Facts & Mystery

दुनिया का सबसे बड़ा ठग था बहराम, 931 हत्याएं कर चुका था अपने जीवन में

रुमाल में सिक्का बांध कर घोंटता था गला

आज के परिवेश में अगर हम ‘ठग’ शब्द पर नजर डालें तो पायेंगे कि यह शब्द आजकल उन लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जो चोरी, जालसाज़ी, और धोखेबाद होते हैं। अगर हम इस शब्द पर जनर डालें तो अंग्रेजी में ‘Thug’ शब्द का प्रयोग किया जाता है जो कि इसी शब्द से बना है। पर 150 साल पहले इस शब्द का इस्तेमाल उनके लिए होता था, जो भेष बदल कर लोगों को लूटते थे और उनकी हत्या कर देते थे।

ऐसा ही एक ठग था, ठग बहराम, शायद दुनिया का सबसे बड़ा ठग. उसके नाम 931 हत्याओं का दोष है. उसका हत्या करने का तरीका भी अलग था. 1840 में वो अंग्रेज़ों की पकड़ में आया था, 75 वर्ष की उम्र में उसको फ़ांसी की सज़ा दी गई।

1765 में पैदा हुए ठग बहराम ने अपने जीवन में 931 हत्याएं की थी. जिनमें से 125 हत्या उसने ख़ुद अपने हाथों से की थी और बाकि अपने गिरोह की मदद से. इन अपराधों को उसने ख़ुद कबूल किया.

Image Source: allthatsinteresting

ठग बहराम के दल में 200 से ऊपर लोग थे, वो आपस में बातचीत करने के लिए अलग किस्म की सांकेतिक भाषा ‘रामोस’ का इस्तेमाल करते थे. इसे ख़ासकार हमला करने के वक्त इस्तेमाल किया जाता था।

बहराम का काफ़िला व्यापारियों, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के जत्थों पर हमला करता था और रहस्यमय तरीके से सबका नाम-ओ-निशान मिटा देता था। 1809 में अंग्रेज सरकार ने ग़ायब होते लोगों की जांच करने के लिए एक अलग विभाग बनाया जब ये बात कैप्टन स्लीमैन को पता चला कि इन सब के पीछे ठग बहराम का हाथ है।

दिल्ली से जबलपुर तक के रास्ते पर ठग बहराम का ख़ौफ़ था, कैप्टन स्लीमैन ने उसे पकड़ने के लिए पूरे रास्ते से जंगल की सफ़ाई करवा दी और गुप्तचरों का एक बड़ा जाल बिछा दिया।

Image Source: allthatsinteresting

बहराम के हमले का तरीका भी अलग था. गिरोह के लोग यात्रियों के काफ़िले का पीछा करते थे, जब रात में काफ़िला सो रहा होता था तब ये लोमड़ी के रोने की आवाज़ निकाल कर अपने दल को बुलाते थे. बहराम लोगों की हत्या रुमाल से ग़ला दबा कर करता था, उस रुमाल में सिक्का बंधा होता था।

ठग बहराम के पकड़े जाने के बाद धीरे-धीरे उसके गिरोह के बाकी सदस्य भी गिरफ़्तार कर लिए गए और उन्हें भी फ़ांसी की सज़ा दी गई। तो दोस्तों ये थी उस ठग की कहानी जिनसे एक समय में पूरी ब्रिटेश सरकार कांपा करती थी।

साभार – गजबपोस्ट

Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

Related Articles

Back to top button