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एस्ट्रोनॉमर्स ने आकाशगंगा में की एक दर्जन ब्लैक होल की खोज

अमेरिकी एस्ट्रोनॉमर्स ने आकाशंगगा में एक दर्जन ब्लैक होल की खोज की है।  ये ब्लैक होल्स सैजिटेरीअस-ए के इर्दगिर्द जमा पाए गए हैं। सैजिटेरीअस-ए आकाशगंगा के केंद्र में एक विशाल ब्लैक होल है। खगोलविदों का अनुमान है कि इस क्षेत्र में हजारों की संख्या में ब्लैक होल छुपे हो सकते हैं।

ब्लैक होल एक ना दिखाई देने वाला ग्रेविटी का वह समुद्र होता है जो अपनी ओर आने वाली हर वस्तु को समा लेता है, ये लाइट को भी नहीं छोड़ता है। ब्लैक होल एक विशाल तारे के मरने के बाद ही बनता है।

वैज्ञानिकों ने धरती के करीब स्थित सैजिटेरीअस-ए के इर्दगिर्द ब्लैक होल की तलाश में व्यापक खोजबीन की। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के खगोल वैज्ञानिक चक हेली ने कहा, ‘पूरी आकाशगंगा में महज पांच दर्जन ज्ञात ब्लैक होल हैं। ऐसा अनुमान है कि इस क्षेत्र के छह प्रकाश वर्ष के दायरे में इस तरह के 10 से 20 हजार ब्लैक हो सकते हैं। अभी तक इनकी खोज नहीं हो पाई है।’

जर्नल नेचर में प्रकाशित हुए अध्ययन में हेली ने बताया कि सैजिटेरीअस-ए गैस के प्रभामंडल और धूल से घिरा हुआ है जो विशाल तारों की उत्पत्ति के अनुकूल माहौल मुहैया कराता है। ये तारे बाद में ब्लैक होल में तब्दील भी हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रभामंडल के बाहर के ब्लैक होल, सैजिटेरीअस-ए के प्रभाव में नष्ट हो जाते हैं क्योंकि उनकी ऊर्जा समाप्त हो जाती है। जबकि ज्यादातर ब्लैक होल पृथक रहते हैं।

वैज्ञानिक चक हेली का कहना है कि आकाशगंगा के केंद्र में ब्लैक होल की संख्या का पता चलने से यह बेहतर तरीके से समझने में मदद मिल सकती है कि इनसे कितनी तरह की गुरुत्वीय घटनाएं जुड़ी हुई हैं।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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