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गुरुत्वाकर्षण तरंगे क्या होती हैं? कैसी हुई थी इनकी खोज, कैसै काम करता है ये?

इस अनंत ब्रम्हांड में इतने रहस्य छिपे हुए हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अरबों तारें, अरबों ही ग्रह और अरबों ही आकाशगंगाएं इस ब्रम्हांड में तैर रही हैं।

जब हम अपने चांद और सूर्य को देखते हैं तो हमें यह समझ नहीं आता  है कि आखिर ये इतने विशाल पिंड कैसे इस ब्रम्हांड में टिके रहते हैं और कैसे यह परिक्रमा भी करते हैं। करीब 500 वर्ष पहले ही न्युटन ने इसके बारे में एक थ्योरी दी थी जिसमें उन्होंने गुरुत्वाकर्षण बल को इसका जिम्मेदार बताया था। उनके मुताबिक यह ना दिखाई देने वाला बल ही इस ब्रम्हांड को टिके रहने देता है।

दोस्तों, गुरुत्वाकर्षण बल के बारे में हम कई वर्षों से जानते थे पर ये सिर्फ वैज्ञानिकों की कल्पना के आधार पर टिका हुआ था, करीब 100 वर्ष पहले आइंस्टाइन के साधारण सापेक्षतावाद सिद्धांत के अनुसार उन्होंने बताया कि वास्तव में गुरुत्वाकर्षण तरंगे ही हैं जिनके कारण यह सब टिका हुआ है और यें तरंगे इतनी शक्तिशाली हैं कि यह समय को अपने हिसाब से बदल सकती हैं।

गुरुत्वाकर्षण तरंगो की उपस्थिति को प्रमाणित करने मे एक सदी लग गयी और 11 फ़रवरी 2016 को लीगो ऑब्ज़र्वेटरी के शोधकर्ताओं ने  कहा है कि उन्होंने दो श्याम विवरों (Black Holes)की टक्कर से निकलने वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाया है। इस खोज ने विज्ञान की दुनिया ही बदल दी और आइंस्टाइन की थ्योरी को भी पक्के तौर पर जगह मिली।

गुरुत्वाकर्षण तरंगो की खोज लिगो (LIGO / Laser Interferometer Gravitational-Wave Observatory) के अंतर्गत दो प्रयोगशालायों को कि  एक वाशींगटन राज्य मे है, दूसरी लुसियाना राज्य मे उनके माध्यम से हुई।

यह भी जानें – हमारी आकाशगंगा के केंद्र के पास वैज्ञानिकों ने खोजा बहुत बड़ा ब्लैक होल

गुरुत्वाकर्षण तरंगो के बारे में और अच्छे से समझने के लिए आप विज्ञान टीवी का यह वीडियो जरुर देखें, इसमें बहुत ही सरलता से इनके बारे में बताया गया है।

Featured Image – NASA

 

Team Vigyanam

Vigyanam Team - विज्ञानम् टीम

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