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बहुत रहस्यमयी है पद्मनाभस्वामी मंदिर का सातवां द्वार, कोई नहीं जान सका है!

पद्मनाभस्वामी मंदिर भगवान विष्णु का विशाल प्राचीन मंदिर है, जो दक्षिण भारत में स्थित है।

भारत के दक्षिण में केरल राज्य में तिरुवनन्तपुरम में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर काफ़ी प्रसिद्ध है. यह मंदिर पूरी तरह से भगवान विष्णु को समर्पित है. यह भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है. देश-विदेश के कई श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं. इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है, शेषनाग पर शयन मुद्रा में भगवान विराजमान. यह मंदिर काफ़ी रहस्यों से भरा है।

यह विश्व का सबसे धनी मंदिर है। इस मंदिर में करीब 1,32,000 करोड़ की मूल्यवान संपत्ति है, जो स्विटज़रलैंड की संपत्ति के बराबर है। देखा जाए, तो इस मंदिर के पीछे कई कहानियां हैं, जिन्हें जानने के बाद आप भी हैरान हो जाएंगे।

18वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने पद्मनाम मंदिर को बनाया था. सबसे अहम बात ये है कि इसका ज़िक्र 9वीं शताब्दी के ग्रंथों में भी आता है. 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को ‘पद्मनाभ दास’ बताया, जिसका मतलब ‘प्रभु का दास’ होता है. इसके बाद शाही परिवार ने खुद को भगवान पद्मनाभ को समर्पित कर दिया. इस वजह से त्रावणकोर के राजाओं ने अपनी दौलत पद्मनाभ मंदिर को सौंप दिया।

1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने इस राज्य में राज किया. हालांकि, आज़ादी के बाद इसे भारत में विलय कर दिया गया. विलय होने के बावज़ूद सरकार ने इस मंदिर को अपने कब्ज़े में नहीं लेकर, त्रावणकोर के शाही परिवार को सौंप दी. अब इस मंदिर की देखभाल शाही परिवार के अधीनस्थ एक प्राइवेट ट्रस्ट करता है।

संपत्ति और रहस्य को देखते हुए कई लोगों ने इसके द्वारों को खोलने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सहर्ष स्वीकार कर लिया. 7 सदस्यों की निगरानी में अब तक 6 द्वार खोले जा चुके हैं, जिनसे करीब 1,32,000 करोड़ के सोने और जेवरात मिले. लेकिन सबसे दिलचस्प बात सातवें गेट की है. ये अभी तक पूरी दुनिया के लिए रहस्य बना हुआ है, जिसे अभी तक खोला जाना है।

जब भी इस मंदिर के ख़जाने को खोलने की बात होती है, तो इसमें अनहोनी की कहानी भी जुड़ जाती है. दरअसल, सातवें गेट में ना कोई वोल्ट है, और ना ही कोई कुंडी. गेट पर दो सांपों के प्रतिबिंब लगे हुए हैं, जो इस द्वार की रक्षा करते हैं. इस गेट को खोलने के लिए किसी कुंजी की ज़रूरत नहीं पड़ती है, इसे मंत्रोच्चारण की मदद से ही खोल सकते हैं।

यह एक गुप्त गृह है, जिसकी रक्षा ‘नाग बंधम्’ करते हैं। इस गेट को कोई 16वीं सदी का ‘सिद्ध पुरूष’, योगी या फ़िर कोई तपस्वी ही ‘गरुड़ मंत्र’ की मदद से खोल सकता है..

नियमानुसार, ‘गरुड़ मंत्र’ का स्पष्ट तरीके से उच्चारण करने वाला सिद्ध पुरूष ही इस गेट को खोल पाएगा. अगर उच्चारण सही से नहीं किया गया, तो उसकी मृत्यु हो जाती है. अभी हाल में याचिकाकर्ता की संदिग्ध अवस्था में मृत्यु हो गई।

90 वर्षीय त्रावणकोर राजपरिवार के प्रमुख तिरुनल मार्तंड वर्मा ने अंग्रेज़ी अख़बार टेलीग्राफ़ को दिए एक इंटरव्यू में कहते हैं कि हमने अपनी पूरी ज़िंदगी इस मंदिर की देखभाल में लगा दी है. हम इस मंदिर और भगवान विष्णु की सेवा में तत्पर हैं. सातवें द्वार के खुलने का मतलब देश में प्रलय आना है. हमारी कोशिश है कि इसे रहस्य ही रहने दिया जाए।।

इस मंदिर से मिली संपत्ति को देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वाकई यह काफ़ी रहस्यमयी मंदिर है. कई लोगों का मानना है कि सभी संपतियों को जनता की भलाई के कामों में लगा देना चाहिए, जो काफ़ी हद तक सही भी है।

साभा- विभिन्न हिन्दी स्रोत

Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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8 Comments

  1. जीस राजघराने ने यह मंदिर बनवाकर राज्य का किमती खजाना यँहा सुरक्षित रखना ऊचीत समझा ऊसकी वजह साधारण हैं
    जबकी यह खजाना राज्य और वहाँके लोगो के भविष्य निर्माण के लिये होता है तो क्रुपया कुछ दरवाजे खोलकर जो संपती मिली हुयी है ईसी तरह किसी कारणवश अफवापर ध्यान न केंद्रीत करते हुये ना वहम, रखते हुये अपनी ध्रुड ईच्छा शक्ति दिखाते हुए ईस आखरि दरवाजे को खोलकर जो संपती मिलेगी वह पुर्णतया मंदिर, राज्य, देश, एंव लोगोंके कल्याणार्थ लगानेका एक महत्वपूर्ण संकल्प रखते हुये यह कार्य आगे बढाया जाना चाहिए न की अफवाओंपर क्योंकि भगवान स्वामिनारायण वह भी यहि चाहते हैं, -: धन्यवाद.

  2. Hamare samaj mai dhongi jayada h jis wajhe se aisi bakwas par yakeen kr lete h jab 6 darbar khul sakte h to 7 va kyu nhi

  3. Tumko Saala naye chappal SE Marne ki jarurat hai ,bête Monu !
    Ghanchakkar Kachin ke, Kucchh seekha Kya green horn !

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