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दूध को फटने से बचाना है तो उसमें मेंढक डाल दो – विज्ञान का अजीब प्रयोग

विज्ञान मात्र जानकारी इकठ्ठा करने का और शोध का ही विषय नहीं है बल्कि हमारे आस पास हो रही हर एक घटना और बदलती हुई जिंदगी के साथ हो रहे बदलाव पर नजर रखने और उसे समझने का जरिया भी है।

और दोस्तों विज्ञान द्वारा किये गए प्रयोगों का भी क्या कहना ! कभी तो प्रयोग हमारी समझ से परे होते हैं तो कभी वो अजीबो गरीब होते हैं जिनपर किसी आम इंसान को अपने आप हँसी आ जायेगी। विज्ञान द्वारा किये गए किसी भी प्रयोग के पीछे कोई न कोई गहन कारण होता ही है जो किसी विषय पर अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु किया जाता है।

 

ज्यादातर प्रयोग हमारे जीवन से प्रेरित होकर किये जाते हैं जहां हमारी आम जिंदगी को और आसान बनाने के लिए कोई न कोई नया तरीका निकाला जाता है। इसके अलावा लोगों का भी क्या कहना ! वो भी समझ से परे तरीकों को अपनाते हैं और उन तरीकों की पुष्टि के लिए विज्ञान को भी तत्पर रहना पड़ता है।

तो ऐसे ही एक तरीके के बारे में हम आज बात करेंगे जो पक्का आपको चौंका देगा और आप इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे जब तक कोई वैज्ञानिक तर्क न दे दिया जाए।

तरीका कुछ ऐसा है कि यदि आपके पास फ्रिज नहीं है या कोई भी ऐसा साधन नहीं है जो आपकी चीजों को ठंडा करे तो ऐसा स्थिति में आपको अगर आपको दूध को फटने से बचाना है तो आपको बेफिक्र होकर उसमें एक मेंढक डाल देना चाहिए जिससे आपका दूध खराब नहीं होगा ।

दोस्तों ! है न ये अजीब तरीका ? पर दोस्तों ये तरीका कोई मजाक का विषय नहीं है क्योंकि ये वही तरीका है जो 19वीं सदी में रशिया के लोग इस्तेमाल किया करते थे जब उनके पास किसी भी तरह की सुविधा मोजूद नहीं थी। हालांकि उस दौरान शहरों में आइस बॉक्स जैसे आइटम्स लोगों को मिल रहे थे और धीरे-धीरे फ्रिज जौसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स का भी आविष्कार होने लगा था ।

ये मेंढक वाला तरीका लोगों को जब पता चला तो उन्हें बड़ी जिज्ञासा हुई और वो काफी तरह से इस तरीके की गहराई में घुसने लगे । कभी तो लोगों ने इस तरीके को खुद अपनाया तो कभी लोगों ने इसको वैज्ञानिक नजरिये से परखने की कोशिश की।

2010 में अरब के कुछ वैज्ञानिकों ने मेंढक पर एक स्टडी की और उन्हें कुछ ऐसी जानकारी मिली जो उस तरीके के सच होने को साबित कर रही थी। उन्होनें पाया कि मेंढक द्वारा छोड़े गए किसी भी केमिकल में बैक्टीरिया और अन्य किटाणुओं को मारने की शक्ति होती है और उस केमिकल में जो कंपाउंड मौजूद होता है उसे एन्टीमइक्रोबियाल कंपाउंड कहा जाता है।

दोस्तों वैज्ञानिकों ने मेंढक द्वारा छोड़े गए केमिकल्स को और भी कई परीक्षणों से टेस्ट किया और पाया कि उनके कंपाउंड्स में बैक्टीरिया से लड़ने की शक्ति होती है जो उनके रिएक्शन्स को लगभग खत्म ही कर देती है।

इसके साथ ही दोस्तों 2012 में मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी के कुछ शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने मेंढकों के केमिकल्स को और अच्छे से स्टडी किया । इसमें उन्होनें मेंढकों से निकलने वाले कंपाउंड्स को तोड़कर देखा और उस पर जानकारी हासिल की। जानकारी में उन्होनें पाया कि मेंढकों के कंपाउंड्स में अलग- अलग तरह के पेप्टाइड्स होते हैं जो एक दूसरे से बिल्कुल अलग होते हैं। इन पेप्टाइड्स की संख्या लगभग 76 बताई जाती है और ये बात भी मालूम हुई कि किन्हीं भी 2 मेंढकों के पेप्टाइड्स एक जैसे नहीं होते और ये पेप्टाइड्स बैक्टीरिया से लड़ने में काफी सक्षम होते हैं ।

यहां पर वैज्ञानिकों को एक बात और पता चली कि हर तरह के मेंढक दूध को फटने से नहीं बचा सकते इसलिए ऐसा प्रयोग हमें बिना किसी जानकारी के नहीं करना चाहिए।

हालांकि दोस्तों वैज्ञानिकों को इस बात पर पूर्ण विश्वास नहीं है क्योंकि टेस्ट के परिणाम प्रयोगशाला में ज्यादा अच्छे तरह से काम करते हैं और बाहर अगर इसका प्रयोग किया जाए तो इंसानों पर इसका कोई विशेष असर देखने को नहीं मिलता।

वैसे तो दोस्तों ये है तो बहुत अजीब से प्रयोग पर अगर इसपर और गहन तरह से शोध किया जाए तो शायद हम मेंढकों की इस काबिलियत का फायदा उठा सकते हैं ।

Shubham

शुभम विज्ञानम के लेखक हैं, जिन्हें विज्ञान, गैजेट्स, रहस्य और पौराणिक विषयों में रूचि है। इसके अलावा ये पढ़ाई करते हैं।

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