिए मंदिरों को चुना गया।

तीसरी मान्यता

कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि मोक्ष के लिए हर इंसान को चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है- धर्म, अर्थ, योग और काम। ऐसा माना जाता है कि इसी दृष्टि से मंदिर के बाहर नग्न मूर्तियां लगाई गई हैं। क्योंकि यही काम है और इसके बाद सिर्फ और सिर्फ भगवान का शरण ही मिलता है। इसी कारण इसे देखने के बाद भगवान के शरण में जाने की कल्पना की गई।

चौथी मान्यता

कुछ और लोगों का इन सबके अलावा इसके पीछे हिंदू धर्म की रक्षा की बात बताई गई है। इन लोगों के अनुसार जब खजुराहो के मंदिरों का निर्माण हुआ, तब बौद्ध धर्म का प्रसार काफी तेजी के साथ हो रहा था। चंदेल शासकों ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने इसी मार्ग का सहारा लिया। उनके अनुसार प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि सेक्स की तरफ हर कोई खिंचा चला आता है। इसीलिए यदि मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में मूर्तियां लगाई जाएंगी, तो लोग इसे देखने मंदिर आएंगे। फिर अंदर भगवान का दर्शन करने जाएंगे। इससे हिंदू धर्म को बढ़ावा मिलेगा।

यह भी जानें – दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर अंकोरवाट मंदिर

साभार – विभिन्न हिन्दी स्रोत

Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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One Comment

  1. Bhai history ye hai ki sabhi log acche they aur kam bhavna se dur hokar apna jivan vyatit kar rahe they.. jab raja ko chinta hone lagi ki sabhi bhagwan ko sahi maan kar chal rahe hai to vishwa samapt ho sakta hai.. isiliye moksh se dur hata kr jansankhya badhana iska uddesh tha…

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